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मद्रास हाईकोर्ट ने बीते 26 अप्रैल को निर्वाचन आयोग की आलोचना करते हुए उसे देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के लिए ‘अकेले’ ज़िम्मेदार क़रार दिया था और कहा था कि वह ‘सबसे ग़ैर ज़िम्मेदार संस्था’ है. इन टिप्पणियों को हटाने के लिए आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को रुख़ किया था.
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले में चौरीचौरा के ब्रह्मपुर ब्लाक में हुए बवाल के दौरान पुलिस चौकी में भी आग लगा दी गई थी. पुलिस ने संपत्ति को नुकसान पहुंचाने समेत अन्य धाराओं में 500 से अधिक लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया है. रिटर्निंग ऑफिसर के ख़िलाफ़ चुनाव परिणामों में गड़बड़ी के आरोप में मामला दर्ज कराया गया है.
कई सालों से मोदी-शाह की जोड़ी ने चुनाव जीतने की मशीन होने की जो छवि बनाई थी, वह कई हारों के कारण कमज़ोर पड़ रही थी, मगर इस बार की चोट भरने लायक नहीं है. वे एक ऐसे राज्य में लड़खड़ाकर गिरे हैं, जो किसी हिंदीभाषी के मुंह से यह सुनना पसंद नहीं करता कि वे उनके राज्य को कैसे बदलने की योजना रखते हैं.
अमेरिका के शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फाउची का कहना है कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर में भारत की स्थिति बेहद निराशाजनक है और भारत सरकार को तत्काल अस्थायी फील्ड अस्पताल बनाने के लिए सैन्य बलों समेत सभी संसाधनों का इस्तेमाल करना चाहिए.
उत्तर प्रदेश के अयोध्या ज़िले में समाजवादी पार्टी ने जिला पंचायत सदस्य की 40 सीटों में से 17 सीटें अपने नाम की. इसके अलावा 4 सीटों पर बसपा और 11 सीटों पर निर्दलीयों ने जीत हासिल की है. भाजपा के अयोध्या ज़िला प्रवक्ता ने बताया कि ज़िले के सभी विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के विधायक होने के बावजूद हमें 40 में से सिर्फ़ आठ ज़िला पंचायत सीटों पर जीत मिली है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहीं उन ख़बरों पर दिया, जिनके मुताबिक ऑक्सीजन की कमी के कारण लखनऊ और मेरठ ज़िले में कोविड-19 मरीज़ों की जान गई थी. अदालत ने कहा कि हमें लगता है कि ये समाचार राज्य सरकार के उस दावे के बिल्कुल विपरीत तस्वीर दिखाते हैं कि प्रदेश में ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति है.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 20,665,148 हो गए हैं और अब तक 226,188 लोग इस महामारी से अपनी जान गंवा चुके हैं. विश्व में संक्रमण का आंकड़ा 15.43 करोड़ से ज़्यादा है, जबकि 32.28 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है.
इससे पहले जम्मू कश्मीर प्रशासन ने बीते 30 अप्रैल को कुपवाड़ा के एक सरकारी शिक्षक को राज्य की सुरक्षा को ख़तरा बताते हुए बर्ख़ास्त कर दिया था. केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रशासन ने एक नया क़ानून लागू किया गया है, जिसके तहत ‘राज्य की सुरक्षा’ के ख़िलाफ़ संदिग्ध गतिविधियों वाले सरकारी कर्मचारियों को बिना जांच किए बर्ख़ास्त किया जा सकता है.
यह कार्यशाला ऐसे समय आयोजित की गई है, जब कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण संक्रमण और मौत के मामलों बेतहाशा वृद्धि दर्ज की जा रही है. इसे लेकर केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं. इसका आयोजन सरकारी मंच माईजीओवी (MyGov) की ओर से किया गया, जिसमें केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी हिस्सा लिया.