राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा ने एक वेबिनार में कहा कि आयोग इस बात पर ग़ौर करेगा कि वह अपनी ज़मीन पर आदिवासी लोगों के दावों के न्यायनिर्णयन और उसके वितरण की नीति के संबंध में क्या कर सकता है. आयोग मानवाधिकार के नज़रिये से विभिन्न क़ानूनों की समीक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से संबंधित शिकायतें दर्ज करने के लिए ऑनलाइन शिकायत प्रबंधन तंत्र विकसित किया है, जिसे शी-बॉक्स कहा जाता है. राज्यसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार इसमें विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों से ऐसी 391 शिकायतें मिली हैं, जिनमें से 150 एक जनवरी 2020 से अब तक की हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सफाईकर्मियों की लंबित तनख़्वाह जारी करने, उन्हें चिकित्सा सुविधा के साथ-साथ निजी सुरक्षा उपकरण भी उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि इन सफाई कर्मचारियों और उनके परिवारों के इलाज और देखभाल के साथ-साथ चिकित्सा बीमा की कोई सुविधा प्रतिवादियों- केंद्र, दिल्ली सरकार और सफाई कर्मचारी आयोगों द्वारा उपलब्ध नहीं कराई गई है.
बीते 25 जुलाई को गोवा के बेनॉलिम बीच पर चार लोगों ने ख़ुद को पुलिसकर्मी बताकर दो लड़कियों से कथित तौर पर बलात्कार किया. मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने इसे लेकर सदन में कहा था कि जब 14 साल के बच्चे पूरी रात समुद्र तट पर रहते हैं तो माता-पिता को आत्ममंथन करने की ज़रूरत है. हम सिर्फ़ इसलिए सरकार और पुलिस पर ज़िम्मेदारी नहीं डाल सकते कि बच्चे नहीं सुनते.
बीते दिनों जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा एक मुठभेड़ में इमरान क़यूम नाम के शख़्स को आतंकवादी बताते हुए मार गिराने के बाद उनको दफ़ना दिया गया. इमरान के परिवार ने पुलिस के दावों का खंडन करते हुए कहा है कि यह फ़र्ज़ी एनकाउंटर था. उन्होंने मामले की जांच के लिए उपराज्यपाल और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को पत्र भी लिखा है.
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने राज्यसभा को बताया कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति समुदायों के उत्पीड़न से संबंधित मामलों में जहां 2017 की तुलना में 2018 में 11.15 प्रतिशत की कमी आई थी, वहीं, 2019 में इनकी संख्या में 11.46 प्रतिशत की वृद्धि हुई. साल 2015 से 2019 के बीच उत्तर प्रदेश में लगातार सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं.
बीते सोमवार को कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी कुछ कांग्रेसी नेताओं और सांसदों के साथ ट्रैक्टर चलाकर संसद पहुंचे थे. कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया था कि इसके बाद उन्हें और कुछ अन्य पार्टी नेताओं को दिल्ली पुलिस ने सात घंटे से अधिक समय तक हिरासत में रखा.
केंद्र सरकार के तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ जारी विरोध प्रदर्शन को और तेज़ करने के लिए पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश की लगभग 200 महिला किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर में चल रहे ‘किसान संसद’ में भाग लिया. संयुक्त किसान मोर्चा के एक बयान में कहा गया है कि ‘महिला किसान संसद’ द्वारा दो प्रस्ताव पारित किए गए, जिनमें एक कृषि विरोध में महिला किसानों की मान्यता की मांग और दूसरा संसद और विधानसभाओं में महिलाओं
मामला दक्षिण दिल्ली के महरौली इलाके का है. मणिपुर के पत्रकार रोनेंद्र सिंह सपम ने अपनी शिकायत में कहा है कि पूरी तरह तैयार हुए बिना और साज-सज्जा के बग़ैर फ्लैट देने पर बिल्डर के ख़िलाफ़ जब उन्होंने आवाज उठाने की कोशिश की, तब उनके पड़ोसियों ने उन्हें धमकी दी और उत्पीड़न किया.
हिंदू सेवाकेंद्रम नाम के एक संगठन की केरल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर ये मांग की थी कि यदि मुस्लिम, लैटिन कैथोलिक, ईसाई नादर और अनुसूचित जाति का कोई व्यक्ति ईसाई धर्म के किसी भी संप्रदाय में परिवर्तित होता है तो उसे पिछड़ा वर्ग में न गिना जाए. अदालत ने याचिका ख़ारिज करने के साथ-साथ याचिकाकर्ता पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
आज़ादी के सात दशक बाद भी जो औरतें धर्म या जाति की सीमाओं के बाहर जीवनसाथी चुनने का साहस दिखाती हैं, उन्हें परिवार और समाज के साथ पुलिस और नेताओं की प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है. वक़्त आ गया है कि महिलाओं द्वारा साथी के चयन को मूल अधिकारों की श्रेणी में शामिल किया जाए और इसकी रक्षा के लिए परिवार, समुदाय, राजनीतिक दलों और राज्य की कट्टरता के विरुद्ध खड़ा हुआ जाए.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को संसद में एक सवाल के जवाब में कहा कि सरकार ने तीन कृषि क़ानूनों के बारे में किसानों की आशंकाओं का पता लगाने के लिए कोई अध्ययन नहीं कराया है, पर केंद्र ने किसानों की आशंकाओं को दूर करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं.
घटना 18 जुलाई को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर ज़िले के बड़गांव थाना क्षेत्र के शिमलाना गांव में हुई थी. इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पुलिस ने बताया कि नाई समेत सात आरोपियों के ख़िलाफ़ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत केस दर्ज किया गया है.
यह तथ्य है कि योगी आदित्यनाथ सरकार हमेशा अपने मक़सद को पाने के लिए बेहतर और बिना ज़ोर-ज़बरदस्ती वाले तरीकों की बजाय धमकाने या डर दिखाने वाले उपायों को तरजीह देती है. इसका ताज़ा नमूना हाल में में लाया गया जनसंख्या नियंत्रण विधेयक है.
मध्य प्रदेश के एक कांग्रेस नेता की हत्या के मामले में बसपा विधायक के पति को मिली ज़मानत ख़ारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसाधनों से युक्त और राजनीतिक रूप से ताक़तवर लोगों और न्याय तक पहुंच व संसाधनों से वंचित लोगों के लिए अलग-अलग समानांतर क़ानूनी प्रणालियां नहीं हो सकती. ऐसी व्यवस्था क़ानून की वैधता को ही ख़त्म कर देगी.