खाद्य सब्सिडी में 70,000 करोड़ रुपये की कटौती, प्रधानमंत्री की सुरक्षा का बजट बढ़ा

सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भी खाद्य सब्सिडी के बजट को कम करके 108688.35 करोड़ रुपये कर दिया है. इसमें 80,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की कटौती की गई है.

विश्व भर में निमोनिया से बच्चों की मौत के मामले में भारत दूसरे स्थान पर

यूनीसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में पूरे विश्व में निमोनिया से पांच वर्ष से कम उम्र के आठ लाख से अधिक बच्चों की मौत हुई. इस सूची में नाईजीरिया पहले, भारत दूसरे और पाकिस्तान तीसरे स्थान पर है.

क्यों कुपोषण के ख़िलाफ़ लड़ रहे ग्रोथ मॉनिटर्स अपने परिवार का भरण-पोषण नहीं कर पा रहे हैं?

कुपोषण के लिए कुख्यात मध्य प्रदेश का श्योपुर राज्य का एकमात्र जिला है, जहां कुपोषण पर काबू पाने के लिए पुरुष ग्रोथ मॉनिटर्स नियुक्त किए गए हैं. लेकिन कुपोषित बच्चों के पोषण ज़िम्मेदारी संभाल रहे इन ग्रोथ मॉनिटर्स के लिए अपना भरण-पोषण ही मुश्किल हो रहा है.

मध्य प्रदेश: बच्चों के पोषण के लिए अंडा खिलाने की नीति पर भाजपा राजनी​ति क्यों कर रही है?

मध्य प्रदेश सरकार ने कुपोषण से निपटने के लिए पोषण आहार कार्यक्रम में बच्चों को अंडे उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शुरू की है, लेकिन भाजपा ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है. भाजपा के एक नेता ने तो ये तक कह दिया कि इस परंपरा से बच्चों को एक दिन नरभक्षी बना दिया जाएगा.

क्यों कुपोषण से प्रभावित श्योपुर में बच्चों को पोषण केंद्रों में ले जाने से कतरा रहे हैं परिजन?

ग्राउंड रिपोर्ट: ‘भारत का इथोपिया’ कहे जाने वाले मध्य प्रदेश के श्योपुर में एक ओर मासूम कुपोषण से दम तोड़ रहे हैं तो दूसरी ओर उन्हें पोषण और इलाज उपलब्ध कराने के लिए बनाए गए पोषण पुनर्वास केंद्र ख़ाली पड़े हैं. केंद्रों पर बच्चों को पहुंचाने की ज़िम्मेदारी निभा रहे ग्रोथ मॉनिटर और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि ग्रामीण इन केंद्रों में आना ही नहीं चाहते.

भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में 69 प्रतिशत मौतों की वजह कुपोषण: यूनिसेफ

यूनिसेफ ने 'द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2019' नाम की अपनी रिपोर्ट में बताया कि भारत में पांच वर्ष से कम आयु के हर पांचवें बच्चे में विटामिन ए की कमी है, हर तीसरे बच्चे में से एक को विटामिन बी 12 की कमी है और हर पांच में से दो बच्चे खून की कमी से ग्रस्त हैं.

भुखमरी से लड़ने में नाकाम भारत, ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 117 देशों में 102वें स्थान पर

2019 के वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत दुनिया के उन 45 देशों में शामिल है, जहां भुखमरी गंभीर स्तर पर है.सूची के अनुसार पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार इस मामले में भारत से बेहतर स्थिति में हैं.

बिहार में जानकारी की कमी से उपलब्धता के बावजूद बच्चों को नहीं मिल रहा पोषक आहार: रिपोर्ट

केयर फाउंडेशन और प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल इन इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि 65 फीसदी घरों में विविध प्रकार के पोषक आहार उपलब्ध हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में केवल 13 प्रतिशत परिवार ही आठ महीने से डेढ़ वर्ष के बच्चों को उपयुक्त पोषक तत्व दे रहे हैं.

बिहार: चमकी बुखार से मरने वालों में अधिकतर गरीब परिवारों के बच्चे, 62 फीसदी लड़कियां

बिहार में इस साल एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से जिन बच्चों की मौत हुई उनमें से 85 फीसदी से अधिक परिवार दिहाड़ी मजदूर हैं. वहीं, इस साल मरने वाले 168 बच्चों में से 104 लड़कियां थीं.

बिहार में इस साल एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम से होने वाली मौतों में बढ़ोतरी: सरकार

राज्यसभा में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि बिहार में 2018 में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम से 33 बच्चों की मौत हुई थी, जबकि 2019 में दो जुलाई तक 162 बच्चों की मौत हो चुकी है.

बिहार में डॉक्टरों के 57 फीसदी और नर्सों के 71 फीसदी पद खाली

बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाख़िल कर ये जानकारी दी. हाल ही में चमकी बुखार के कारण राज्य में 150 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है.

‘सरकार ईमानदारी से काम करे, तो अगले साल इंसेफलाइटिस से एक भी बच्चे की जान नहीं जाएगी’

साक्षात्कार: बिहार में इस साल अब तक एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के चलते मुज़फ़्फ़रपुर व उसके आसपास के ज़िलों में 150 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है. यह बीमारी 1995 में सामने आई थी, तब से हर साल बच्चों की मौत हो रही है, कभी कम तो कभी ज़्यादा. इस बीमारी के तमाम पहलुओं को लेकर मुज़फ़्फ़रपुर में साढ़े तीन दशक से काम कर रहे प्रख्यात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.अरुण शाह से उमेश कुमार राय की बातचीत.

बिहार में बच्चों की मौत के लिए प्रशासनिक विफलता व राज्य की उपेक्षा ज़िम्मेदार: डॉक्टरों की टीम

बिहार में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम से 150 से ज़्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है. अकेले मुज़फ़्फ़रपुर में तकरीबन 132 बच्चे इस बीमारी से मारे जा चुके हैं.

नीतीश सरकार ने चमकी बुखार पर शोध, जागरूकता, पुनर्वास के लिए कोई फंड नहीं मांगा

चमकी बुखार या एईएस से बिहार में अब तक क़रीब 150 बच्चों की मौत हो चुकी है. एईएस से निपटने के लिए बिहार सरकार की लापरवाही का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन 2019-20 के तहत इस पर शोध, पीड़ितों का पुनर्वास और लोगों को जागरूक करने के लिए किसी फंड की मांग नहीं की.

बिहार: चमकी बुखार से बच्चों की मौत के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वाले 39 लोगों पर केस दर्ज

बीते 18 जून को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुज़फ्फ़रपुर दौरे पर जाने के दौरान हरिवंशपुर गांव के लोगों ने चमकी बुखार से बच्चों की मौत और पानी की कमी को लेकर सड़क का घेराव किया था, जिसके चलते पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है. नामजदों में क़रीब आधे दर्जन वे लोग हैं जिनके बच्चों की मौत चमकी बुखार से हुई है.