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द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
दुनियाभर के 1,265 मीडियाकर्मियों द्वारा हस्ताक्षरित बयान में पश्चिम के न्यूज़रूम्स से अपील की गई है कि वे ऐसी अमानवीय बयानबाज़ी से बचें, जो फ़िलिस्तीनियों के नस्लीय सफाए (एथनिक क्लींज़िंग) को उचित ठहराती है.
उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष इफ़्तिख़ार अहमद जावेद ने राज्य सरकार के सर्वे में ग़ैर-मान्यता प्राप्त पाए गए 8,449 मदरसों को मान्यता प्रदान करने का अनुरोध करते हुए कहा कि इनमें पढ़ने वाले 90-95 प्रतिशत छात्र पसमांदा समुदाय के हैं, जिसके कल्याण की बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान में एक चुनावी रैली में मतदाताओं से कहा है कि वे ‘कमल’ के बटन को ऐसे दबाएं जैसे कि कांग्रेस को मौत की सज़ा दे रहे हों. कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री जैसे ज़िम्मेदार पद पर बैठा व्यक्ति वोट के ज़रिये फांसी देने की बात कैसे कर सकता है? पार्टी ने चुनाव आयोग से कार्रवाई का आग्रह किया.
बिहार सरकार की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया है कि अगर किसी धार्मिक जुलूस में किसी विशेष कारण से तलवार या कोई अन्य हथियार ले जाना ज़रूरी हो तो इसे ले जाने वाले व्यक्ति को प्रशासन से पहले अनुमति लेनी होगी. इसके अलावा माइक और सार्वजनिक संबोधन प्रणाली का उपयोग केवल भीड़ नियंत्रित करने के लिए किया जाएगा.
फरवरी 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों की आरोपी छात्र कार्यकर्ता देवांगना कलीता ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाख़िल कर कहा है कि उन्हें मामले में अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए वीडियो और एक ग्रुप से संबंधित वॉट्सऐप चैट की ज़रूरत है. उन्होंने अदालत से इन्हें उपलब्ध कराने के लिए दिल्ली पुलिस को निर्देश देने की मांग की है.
उत्तर प्रदेश के खुर्जा पुलिस स्टेशन में दिसंबर 2020 में 24 वर्षीय दलित युवक की हिरासत में मौत हो गई थी. पुलिस ने दावा किया था कि उन्होंने ख़ुद फांसी लगा ली थी. वहीं, पीड़ित परिवार ने पुलिस पर हत्या का आरोप लगाया था. हाईकोर्ट के आदेश पर मामले की जांच सीबी-सीआईडी मेरठ ने की और आठ पुलिसकर्मियों को दोषी पाया था.
पिछले महीने से म्यांमार सेना को तीन जातीय सशस्त्र बलों के गठबंधन से एक बड़े समन्वित हमले का सामना करना पड़ा है. भारतीय सीमा के पास भी तीव्र संघर्ष देखा गया. कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि 5,000 से अधिक शरणार्थी सीमा पार कर गए हैं.
फ़िलिस्तीन और इज़रायल की ख़ातिर, जो ज़िंदा हैं उनकी ख़ातिर और जो मारे गए उनके नाम पर, हमास के हाथों बंधक बनाए गए लोगों की ख़ातिर और इज़रायली जेलों में बंद फ़िलिस्तीनियों की ख़ातिर, सारी इंसानियत की ख़ातिर, गाज़ा पर हमला फ़ौरन बंद होना चाहिए.