सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी परामर्श में कहा कि समाचार वेबसाइट, ओटीटी प्लेटफॉर्म और निजी टीवी चैनल ऑनलाइन सट्टेबाजी साइट का विज्ञापन दिखाने से दूर रहें. अन्यथा लागू कानूनों के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.
ट्विटर ने कर्नाटक हाईकोर्ट में बताया कि सरकार ने उसे किसी ट्वीट के आधार पर पूरे एकाउंट को ब्लॉक करने के लिए कहा था, हालांकि आईटी अधिनियम की धारा 69 (ए) पूरे एकाउंट को ब्लॉक करने की अनुमति नहीं देती. धारा के तहत केवल सूचना या किसी विशेष ट्वीट को ब्लॉक करने की इजाज़त है.
फैक्ट चेक: कई चैनलों, पत्रकारों और भाजपा नेताओं का दावा है कि एनआईए, ईडी और पुलिस की संयुक्त छापेमारी में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के सौ से अधिक नेताओं की गिरफ़्तारी के विरोध में पुणे में हुए एक प्रदर्शन में 'पाकिस्तान ज़िंदाबाद' के नारे लगाए गए थे. हालांकि पड़ताल में पाया गया कि यह दावा ग़लत है.
सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच की बात करके देश की दुखती नब्ज़ पर हाथ रखा है, लेकिन जहां तक उसके 'केंद्र के मूकदर्शक बने बैठने' वाले सवाल की बात है, तो यह पूछने वाले को भी पता है और देश भी जानता है कि ऐसा सिर्फ इसलिए है क्योंकि सरकार व उसे चला रही पार्टी ही हेट स्पीच की सबसे बड़ी लाभार्थी हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने आठ सप्ताह तक पत्रकार नविका कुमार के ख़िलाफ़ कठोर कार्रवाई नहीं करने का भी निर्देश दिया है. यह मामला 26 मई को एक ‘टीवी डिबेट शो’ के दौरान पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ की गई टिप्पणी से संबंधित है. नविका कुमार ‘टाइम्स नाउ’ पर प्रसारित इस परिचर्चा की एंकर थीं, जिसमें भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने यह टिप्पणी की थी.
विभिन्न टीवी चैनलों पर नफ़रत फैलाने वाले भाषणों को लेकर नाराज़गी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि उसे ‘मूक दर्शक’ बने रहने की बजाय इस समस्या से निपटने के बारे में सोचना चाहिए.
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने एशिया-पैसिफिक इंस्टिट्यूट फॉर ब्रॉडकास्टिंग डेवलपमेंट’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि अगर न्यूज़ चैनल ऐसे मेहमानों को आमंत्रित करते हैं, जो ध्रुवीकरण कर रहे हैं, झूठी ख़बरें फैलाते हैं और ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाते हैं, तो चैनल की विश्वसनीयता कम हो जाती है.
नवंबर 2020 में ज़ी न्यूज़ पर प्रसारित एक कार्यक्रम में जेएनयू की पूर्व छात्रा शेहला राशिद के पिता का साक्षात्कार दिखाया गया था, जिसमें उन्होंने शेहला पर आतंकी फंडिंग से जुड़ी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया था. शेहला ने दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में मांग की है कि चैनल बिना शर्त माफ़ी मांगे.
अक्टूबर 2020 में हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले की रिपोर्टिंग के लिए जाते समय गिरफ़्तार किए गए केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन को बीते हफ्ते उन्हें सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिली है. जेल अधिकारियों ने उनकी रिहाई से इनकार करते हुए कहा है कि उनके ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा एक मामला लंबित है.
'असमिया प्रतिदिन' में काम करने वाले बनजीत ठाकुरिया 7 सितंबर को एक रेस्तरां में लगी आग की घटना को कवर करने गए थे, जहां उनके साथ कुछ लोगों ने मारपीट की. जब वे इसकी शिकायत दर्ज करवाने पुलिस थाने गए, तब उन्हें ही हिरासत में ले लिया गया.
आयकर विभाग द्वारा इंडिपेंडेंट एंड पब्लिक-स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन और सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के कार्यालयों में 'सर्वे' के बाद दोनों संस्थानों ने नियमों के दायरे में काम करने की बात कही है. वहीं, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस कार्रवाई की निंदा करते हुए आलोचकों की आवाज़ दबाने का सरकारी प्रयास क़रार दिया है.
बुधवार को आयकर विभाग द्वारा इंडिपेंडेंट एंड पब्लिक-स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च और ऑक्सफैम इंडिया के कार्यालयों में किए गए 'सर्वे' की निंदा करते हुए विभिन्न स्वतंत्र डिजिटल मीडिया संस्थानों के संगठन डिजीपब ने कहा कि यह स्वतंत्र पत्रकारिता पर लगाम कसने की दमनकारी प्रवृत्ति है.
पंजाब स्थित संगरूर शहर के पत्रकारों का कहना है कि बीते दिनों ब्लैकमेल करने के आरोप में यहां कुछ पत्रकारों की गिरफ़्तारी हुई थी, जिसको आधार बनाकर पुलिस का खुफिया विभाग सभी पत्रकारों को कॉल करने उनसे उनकी निजी और पेशेवर जानकारी मांग रहा है.
बीते दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल था, जिसमें एक महिला से कुछ लोग मारपीट करते नज़र आ रहे हैं. इस वीडियो को शेयर करते हुए समाचार चैनल ज़ी हिंदुस्तान ने दावा किया था कि पाकिस्तान में हिंदुओं पर ज़ुल्म नहीं रुक रहा है. अब फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल में पता चला है कि पीड़िता मुस्लिम समुदाय की हैं और इस मामले में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है.
गुजरात के राजकोट से प्रकाशित ‘सौराष्ट्र हेडलाइन’ में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के कामकाज से भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की नाराज़गी का ज़िक्र करते हुए उनके ख़िलाफ़ यह संभावित क़दम उठाए जाने का संकेत दिया गया था. साल 2020 में एक गुजराती समाचार पोर्टल के संपादक पर कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के कारण गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन का सुझाव देने वाली रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था.