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भारत में बीते एक दिन में कोविड-19 संक्रमण के 15,102 नए मामले सामने आने के बाद कुल मामलों की संख्या बढ़कर 4,28,67,031 हो गई है. इस अवधि में 278 और लोगों की मौत के साथ मृतकों का आंकड़ा 5,12,622 पहुंच गया है.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक बयान में दावा किया है कि पंजाब पॉलिटिक्स टीवी प्रतिबंधित संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ से संबद्ध है और पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान जनव्यवस्था बिगाड़ने के लिए चैनल द्वारा ऑनलाइन मीडिया का उपयोग करने की खुफ़िया जानकारी मिली थी.
घटना हिमाचल प्रदेश के ऊना ज़िले की हरोली तहसील के बाथू औद्योगिक क्षेत्र में हुई. विस्फोट में जिन महिलाओं की मौत हुई वे सभी प्रवासी श्रमिक हैं. घायलों में भी नौ महिलाएं शामिल हैं. घटना की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं. ऊना के उपायुक्त ने कहा कि अवैध फैक्टरी को अनुमति देने वाले अधिकारियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाएगी.
चुनावी बातें: चुनावों का मौसम आते ही बुज़ुर्ग कई ऐसे पुराने क़िस्से सुनाते हैं, जो लोकतंत्र के इस त्योहार पर पैने कटाक्ष से लगते हैं. बताते हैं कि एक बार भारतेंदु हरिश्चंद्र जब बस्ती पहुंचे, तो बोले- बस्ती को बस्ती कहूं तो काको कहूं उजाड़! हर्रैया क़स्बे में बालूशाही खाई तो पूछने से नहीं चूके कि उसमें कितना बालू है, वो कितनी शाही है.
वीडियो: बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने लखनऊ में एक विशेष इंटरव्यू में वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान से कहा कि यह सोचना ग़लत है कि उत्तर प्रदेश में बसपा हार चुकी है और चुनाव से बाहर है.
वीडियो: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के सिलसिले में जारी कृषि घोषणा-पत्र को लेकर सपा प्रवक्ता राम प्रताप सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल अग्रवाल ने अपनी-अपनी पार्टियों का पक्ष रखा है. दोनों नेताओं ने किसान आंदोलन, एमएसपी, गन्ने का बकाया भुगतान को लेकर बातचीत की.
वीडियो: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के रुझानों को समझने के लिए द वायर की टीम हाल ही में लखीमपुर खीरी पहुंची. लखीमपुर सदर से भाजपा ने एक बार फिर अपने विधायक योगेश वर्मा को मैदान में उतारा है. विधायक से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
वीडियो: द वायर की टीम ने अपने चुनावी कवरेज के दौरान उत्तर प्रदेश के बाराबंकी शहर पहुंचकर यह जानने कोशिश की कि इस विधानसभा चुनाव में लोग किस पार्टी और मुद्दों पर फोकस कर रहे हैं.
प्रासंगिक: भारत छोड़ो आंदोलन में सहभागिता के चलते गिरफ़्तार की गईं कस्तूरबा ने हिरासत में दो बार हृदयाघात झेला और कई माह बिस्तर पर पड़े रहने के बाद 22 फरवरी 1944 को उनका निधन हो गया. सुभाष चंद्र बोस ने इस ‘निर्मम हत्या के लिए’ ब्रिटिश सरकार को ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि ‘कस्तूरबा एक शहीद की मौत मरी हैं.’