वीडियो: कथित माओवादी लिंक मामले में सज़ा काट रहे प्रोफेसर जीएन साईबाबा हाल ही में कोरोना संक्रमित पाए गए हैं, जिसके बाद उनकी पत्नी ने उनकी रिहाई की मांग की है. दिल्ली दंगों संबंधी मामलों में गिरफ़्तार एक अन्य राजनीतिक क़ैदी ख़ालिद सैफ़ी की पत्नी नरगिस ने भी जेल की बदहाल व्यवस्थाओं को लेकर सवाल उठाए हैं. उनसे बातचीत.
वीडियो: कोविड-19 से पहले डीडी न्यूज़ और ऑल इंडिया रेडियो, दोनों से उर्दू के दस बुलेटिन प्रसारित होते थे. 2020 में महामारी की पहली लहर के दौरान कोविड प्रोटोकॉल के कारण हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू डेस्क पर बुलेटिनों की संख्या कम कर दी गई थी. बाद में सभी भाषाओं के कार्यक्रम बहाल हुए, लेकिन डीडी न्यूज़ पर उर्दू के केवल दो और ऑल इंडिया रेडियो पर तीन बुलेटिन शुरू किए गए.
दिसंबर 2007 में उत्तराखंड पुलिस ने 'नक्सलवाद पर कड़ी चोट' का दावा करते हुए कार्यकर्ता प्रशांत राही को माओवादी बताते हुए गिरफ़्तार किया था. चौदह साल बाद इस दावे को साबित न कर पाने पर अदालत ने राही और तीन अन्य को बरी कर दिया.
लद्दाख के राजस्व विभाग की नौकरियों के लिए उर्दू जानने की अर्हता ख़त्म करने के फ़ैसले पर स्थानीय नेताओं का कहना है कि यह लेह ज़िले और मुस्लिम बहुल कारगिल के बीच वैचारिक मतभेद खड़ा करने के उद्देश्य से लिया गया सांप्रदायिक क़दम है, लेकिन इससे राजनीतिक फायदा नहीं होगा, बस प्रशासन के स्तर पर समस्याएं खड़ी हो जाएंगी.
22-23 जनवरी को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में ‘सनातन धर्म संसद’ के आयोजन का ऐलान किया गया है. बीते दिसंबर महीने में हरिद्वार और दिल्ली में आयोजित ऐसे ही धर्म संसद कार्यक्रमों में मुस्लिमों के ख़िलाफ़ कथित तौर पर नफ़रत भरे भाषण देने के साथ उनके नरसंहार का आह्वान किया गया था.
उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित 'धर्म संसद' में नफ़रत भरे भाषण देने के मामले में पुलिस ने कुछ माह पूर्व हिंदू धर्म अपनाने वाले वसीम रिज़वी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी को गिरफ़्तार किया है. वहीं, यति नरसिंहानंद और साध्वी अन्नपूर्णा को आईपीसी की धारा 14 के तहत पेश होने के नोटिस भेजे गए हैं.
राजस्थान के अलवर ज़िले में बीते 11 जनवरी को कई घंटों तक लापता रहने के बाद मानसिक रूप से कमज़ोर किशोरी घर से 25 किमी. दूर लहूलुहान हालत में मिली थी. उसके निजी अंगों में गंभीर चोटें थीं. विपक्षी भाजपा ने घटना की निर्भया कांड से करते हुए बलात्कार का आरोप लगाया है. वहीं घटना के तीन दिन बाद भी पुलिस कोई सुराग नहीं लगा पाई है.
जम्मू विकास प्राधिकरण की अतिक्रमण हटाने की मुहिम ने क्षेत्र में विरोध भड़का दिया है. आरोप हैं कि प्रशासन मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए चुनिंदा कार्रवाई कर रहा है.
बक्सर सिविल कोर्ट द्वारा 6 जनवरी को जारी एक आदेश में पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के निर्देश का हवाला देते हुए अदालत के कर्मचारियों को सर्किट हाउस के पास मंदिरों की सफाई के लिए कहा गया था. आदेश पर सवाल उठने के बाद इसे लिपकीय त्रुटि बताते हुए 10 जनवरी को वापस लिया गया, पर तब तक कर्मचारी मंदिर साफ कर चुके थे.
सरकार का यह क़दम अक्टूबर 2020 में कथित टीआरपी घोटाले के बाद रेटिंग के निलंबन के साल भर बाद आया है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने टीआरपी सेवाओं के उपयोग के लिए ‘रिटर्न पाथ डेटा’ क्षमताओं का लाभ उठाने पर विचार के लिए प्रसार भारती के सीईओ की अध्यक्षता में एक ‘कार्य समूह’ का गठन भी किया है.
रायपुर में एक कार्यक्रम के दौरान महात्मा गांधी के ख़िलाफ़ कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए कालीचरण के ख़िलाफ़ छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में मामले दर्ज किए गए हैं. पुणे पुलिस ने एक अन्य कार्यक्रम में कथित भड़काऊ भाषण देने के मामले में बीते सप्ताह उन्हें गिरफ़्तार किया था, जिसमें कोर्ट ने सात जनवरी को उन्हें ज़मानत दे दी थी.
आरोप है कि त्रिपुरा की राजधानी अगरतला के एक होटल में पार्टी करके रात में लौट रहे ट्रांसजेंडर समुदाय के चार लोगों को कुछ पुलिसकर्मियों और एक पत्रकार ने रास्ते में रोककर उन्हें एक महिला पुलिस स्टेशन ले गए थे, जहां उन्हें जबरन निर्वस्त्र कराया गया.
दिल्ली हाईकोर्ट कई ग़ैर-सरकारी संगठनों की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें उन्होंने मैरिटल रेप को अपराध क़रार देने का अनुरोध किया है. याचिकाकर्ताओं ने आईपीसी की धारा 375 की संवैधानिकता को यह कहते हुए चुनौती दी है कि यह विवाहित महिलाओं के साथ उनके पतियों द्वारा किए गए यौन उत्पीड़न के मामले में भेदभाव करती है.
छत्तीसगढ़ में आर्थिक अपराध शाखा ने जून 2021 में आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार निरोधक क़ानून के तहत मामला दर्ज किया था. उनके और उनके क़रीबियों कई ठिकानों पर तलाशी में 10 करोड़ रुपये की संपत्ति का पता लगा था. ईओडब्ल्यू ने कहा कि जांच के दौरान सिंह अनेकों बार नोटिस जारी होने के बावजूद न कार्यालय में उपस्थित हुए और न ही उन्होंने जांच में सहयोग किया.
29 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने राज्यों को पहचान के सबूत के बिना ही यौनकर्मियों को राशन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. अब कोर्ट ने समुदाय आधारित संगठनों से अपने क्षेत्रों में यौनकर्मियों की एक सूची तैयार कर उसे संबंधित ज़िला क़ानूनी सेवा प्राधिकरण या नाको द्वारा सत्यापित करने का निर्देश दिया है. अदालत ने यह भी कहा कि ऐसा करते हुए राज्य के अधिकारी मामले में गोपनीयता बनाए रखें.