योगी सरकार बोली- दोगुनी आय के लिए दस लाख किसानों को प्रशिक्षित किया, किसान बोले- जुमलेबाज़ी है

यूपी सरकार का दावा, किसान पाठशाला के ज़रिये दस लाख किसानों को शिक्षित किया. किसानों ने कहा- व्यावहारिक स्तर पर कार्यक्रम हुआ ही नहीं, केवल कागजों तक सीमित है.

कॉरपोरेट की क़र्ज़माफ़ी से विकास होता है, किसानों की क़र्ज़माफ़ी विकास-विरोधी है

भाषणों में पूरी राजनीति और सरकार किसानों-ग़रीबों को समर्पित है लेकिन किसान अपनी उपज समर्थन मूल्य से भी कम पर बेचने को मजबूर है.

नोटबंदी पर मोदी जनता को और मूर्ख नहीं बना सकते

नोटबंदी से अमीरों का काला धन गरीबों को देने का प्रधानमंत्री मोदी का महान वादा एक डरावने मज़ाक में बदल चुका है क्योंकि पिछले साल भर में देश के कमज़ोर तबके पर नोटबंदी की सबसे ज़्यादा मार पड़ी है.

‘देश में भंडारण की व्यवस्था न होने से कृषि उत्पादन का 50 प्रतिशत तक बर्बाद हो जाता है’

देश में जल्दी ख़राब होने वाले कुल कृषि उत्पादों के 11 प्रतिशत का ही भंडारण हो पाता है, 440 अरब रुपये की क़ीमत के उत्पाद होते हैं बर्बाद.

क़र्ज़माफ़ी को फैशन बताने वाले उपराष्ट्रपति ने कहा- नेताओं व प्रेस ने किसानों के लिए कुछ न किया

उपराष्ट्रपति ने कृषि में और अधिक सरकारी निवेश की हिमायत करते हुए कहा, किसानों की आय नहीं बढ़ी, वे कृषि छोड़ना चाहते हैं.

गठबंधन सरकारों ने पूर्ण बहुमत वाली सरकारों से बेहतर आर्थिक वृद्धि दी: पूर्व आरबीआई गवर्नर

भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाईवी रेड्डी ने कहाकि वर्ष 2008 का वित्त आर्थिक संकट अभी तक टला नहीं है.

‘नए भारत’ के नए वादे पर आर्थिक संकट का काला बादल

2019 के चुनावों से 18 महीने पहले, भारत की राजनीतिक अर्थव्यवस्था पूरी तरह से लड़खड़ाई हुई दिखाई दे रही है, लेकिन नरेंद्र मोदी द्वारा लगातार 2022 तक पूरे किए जाने वाले नामुमकिन वादों की झड़ी लगाने का सिलसिला जारी है.

नफ़रत की राजनीति भारत को बांट रही है: राहुल गांधी

वॉशिंगटन में राहुल बोले, नोटबंदी से लाखों छोटे कारोबार तबाह हो गए. नोटबंदी का फ़ैसला आर्थिक सलाहकार या संसद की सलाह के बिना लिया गया. इससे अर्थव्यवस्था को काफ़ी नुकसान हुआ.

प्रधानमंत्री किसानों से ऐसा वादा कर रहे हैं जिसे पूरा करना संभव नहीं

मोदी जी ने मनमोहन सिंह के लिए कहा था, 'जिस देश के किसान ख़ुदकुशी कर रहे हैं वहां के सत्ताधारी लोगों को नींद कैसे आ सकती है?' अब पता नहीं उन्हें नींद कैसे आती होगी.

क्या भारत डब्ल्यूटीओ के जाल में फंस चुका है?

भारत सरकार अब इस बात से सहमत है कि खाद्य सब्सिडी को कम से कम किया जाना होगा, इस कारण से पूरी संभावना है कि भारत में रोज़गार, खाद्य सुरक्षा और आर्थिक गैर-बराबरी का दर्द अब और ज़्यादा बढ़ेगा.

नीति बनाने वाले किसान और उपभोक्ता को एक-दूसरे का दुश्मन बना रहे हैं

जब कुछ ख़ास व्यापारिक प्रतिष्ठानों का एकाधिकार स्थापित हो जाएगा, तब क़ीमतें सरकार और किसान नहीं, बड़ी कंपनियां तय करेंगी.

‘जीएसटी के लिए संसद को 12 बजे रात को खोला जा सकता है, मगर किसानों पर एक मिनट बात नहीं हो सकती’

राजग में शामिल पार्टी के सांसद का सवाल, क्या किसान आतंकवादी हैं? विपक्ष ने कहा, पहले फ़सलों के दाम दोगुना करने का वादा किया, अब किसानों पर गोली चला रही है सरकार.