दिल्ली पुलिस ने आधार डेटा की बिक्री संबंधी रिपोर्ट पर ‘द ट्रिब्यून’ के ख़िलाफ़ केस बंद किया

तीन जनवरी 2018 को द ट्रिब्यून अख़बार में प्रकाशित पत्रकार रचना खेड़ा की रिपोर्ट में बताया गया था कि पेटीएम के ज़रिये सिर्फ़ 500 रुपये का भुगतान करने पर दस मिनट के भीतर एक एजेंट ने उन्हें लॉग-इन आईडी और पासवर्ड दिया, जिससे फोटो, फोन नंबर और ईमेल सहित किसी भी आधार नंबर की पूरी जानकारी ली जा सकती थी.

सुप्रीम कोर्ट ने आधार फ़ैसले की समीक्षा की याचिकाएं ख़ारिज कीं, जस्टिस चंद्रचूड़ ने असहमति जताई

सितंबर 2018 में केंद्र सरकार की आधार योजना को लेकर दिए अपने फ़ैसले की समीक्षा के अनुरोध वाली याचिकाओं को बहुमत से ख़ारिज करते हुए पीठ ने कहा कि इसकी ज़रूरत नहीं है.

झारखंड ने एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया, एनपीआर को 2010 की तरह लागू करने की मांग

इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद राज्य की विधानसभा को कोरोना वायरस के मद्देनजर अनिश्चितकालीन के लिए स्थगित कर दिया गया है.

एनपीआर में कोई दस्तावेज़ नहीं मांगा जाएगा, किसी को ‘संदिग्ध’ नहीं माना जाएगा: अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में कहा, 'एनपीआर के लिए कोई दस्तावेज नहीं मांगे जाएंगे. अगर किसी के पास कोई जानकारी नहीं है तो उसे साझा करने की जरूरत नहीं है.'

हैदराबाद: यूआईडीएआई ने 127 लोगों से मांगा नागरिकता का सबूत

हैदराबाद के एक ऑटो चालक मोहम्मद सत्तार खान के बचाव में सामने आने वाले वकीलों के समूह ने दावा किया कि यूआईडीएआई ने एक हजार से अधिक लोगों को ऐसा ही नोटिस भेजा है. हालांकि, यूआईडीएआई ने कहा कि आधार का नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है और ये नोटिस झूठे दस्तावेजों के कारण भेजे गए हैं.

एक्सक्लूसिव: एनपीआर पर जनता को गुमराह करती मोदी सरकार

वीडियो: द वायर द्वारा प्राप्त किए गए आधिकारिक दस्तावेज़ों से खुलासा होता है कि किस तरह केंद्र की मोदी सरकार काफी पहले से एनपीआर में आधार को ‘अनिवार्य’ करने का न सिर्फ़ मन बना चुकी थी, बल्कि करीब 60 करोड़ आधार नंबर को एनपीआर से जोड़ने का काम भी पूरा हो चुका है.

प्रधानमंत्री कार्यालय ने ख़ुद कहा था कि एनपीआर के साथ आधार ज़रूर जोड़ा जाना चाहिए

विशेष रिपोर्ट: द वायर द्वारा प्राप्त किए गए आधिकारिक दस्तावेज़ों से पता चलता है कि 15 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तत्कालीन प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी, जिसमें आधार जारी करने, एनपीआर डेटाबेस के साथ आधार नंबर को जोड़ने और समय-समय पर एनपीआर में आधार नंबर अपडेट करने को लेकर चर्चा की गई थी.

गृह मंत्रालय ने अक्टूबर 2019 में एनपीआर के लिए आधार नंबर अनिवार्य करने का किया था प्रस्ताव

द वायर एक्सक्लूसिव: दस्तावेज़ों से पता चलता है कि केंद्र सरकार ने एनपीआर में अनिवार्य रूप से आधार इकट्ठा करने के लिए आधार क़ानून या नागरिकता क़ानून में भी संशोधन करने का प्रस्ताव रखा था.

तक़रीबन 60 करोड़ आधार नंबर पहले ही एनपीआर से जोड़े जा चुके हैं

द वायर एक्सक्लूसिव: गृह मंत्रालय आश्वासन दे रहा है कि जिन लोगों के पास आधार नंबर नहीं है उन्हें एनपीआर अपडेट करने के दौरान ऐसे दस्तावेज़ देने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा. हालांकि प्राप्त किए आधिकारिक दस्तावेज़ सरकार के इन आश्वासनों पर सवालिया निशान खड़े करते हैं.

ई-पॉश मशीन नहीं लेती अंगूठे का निशान, राशन न मिलने से लोग परेशान

उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के में राशन व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से कोटे की दुकानों पर ई-पॉश मशीन लगाकर राशन देने की व्यवस्था की गई है, लेकिन इससे आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं.

आधार संख्या की गलत जानकारी देने पर सरकार कर रही 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाने की तैयारी

हाल में बजट पेश करने के दौरान केंद्र सरकार ने पैन न होने पर आधार के इस्तेमाल की छूट दी थी. हालांकि, हर बार गलत आधार संख्या देने वाले पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. 1 सितंबर, 2019 से यह प्रावधान लागू किए जाने की उम्मीद है.

आधार संशोधन विधेयक राज्यसभा से पारित, विपक्ष ने डेटा सुरक्षा को लेकर चिंता जताई

इस विधेयक में बैंक में खाता खोलने, मोबाइल फोन का सिम लेने के लिए आधार को स्वैच्छिक बनाने का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा निजी संस्थाओं द्वारा आधार डेटा का दुरुपयोग करने पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना और जेल का प्रावधान रखा गया है.

मोदी सरकार के पांच सालों में कितना स्वतंत्र रह पाया सुप्रीम कोर्ट

मोदी सरकार के पांच सालों के बाद सुप्रीम कोर्ट डरा हुआ, बंटा हुआ और कमज़ोर नज़र आता है, जो एक ताकतवर केंद्र सरकार को चोट पहुंचाने से बचता हुआ दिखता है.

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