अयोध्या: यह किसी अध्याय का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है

अयोध्या के फैसले के बाद 'शांति' और मामले के आखिरकार 'ख़त्म' होने की बातों के बीच उन हज़ारों लोगों को भुला दिया गया है, जिनकी ज़िंदगी बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद बर्बाद हो गई.

अयोध्या फैसला: पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलमा-ए-हिंद

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि अयोध्या जमीन विवाद मामले में जो फैसला आया उसने न्याय नहीं किया.

अयोध्या: इंसाफ के बजाय इंसाफ से फासला बढ़ाने वाला फ़ैसला

सुप्रीम कोर्ट भी विवादित भूमि रामलला को देते हुए यह नहीं सोचा कि उसका फ़ैसला न सिर्फ छह दिसंबर, 1992 के ध्वंस बल्कि 22-23 दिसंबर, 1949 की रात मस्जिद में मूर्तियां रखने वालों की भी जीत होगी. ऐसे में अदालत का इन दोनों कृत्यों को ग़ैर-क़ानूनी मानने का क्या हासिल है?

क्या अयोध्या मामले में न्याय को तरजीह नहीं दी गई?

बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि ज़मीन विवाद में ‘सार्वजनिक शांति और सौहार्द’ बनाए रखने के लिए विवादित ज़मीन को न बांटने का जजों का निर्णय बहुसंख्यक दबाव से प्रभावित लगता है, जिसमें मुस्लिम पक्षकारों के क़ानूनी दावे को नज़रअंदाज़ कर दिया गया.

अयोध्या फ़ैसला: इंसाफ़ के बिना शांति संभव नहीं

वीडियो: बीते नौ नवंबर को शीर्ष अदालत ने अयोध्या मामले में उन लोगों के पक्ष में फ़ैसला दिया, जो सीधे तौर पर बाबरी मस्जिद गिराने के मुख्य आरोपियों से जुड़े हुए हैं और यह देश के लिए ठीक नहीं है. इस विषय पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.

प्रधानमंत्री मोदी की अपील दरकिनार कर फ़ैसले का ‘जश्न’ मना रहे हैं अयोध्या के भाजपाई

अयोध्या में भाजपा के निर्वाचित सांसद, विधायक और पदाधिकारियों ने शनिवार को फ़ैसले के दिन दीप जलाए और मिठाइयां बांटी. सोमवार को पार्टी जिला मुख्यालय पर सार्वजनिक रूप से रामायण पाठ आयोजित हुआ, जहां नेता व कार्यकर्ता बधाइयां देते और लेते रहे. मंगलवार को 1992 की कारसेवा के दौरान पुलिस फायरिंग में मारे गए कारसेवकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

…जब प्रधानमंत्री नेहरू के बार-बार कहने के बाद भी बाबरी मस्जिद में रखी मूर्तियां नहीं हटाई गईं

पुस्तक अंश: अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद में वर्ष 1949 में मूर्ति रखने के बाद की घटनाएं यह प्रमाणित करती हैं कि कम-से-कम फ़ैज़ाबाद के तत्कालीन ज़िलाधीश केकेके नायर तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत यदि मूर्ति स्थापित करने के षड्यंत्र में शामिल न भी रहे हों, तब भी मूर्ति को हटाने में उनकी दिलचस्पी नहीं थी.

अयोध्या: मुस्लिम धर्मगुरु और मुद्दई बोले- 67 एकड़ अधिग्रहीत भूमि में से ही दी जाए मस्जिद की ज़मीन

मुस्लिम धर्मगुरुओं का कहना है कि सरकार द्वारा अधिग्रहीत 67 एकड़ भूमि से ज़मीन मिलती है तभी स्वीकार किया जाएगा. मुस्लिम समुदाय मस्जिद बनाने के लिए अपने पैसे से ज़मीन ख़रीद सकते हैं और वे इसके लिए केंद्र सरकार पर निर्भर नहीं हैं. इधर, केंद्र सरकार ने अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट के गठन की प्रक्रिया शुरू की.

1948 में जब समाजवादी नेता को हराने के लिए फ़ैज़ाबाद कांग्रेस ने राम जन्मभूमि का कार्ड खेला था

पुस्तक अंश: फ़ैज़ाबाद में 1948 में हुए उपचुनाव में समाजवादी नेता आचार्य नरेंद्र देव मैदान में थे. कांग्रेस ने उनके ख़िलाफ़ देवरिया के बाबा राघव दास को अपना प्रत्याशी बनाया. चुनाव प्रचार में कांग्रेस ने कहा था कि आचार्य नरेंद्र की विद्वत्ता का लोहा भले दुनिया मानती है, लेकिन वे नास्तिक हैं. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की नगरी अयोध्या ऐसे व्यक्ति को कैसे स्वीकार कर पाएगी?

‘इतनी निष्पक्ष है सशक्त सत्ता कि निष्पक्षता भी रख ले दो मिनट का मौन’

आज जब यह सच्चाई और कड़वी होकर हमारे सामने है कि उस दिन बाबरी मस्जिद को शहीद करने वालों ने न सिर्फ अयोध्या बल्कि शेष देश में भी बहुत कुछ ध्वस्त किया था, यह देखना संतोषप्रद है कि देश के कवियों ने इस सच्चाई को समय रहते पहचाना और उसे बयां करने में कोई कोताही नहीं बरती.

अयोध्या विवाद आस्था और तार्किकता के बीच की लड़ाई है: इतिहासकार डीएन झा

साक्षात्कार: प्रख्यात इतिहासकार डीएन झा से बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद, इससे जुड़े ऐतिहासिक, पुरातात्विक और सांप्रदायिक पहलुओं पर बातचीत.

हम भी भारत: अयोध्या फ़ैसले से बदलेगी भारत की राजनीति?

वीडियो: हम भी भारत की इस कड़ी में द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि ज़मीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और इसके राजनीतिक मायनों पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद और द वायर के डिप्टी एडिटर अजय आशीर्वाद से चर्चा कर रही हैं.

बाबरी-रामजन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला विरोधाभासों पर टिका है

इस मामले पर फ़ैसला देते हुए शीर्ष अदालत की संवैधानिक पीठ ने कहा कि मुस्लिम वादी यह साबित नहीं कर सके हैं कि 1528 से 1857 के बीच मस्जिद में नमाज़ पढ़ी जाती थी और इस पर उनका विशिष्ट अधिकार था. हालांकि हिंदू पक्षकारों के भी यह प्रमाणित न कर पाने पर उन्हें ज़मीन का मालिकाना हक़ दे दिया गया है.

अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला समझना मेरे लिए मुश्किल: सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज अशोक कुमार गांगुली ने बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि संविधान के लागू होने के बाद वहां पहले क्या था, यह सुप्रीम कोर्ट की जिम्मेदारी नहीं है. उस समय भारत कोई लोकतांत्रिक गणतंत्र नहीं था. अगर हम इस तरह बैठकर फैसला देंगे तो बहुत सारे मंदिर, मस्जिद और अन्य ढांचों को तोड़ना पड़ेगा.

1 2 3 4 8