‘आपको क्या मुफ़्त चाहिये’ – इस सवाल पर बच्चों के जवाब समाज की स्थिति बता देते हैं

भोपाल से प्रकाशित बच्चों की मासिक पत्रिका 'चकमक' हिंदी की अब तक की इकलौती 'बाल विज्ञान पत्रिका' है. इसका एक स्तंभ है- 'क्यों क्यों '. इसमें बच्चों से हर महीने एक सवाल पूछा जाता है और अगले महीने उसके जवाब प्रकाशित किए जाते हैं.

सीखें! अख़बार में छपी निगेटिव ख़बरों को पॉज़िटिव बनाने की विधि

व्यंग्य: बीते दिनों आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि वे शुरू से ही मीडिया को संदेश देते रहे हैं कि निगेटिव ख़बरों को भी पॉज़िटिव तरीके से छापें. देश के एक वरिष्ठ पत्रकार ने उनकी राय पर अमल करते हुए 'नो निगेटिव न्यूज़' वाले अख़बार में प्रकाशित एक ख़बर के साथ ऐसा करने की कोशिश की है.

अब पराया लगता है यह देश

हम देश के एक छोटे से क़स्बे में पले-बढ़े लेकिन उस दौर में लोगों का दिलो-दिमाग राजनीति ने इतना छोटा नहीं था, जबकि देश का विभाजन हुए बहुत अरसा भी नहीं बीता था. नफ़रत की ऐसी आग नहीं लगी हुई थी, जैसी आज लगी है.

क़ानून अपना काम करेगा यानी नहीं करेगा

क़ानून को काम करने देने के बयान का मतलब ही क़ानून को काम न करने देने के प्रयासों के अति सक्रिय हो जाने का संकेत होता है, जो वर्णिका मामले में दिए गए विभिन्न वक्तव्यों को ध्यान से पढ़ने पर साफ दिख जाता है.

महागुन सोसाइटी मामले को कैसे देखा जाना चाहिए?

महागुन सोसाइटी में हुई मज़दूर वर्ग की हिंसा तो नज़र आती है मगर इस सोसाइटी में रहने वाले संपन्न तबके द्वारा इन मज़दूरों पर की जा रही हिंसा किसी को दिखाई नहीं पड़ती.

एक बछड़े की मौत, एक घायल मुसलमान

देश के सांप्रदायिक पागलपन के माहौल में एक मुसलमान के ऊपर गाय के बछड़े का गिर जाना एक घटना तो है ही, एक बिंब,एक फैंटसी और एक प्रतीक भी है.