असम में नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ बीते 11 दिसंबर से प्रदर्शन जारी है. इस दौरान हिंसा में अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है. डिब्रूगढ़ और मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में मंगलवार को कर्फ्यू में ढील दी गई.
बीते 11 दिसंबर से नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के बाद से असम के विभिन्न इलाकों में प्रदर्शन जारी हैं. आसू नेता समेत 100 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया. बाद में रिहा किए गए. गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ में कर्फ्यू में थोड़ी राहत.
हालांकि असम में भाजपा की सहयोगी पार्टी असम गण परिषद ने संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया था.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट ने भारत सरकार से अपील की कि सूची में शामिल नहीं किए गए लोगों की अपील के लिए वाजिब प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए. लोगों को निर्वासित नहीं किया जाए या हिरासत में नहीं लिया जाए.
पीपुल्स ट्रिब्यूनल की जूरी ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर चलाए गए अभियान के बावजूद न्यायपालिका की समय सीमा तय करने की जिद ने प्रक्रिया और इसमें शामिल लोगों पर दबाव बढ़ा दिया.
वीडियो: असम में जारी हुई एनआरसी के विरोध में नई दिल्ली के जंतर मंतर पर ऑल बंगाली यूथ एंड स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन के बैनर तले विभिन्न बंगाली हिंदू संगठनों का प्रदर्शन.
बीते शनिवार को जारी हुई एनआरसी की सूची में 19 लाख लोगों का नाम शामिल नहीं है. जहां सभी राजनीतिक दलों द्वारा एनआरसी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए वास्तविक नागरिकों की मदद करने की बात कही जा रही है, वहीं भविष्य को लेकर सूची से बाहर रहे आम लोग अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं. असम से लौटी द वायर की डिप्टी एडिटर संगीता बरुआ पिशारोती से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
असम एनआरसी में शामिल होने के लिए 3,30,27,661 लोगों ने आवेदन दिया था. इनमें से 3,11,21,004 लोगों को शामिल किया गया है और 19,06,657 लोगों को बाहर कर दिया गया है.
महिला के परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि सोनितपुर के दुलाबाड़ी इलाके की रहने वाली सायरा बेगम ने एनआरसी में अपना नाम ना होने की खबर सुनने के बाद कुएं में कूदकर आत्महत्या कर ली.
सुप्रीम कोर्ट में एनआरसी अपडेट को लेकर मूल याचिका दायर करने वाले असम पब्लिक वर्क्स के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने कहा कि इस एनआरसी से तय हो गया है कि असम में अवैध प्रवासियों का मुद्दे कभी हल नहीं होगा. इतने खर्च के बावजूद प्रशासन त्रुटिहीन एनआरसी नहीं निकाल सका, असम के लोग आज ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने भाजपा नेताओं के एनआरसी सवाल उठाने पर कहा कि अगर भाजपा दुखी है, तो यह किसकी ज़िम्मेदारी है? यह सूची राज्य की भाजपा सरकार द्वारा ही तैयार करवाई गई है.
असम के वित्त मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने शनिवार को जारी हुई एनआरसी पर सवाल उठाते हुए कहा कि 1971 से पहले आए कई लोगों के नाम इसमें नहीं जुड़े हैं. सुप्रीम कोर्ट को सीमावर्ती जिलों में कम से कम 20 प्रतिशत और शेष असम में 10 प्रतिशत रीवेरिफिकेशन की अनुमति देनी चाहिए.
ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन का कहना है कि एनआरसी अपूर्ण है. अपडेट प्रक्रिया में कुछ खामियां हैं, जिन्हें दूर करने के लिए शीर्ष न्यायालय से अपील करेंगे. एनआरसी अपडेट को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचने वाले असम पब्लिक वर्क्स एनआरसी से निकाले गए नामों को लेकर नाखुशी जाहिर की है.
असम में भारतीयों की पहचान करने के लिए शनिवार को एनआरसी की अंतिम सूची प्रकाशित कर दी गई. 3.3 करोड़ आवेदकों में से 19 लाख से अधिक लोग अंतिम सूची में से बाहर कर दिए गए हैं.
असम में एनआरसी का प्रकाशन बीते कुछ समय से राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है. एक बड़ा तबका इसके लिए राज्य की भाजपा सरकार को ज़िम्मेदार मानता है, लेकिन यह सच नहीं है.