बीते 21 मार्च को बाराबंकी की एमपी-एमएलए अदालत ने मुख़्तार अंसारी की एक अर्ज़ी पर सुनवाई करते हुए बांदा जेल अधीक्षक को निर्देश दिया था कि वह 29 मार्च तक अंसारी को कथित तौर पर ज़हर दिए जाने के मामले में उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा के बारे में एक रिपोर्ट पेश करें.
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किसी मामले में संदिग्ध व्यक्तियों की मीडिया के सामने परेड कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र को इस मुद्दे पर ज़रूर सोचना चाहिए कि कैसे लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है. आख़िरकार जब उन्हें निर्दोष ठहराया जाता है, तब तक काफ़ी समय बीत चुका होता है. यह उस व्यक्ति, उसके परिवार को नष्ट कर देता है, उसके सम्मान को अपूरणीय क्षति पहुंचाता है.
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
मणिपुर पुलिस ने वैध दस्तावेज़ों के बिना अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने के आरोप में म्यांमार के 10 नागरिकों को हिरासत में लिया है. इनके हिंसा में शामिल होने के आरोपों पर स्पष्टीकरण देते हुए असम राइफल्स ने कहा है कि म्यांमार के नागरिक किसी भी तरह से राज्य में चल रहे जातीय संघर्ष से जुड़े नहीं हैं.
तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने विधि आयोग को पत्र लिखकर प्रस्तावित समान नागरिक संहिता पर आपत्ति दर्ज कराई है. पार्टी ने कहा कि सभी धर्मों के लिए समान नागरिक संहिता लाने से पहले हमें जातिगत भेदभाव और अत्याचारों को ख़त्म करने के लिए एक समान जाति कोड की आवश्यकता है.
मध्य प्रदेश के बुरहानपुर ज़िले में 50 वर्ष से अधिक समय से वन क्षेत्र में रह रहे आदिवासी समुदाय के लोगों को वन अधिकार प्राप्त नहीं हैं. इससे भी बुरी स्थिति यह है कि वन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने अतिक्रमण एवं सरकारी आदेशों की अवज्ञा करने का हवाला देते हुए उनके ख़िलाफ़ कई मामले दर्ज कर लिए हैं.
यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम के अनुसार, जून में इस अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ़ सबसे अधिक हमले देखे गए, जहां कुल 88 घटनाएं या प्रतिदिन औसतन तीन घटनाएं दर्ज हुईं.
शीर्ष अदालत ने मई 2022 में इसके द्वारा यूपी के कुछ क़ैदियों की सज़ा माफ़ी याचिकाओं पर दिए निर्देश पर कार्रवाई न करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई.
जून के आख़िर में स्वीडन में क़ुरान जलाने की घटना के बाद संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) ने धार्मिक नफ़रत का मुक़ाबला करने के लिए मसौदा प्रस्ताव अपनाया है. भारत ने इसके पक्ष में मतदान किया है. हालांकि भारत ने क़ुरान जलाने पर अलग से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और न ही कोई निंदा की है.
ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक विमेन एसोसिएशन ने भारत के विधि आयोग को सौंपे गए अपने एक पत्र में कहा है कि समान नागरिक संहिता का प्रयास बड़े पैमाने पर एक समान क़ानून लाने का होगा, जो बहुसंख्यकवादी क़ानून होंगे, न कि ऐसे क़ानून जो महिलाओं को वास्तव में समान अधिकार देते हों.