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हरियाणा की नूंह पुलिस ने गोरक्षक राजकुमार उर्फ बिट्टू बजरंगी बीते 31 अगस्त को हुई सांप्रदायिक हिंसा के सिलसिले में गिरफ़्तार किया है. इस हिंसा में छह लोगों की मौत हो गई थी. मामले में गोरक्षक मोनू मानेसर भी आरोपी हैं. दोनों पर दक्षिणपंथी समूहों की यात्रा से पहले मुस्लिम बहुल ज़िले नूंह में सांप्रदायिक तनाव फैलाने का आरोप है.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा और उनके गौरव की रक्षा करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. पिछले हफ़्ते राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान के भीलवाड़ा ज़िले में एक लड़की के साथ बलात्कार और हत्या के बाद इसी तरह की घोषणा की थी.
महिला जूनियर एथलेटिक कोच ने हरियाणा सरकार में राज्य मंत्री और भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान संदीप सिंह पर दिसंबर 2022 में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था, जिसके बाद उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई थी.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि शिक्षा को संविधान की समवर्ती सूची से राज्य सूची में लाना राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) को ख़त्म करने का रास्ता है. स्टालिन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से राज्य के एनईईटी छूट विधेयक को जल्द से जल्द मंज़ूरी देने का आग्रह किया है.
बिहार में जन्मे बिंदेश्वर पाठक ने 1970 में सुलभ आंदोलन शुरू किया और अपना जीवन मैला ढोने की प्रथा को ख़त्म करने और स्वच्छता पर जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित कर दिया था. वर्ष 1991 में उन्हें हाथ से मैला ढोने वालों की मुक्ति और पुनर्वास पर उनके काम के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.
साक्षात्कार: इतिहासकार, शिक्षाविद और नारीवादी उमा चक्रवर्ती देश की आज़ादी के समय छह साल की थीं. शिक्षा, समाज सेवा, फिल्म निर्माण जैसे क्षेत्रों में व्यापक काम कर चुकीं उमा का कहना है कि आज धर्म के आधार पर हो रही लिंचिंग, दंगे आदि स्वतंत्रता आंदोलन और उससे जुड़े वादों के साथ धोखा हैं.
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‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ को राजनीतिक एजेंडा कहना ज़्यादा बेहतर है. जहां इसके सरकारी आयोजन से जुड़ी प्रदर्शनी की सामग्री में विभाजन की त्रासदी में मुसलमानों से जुड़ा कोई दुखद पहलू प्रदर्शित नहीं किया गया है, वहीं आयोजक अतिथियों को 'अखंड भारत' के नक़्शे वाले स्मृति चिह्न भेंट करते दिखे.
समानता के बिना स्वतंत्रता और स्वतंत्रता के बिना समानता पूरी नहीं हो सकती. बाबा साहब आंबेडकर का भी यही मानना था कि अगर राज्य समाज में समानता की स्थापना नहीं करेगा, तो देशवासियों की नागरिक, आर्थिक और राजनीतिक स्वतंत्रताएं महज धोखा सिद्ध होंगी.