भारत में अक्सर न्यायिक आज़ादी के रास्ते में कार्यपालिका और कभी-कभी विधायिका द्वारा बाधा डालने की संभावनाएं देखी जाती हैं, लेकिन जब न्यायपालिका के भीतर के लोग ही अन्य शाखाओं के सामने झुक जाते हैं, तो स्थिति बिल्कुल अलग हो जाती है.
जस्टिस अरुण मिश्रा द्वारा प्रार्थनास्थलों पर सरकार की नीति, अश्लीलता और लैंगिक न्याय को लेकर दिए गए फ़ैसले क़ानूनी पहलुओं से ज़्यादा उनके निजी मूल्यों पर आधारित नज़र आते हैं.
भारत के राजनीतिक तौर पर सर्वाधिक संवेदनशील मामलों को अनिवार्य रूप से जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ को ही भेजा जाता था और देश के सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम जज इसकी वजह जानने के लिए इतिहास में पहली बार मीडिया के सामने आए थे.
बीते पांच सितंबर को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने अपने फैसले में संशोधन करते हुए जस्टिस एके कुरैशी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की जगह त्रिपुरा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की थी.
बीते सितंबर महीने में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने अपने फैसले में संशोधन करते हुए जस्टिस एके कुरैशी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की जगह त्रिपुरा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की थी.
क़ानून मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक उच्च न्यायालयों में 420 न्यायाधीशों की कमी है, जो इस वर्ष अब तक सर्वाधिक है. एक अक्टूबर तक उच्च न्यायालयों में 659 न्यायाधीश थे, जबकि कुल मंज़ूर पद 1079 हैं.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने जस्टिस अकील कुरैशी की पदोन्नति के मामले में कॉलेजियम की सिफ़ारिश लागू करने का केंद्र को निर्देश देने के लिए गुजरात उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की.
इससे पहले इस साल मई महीने में कोलेजियम ने जस्टिस कुरैशी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाए जाने की सिफारिश की थी.
उच्च न्यायालयों में कुल 1,079 न्यायाधीश होने चाहिए. क़ानून मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक एक सितंबर को हाईकोर्ट में जजों के 414 पद खाली थे, जो इस साल की अब तक की सर्वाधिक रिक्तियां हैं.
केंद्र सरकार ने 22 जुलाई को बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस एए क़ुरैशी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाए जाने की सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम की सिफ़ारिश पर निर्णय लेने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा था. केंद्र सरकार ने अब और दस दिन का समय मांगा है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों के जजों की नियुक्ति लॉबिंग और पक्षपात के आधार पर होती है. जस्टिस पांडेय 4 जुलाई को सेवानिवृत्त होने वाले हैं.
सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की चार सिफ़ारिशों में से मोदी सरकार द्वारा मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सिर्फ़ जस्टिस एए क़ुरैशी की नियुक्ति को मंज़ूरी नहीं दी गई है.
रिज़र्व बैंक कर्मचारी यूनियन की ओर से कहा गया है कि इस तरह के संवेदनशील और महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति का फैसला मंत्रालय के कुछ अधिकारियों द्वारा नहीं किया जाना चाहिए. न ही वित्त मंत्री को यह काम करना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मदन बी. लोकुर ने एक कार्यक्रम में कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद जजों की नियुक्तियों को लेकर एक सीमा तय होनी चाहिए.
12 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जस्टिस प्रदीप नंदराजोग और जस्टिस राजेंद्र मेनन की पदोन्नति करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन 10 जनवरी को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना को पदोन्नत किया.