आवेदक की प्रामाणिकता के लिए आरटीआई के तहत मक़सद बताना ज़रूरी: दिल्ली हाईकोर्ट
हाईकोर्ट की यह टिप्पणी आरटीआई एक्ट के उस प्रावधान के बिल्कुल विपरीत है, जिसमें कहा गया है कि सूचना मांगने के लिए आवेदक को कोई कारण बताने की ज़रूरत नहीं है.
हाईकोर्ट की यह टिप्पणी आरटीआई एक्ट के उस प्रावधान के बिल्कुल विपरीत है, जिसमें कहा गया है कि सूचना मांगने के लिए आवेदक को कोई कारण बताने की ज़रूरत नहीं है.
बिहार राज्य सूचना आयोग के सचिव ने कहा कि वेबसाइट से जुड़ीं समस्याओं को सुलझाने की कोशिश की जा रही है. यह भी सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है कि वार्षिक रिपोर्ट तैयार हो.
राज्य के गृह विभाग ने आरटीआई के तहत बताया कि इसमें से 184 मामलों का निपटारा किया जा चुका है. हालांकि विभाग द्वारा यह नहीं बताया गया है कि आरोपियों के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई हुई है.
उत्तराखंड के आरटीआई कार्यकर्ता चार दिसंबर को हरिद्वार में एक घर में मृत पाए गए थे. मृतक कार्यकर्ता ने 2013 में उत्तराखंड में करोड़ों रुपयों के छात्रवृत्ति घोटाले को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
मौजूदा समय में केंद्रीय सूचना आयोग के समक्ष 37,000 से अधिक अपीलें और शिकायतें लंबित हैं. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष त्वरित सुनवाई के लिए दायर किए गए आवेदन के बाद हाल ही में मुख्य सूचना आयुक्त समेत तीन सूचना आयुक्तों की नियुक्तियां की गई हैं, जिसके बाद भी तीन पद अब भी रिक्त हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय चयन समिति द्वारा सूचना आयुक्त के तौर पर पत्रकार उदय महुरकर की नियुक्ति पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कड़ा विरोध जताते हुए कहा है कि महुरकर ने इस पद के लिए आवेदन भी नहीं दिया था और वे ‘खुले तौर पर भाजपा के समर्थक’ हैं.
साल 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से एक भी बार ऐसा नहीं हुआ है कि मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति में देरी न हुई हो. कई बार आरटीआई कार्यकर्ताओं को अदालत का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा है.
बिहार के बक्सर ज़िले का मामला. एक आरटीआई कार्यकर्ता के 14 वर्षीय बेटे को बीते फरवरी में आर्म्स एक्ट के तहत पुलिस ने बालिग बताकर गिरफ़्तार किया था. अब जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने उसे नाबालिग घोषित किया है.
आरटीआई कार्यकर्ता के बेटे को फरवरी में गिरफ़्तार किया गया था. उनका कहना है कि उनकी आवाज़ दबाने के लिए ऐसा किया गया है. वहीं पुलिस का कहना है कि उसके पास से एक देसी पिस्तौल मिली थी, जिसके बाद उसे दो अन्य लोगों के साथ बक्सर जेल भेज दिया गया.
महाराष्ट्र कांग्रेस का कहना है कि राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी बलदेव सिंह के ख़िलाफ़ पद के दुरुपयोग के आरोपों पर केंद्रीय सतर्कता आयोग की जांच लंबित होने के बावजूद बीते साल विधानसभा चुनाव से तीन महीने पहले उनकी नियुक्ति की गई.
आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले का आरोप है कि महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने जिस एजेंसी को चुनाव आयोग के सोशल मीडिया प्रचार का ज़िम्मा सौंपा था, वह भाजपा की युवा इकाई के आईटी सेल के संयोजक देवांग दवे की है.
सतर्क नागरिक संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक 11 सूचना आयोगों की वेबसाइट पर लॉकडाउन में कामकाज के संबंध में कोई भी नोटिफिकेशन उपलब्ध नहीं था. बिहार, मध्य प्रदेश और नगालैंड राज्य सूचना आयोगों की वेबसाइट ही काम नहीं कर रही थी.
कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव के टेलिफोनिक सर्वे में ये जानकारी सामने आई है कि देश के अधिकतर सूचना आयोग एकाध स्टाफ के सहारे काम कर रहे हैं. अधिकतर आयोगों के ऑफिस नंबर या हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करने पर किसी ने जवाब नहीं दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय चयन समिति ने फरवरी में राष्ट्रपति के सचिव संजय कोठारी के नाम की अनुशंसा की थी. उस समय कांग्रेस ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति के लिए अपनाई प्रक्रिया को ‘गैरकानूनी और असंवैधानिक’ बताया था और फैसले को तत्काल वापस लेने की मांग की थी.
आलम ये है कि चयन समिति के एक सदस्य वित्त सचिव राजीव कुमार ने भी सीवीसी पद के लिए आवेदन किया था और उन्हें इसके लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था.