सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सितंबर 2018 में कहा था कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के समृद्ध लोग यानी कि क्रीमी लेयर को कॉलेज में दाखिले तथा सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता.
कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में बताया कि पिछले साल मार्च तक केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के कई वर्गों में कुल 6,83,823 ख़ाली पद थे. सिंह ने एक सवाल के जवाब में यह भी बताया कि सीबीआई में एक हज़ार से अधिक पद रिक्त हैं.
बीते जून महीने में योगी सरकार ने 17 ओबीसी जातियों को एससी में शामिल करने की अधिसूचना जारी की थी, जिसका विरोध केंद्र सरकार ने भी किया था.
13 पॉइंट रोस्टर लागू करने का फ़ैसला देश की अब तक प्राप्त सभी सामाजिक उपलब्धियों को ख़त्म कर देगा. इससे विश्वविद्यालय के स्टाफ रूम समरूप सामाजिक इकाई में बदल जाएंगे क्योंकि इसमें भारत की सामाजिक विविधता को सम्मान देने की कोई दृष्टि नहीं है.
सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण देने संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘कोई ‘एक्स’ व्यक्ति आरक्षण की मदद से किसी राज्य का मुख्य सचिव बन जाता है. अब, क्या उसके परिवार के सदस्यों को पदोन्नति में आरक्षण के लिए पिछड़ा मानना तर्कपूर्ण होगा.’
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि एससी/एसटी वर्ग के लोग सदियों तक मुख्यधारा से बाहर रखे गए, जाति का दंश एवं ठप्पा अब भी उनके साथ जुड़ा हुआ है. क्रीमी लेयर सिर्फ़ ओबीसी के तहत आरक्षण लाभ प्राप्त करने से समृद्ध लोगों को बाहर रखने के लिए लाया गया था.
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के प्रावधान वाले विधेयक पर चर्चा के दौरान लोकसभा सदस्यों ने सरकार से मांग की कि ओबीसी समाज के लिए अलग मंत्रालय का गठन हो ताकि उन्हें समुचित अधिकार मिल सकें.
संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि इन पांच जातियों को आरक्षण अत्यधिक पिछड़ा वर्ग में तय सीमा 50 प्रतिशत के भीतर ही दिया जाएगा.
भाजपा गुजरात में जातिगत समीकरण साधने के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग और ओबीसी पर ध्यान केंद्रित करेगी.