क्या कांग्रेस ये मान चुकी है कि गांधी परिवार के बाहर उसका कोई भविष्य नहीं है?

विशेष रिपोर्ट: दिसंबर 2017 में राहुल गांधी के लिए अध्यक्ष पद छोड़ने वाली सोनिया गांधी की मात्र 20 महीने बाद एक बार फिर से अध्यक्ष पद पर वापसी हुई है. बीते हफ्ते हुई कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में उन्हें अंतरिम अध्यक्ष बनाने का फैसला लिया गया.

कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में फैसला, सोनिया गांधी को बनाया गया अंतरिम अध्यक्ष

शनिवार को कांग्रेस कार्य समिति की दो बार बैठक हुई जिसमें नेताओं ने राहुल से इस्तीफा वापस लेने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया. राहुल के नहीं मानने के बाद सीडब्ल्यूसी ने सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया.

कश्मीर के भूगोल पर तो कब्ज़ा किया जा सकता है, पर कश्मीरियत का क्या होगा?

असुरक्षा का भाव समाज के सैन्यकरण की स्वीकृति का अनिवार्य तत्व होता है. सांप्रदायिक राजनीति उसके भीतर भी असुरक्षा बोध खड़ा करती है जिसके पक्ष में वह दिखना चाहती है और उसके भीतर भी, जिसे वह शत्रु के रूप में चित्रित करती है. कश्मीर में असुरक्षा की भावना का इस्तेमाल कश्मीरी हिंदुओं और कश्मीरी मुसलमानों दोनों के ख़िलाफ़ होता आ रहा है.

कांग्रेस अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया से सोनिया और राहुल गांधी ने खुद को अलग किया

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने महसूस किया कि लोकतांत्रिक तरीका अपनाया जाना चाहिए और हर किसी के विचार को शामिल किया जाना चाहिए. इसीलिए उन्होंने खुद को चयन प्रक्रिया से अलग कर लिया.

भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का आरएसएस का सपना पूरा होने वाला है

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का बरसों से संजोया गया हिंदू राष्ट्र का सपना पूरा होने के बहुत करीब है, जिसके जश्न में अब भारतीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा भी शामिल है.

शीर्ष नेतृत्व को लेकर स्पष्टता की कमी से कांग्रेस को हो रहा नुकसान: शशि थरूर

राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने के दो महीने बाद भी कांग्रेस कार्य समिति ने अभी तक उसे स्वीकार नहीं किया है.

आरएसएस से जुड़े संगठन ने कहा, एचआरडी और संस्कृति मंत्रालय को मिलाकर शिक्षा मंत्रालय बनाया जाए

आरएसएस से जुड़े संगठन भारतीय शिक्षण मंडल ने इस संबंध में केंद्र सरकार को एक 19 सूत्रीय सूची भेजी है.

त्रिपुरा यूनिवर्सिटी के कुलपति ने एबीवीपी का झंडा फहराया, सांस्कृतिक संगठन बताया

त्रिपुरा यूनिवर्सिटी के कुलपति विजयकुमार लक्ष्मीकांतराव धारुरकर का कहना है कि एबीवीपी एक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठन है और यह किसी भी पार्टी से संबंधित नहीं है.

क्या कांग्रेस के लिए वरदान साबित होगा राहुल गांधी का इस्तीफ़ा?

राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने के महीने भर बाद भी पार्टी में अध्यक्ष पद को लेकर किसी का चुनाव नहीं हो सका है. आने वाले महीनों में चार राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में अध्यक्ष चुनने में हो रही देरी पार्टी को भारी पड़ सकती है.

बिहार में आरएसएस नेताओं की जानकारी इकट्ठा करने से जुड़ा पत्र सामने आने पर बवाल

बिहार पुलिस की विशेष शाखा के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक द्वारा बीते 28 मई को लिखे गए पत्र में आरएसएस और उसके 19 सहयोगी संगठनों के ज़िला स्तर के पदाधिकारियों के नाम, पता, टेलीफोन नंबर और व्यवसाय को लेकर एक रिपोर्ट मांगी गई थी.

डीयू: पत्रकारिता कोर्स को लेकर विवाद, आरएसएस और प्रधानमंत्री की गलत छवि पेश करने का आरोप

दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेज़ी पत्रकारिता के नए पाठ्यक्रम में मुज़फ़्फ़रनगर दंगों और मॉब लिंचिंग से संबंधित पाठ शामिल किए गए हैं. आरोप है कि इसके ज़रिये आरएसएस और उससे संबद्ध संगठनों यहां तक कि प्रधानमंत्री को भी निशाना बनाया जा रहा है. एबीवीपी ने कुलपति के खिलाफ प्रदर्शन किया.

न सॉफ्ट हिंदुत्व और न ही सॉफ्ट सेकुलरिज़्म कांग्रेस को उबार सकते हैं

आज कांग्रेस के सामने चुनौती पार्टी का कायाकल्प ऐसे दल के तौर पर करने की है, जो अपने पुराने वैभव और साम्राज्य के बिखर जाने की टीस से बाहर निकलकर यह कबूल करे कि अब उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं है और बचाव की मुद्रा से बाहर निकलकर आक्रामक अंदाज़ में खेलना शुरू करे.

नागपुर यूनिवर्सिटी में छात्रों को राष्ट्र निर्माण में आरएसएस की भूमिका का पाठ पढ़ाया जाएगा

महाराष्ट्र की नागपुर यूनिवर्सिटी ने इतिहास की किताबों में संशोधन किया है और 'राइज एंड ग्रोथ ऑफ कम्युनलिज्म' नाम के चैप्टर को हटाकर 'राष्ट्र निर्माण में आरएसएस की भूमिका' नाम से एक नया चैप्टर शामिल किया है.

राहुल गांधी का इस्तीफ़ा और कांग्रेस का भविष्य

वीडियो: राहुल गांधी ने बुधवार को लोकसभा चुनाव में हार की ज़िम्मेदारी लेते हुए औपचारिक रूप से कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दिया और कहा कि पार्टी के भविष्य के विकास के लिए उन्होंने ऐसा किया. इस बारे में द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन से चर्चा कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.

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