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अयोध्या में राम मंदिर तक पहुंचने के लिए पारंपरिक मार्ग बंद करके नया राम जन्मभूमि पथ खोल दिया गया है, जिसके चलते पारंपरिक मार्ग पर स्थित दर्जन भर मंदिर वीरान से हो गए हैं. श्रद्धालुओं के दान से ही चलने वाले मंदिरों की देख-रेख करने वाले आगामी संकट की संभावना से सशंकित हैं.
घटना भदोही की है, जहां पुलिस ने सहाबुद्दीन अंसारी नाम के एक धागा कारोबारी को गिरफ़्तार करते हुए कहा कि वॉट्सऐप ग्रुप 'नगर पालिका परिषद भदोही' में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ कथित अपमानजक टिप्पणी की गई थी और एडमिन के तौर पर अंसारी ने टिप्पणी करने वाले के ख़िलाफ़ कोई क़दम नहीं उठाया.
एक संसदीय समिति ने कहा है कि एयरपोर्ट टर्मिनल को आरामदायक बनाने और परेशानी मुक्त यात्रा की सुविधा देने की ज़रूरत है, उनके अत्यधिक भव्य होने की नहीं.
मौजूदा प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम की जगह लाया गया नया विधेयक बीते सप्ताह विपक्ष की अनुपस्थिति में राज्यसभा में ध्वनि मत से पारित हुआ है. एडिटर्स गिल्ड ने कहा कि यह 'कोई प्रकाशन कैसे काम करता है, इसमें अधिक दख़ल देने और मनमानी जांच के लिए सरकार की शक्तियों को विस्तृत' करता है.
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने मध्य प्रदेश के रतलाम में हुए एक भाजपा कार्यकर्ता सम्मेलन में कहा कि जो भारत माता की जय बोलेगा, वो हमारा भाई है और हम उसके लिए जान भी दे सकते हैं और जो भारत माता के ख़िलाफ़ बोलेगा, उसकी जान लेने में भी हम पीछे नहीं हटेंगे.
मणिपुर में तीन महीने से जारी हिंसा के बीच मणिपुर सरकार और भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सदस्य कुकी पीपुल्स अलायंस ने घोषणा की है कि वह एन. बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले रही है. मणिपुर सरकार में पार्टी के दो विधायक शामिल हैं.
नूंह हिंसा के चलते व्याप्त तनाव के बीच निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए रविवार को गुड़गांव में एक 'हिंदू महापंचायत' का आयोजन किया गया, जिसमें मुसलमानों के सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार के आह्वान के साथ-साथ दावा किया गया कि बीते दिनों एक मस्जिद पर हमला करने वाले लोग निर्दोष हैं.
74 वर्षीय गायक गदर लंबे समय से अस्वस्थ थे. वे और उनका संगीत तेलंगाना में माओवादी आंदोलन के साथ-साथ 1960 के दशक के अंत से अलग राज्य के लिए हुए आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा था.
दक्षिणपंथी स्तंभकार मधु किश्वर के 'मानुषी' ट्रस्ट ने दारुल उलूम देवबंद में 'बहिश्ती ज़ेवर' नाम की किताब पढ़ाए जाने का दावा करते हुए कहा था कि इसमें यौन हिंसा और यौन अपराध को वैध बताने की कोशिश की गई है. हालांकि, सच यह है कि यह किताब दारुल उलूम के पाठ्यक्रम में ही शामिल नहीं हैं.