रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि कोविड-19 संक्रमण के दौरान दिल्ली के सरकारी और निजी अस्पताल केवल दिल्ली के ही रहवासियों का इलाज करेंगे. उपराज्यपाल अनिल बैजल ने इसे पलटते हुए प्रशासन को निर्देश दिया है कि वह सुनिश्चित करे कि रहवासी होने के आधार पर किसी भी मरीज़ को इलाज के लिए मना न किया जाए.
मामला राजस्थान के चूरू ज़िले का है. मुस्लिम मरीज़ों के साथ भेदभाव के संबंध में कर्मचारियों की कथित बातचीत लीक होने के बाद श्रीचंद बरडिया रोग निदान केंद्र के संचालक सुनील चौधरी ने फेसबुक पर माफी मांगी है.
वीडियो: दिल्ली के मौजपुर इलाके में रहने वाले आशीष जैन के परिवार में उनके पिता और भाई कोरोना संक्रमित पाए गए हैं, लेकिन उनकी जांच करवाने के लिए आशीष को दिल्ली के कई अस्पतालों में भटकना पड़ा. हाल ये है कि टेस्टिंग किट की कमी, अस्पतालों की अव्यवस्था और सही जानकारी तक उपलब्ध न कराने जैसी कई दिक्कतों का सामना लोग कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री की इस घोषणा से एक दिन पहले राज्य सरकार द्वारा गठित पांच सदस्यीय समिति ने सिफारिश की थी कि कोविड-19 संकट के मद्देनजर शहर के स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल केवल दिल्लीवालों के उपचार के लिए होना चाहिए.
तमिलनाडु में निजी अस्पतालों द्वारा कोरोना के इलाज के लिए अधिक फीस वसूलने संबंधी मरीजों की शिकायत के बाद स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति ने निजी अस्पतालों के लिए उचित शुल्क संबंधी रिपोर्ट तमिलनाडु सरकार को सौंपी थी.
कोरोना वायरस महामारी से संबंधित जानकारी छिपाने के लिए चीन के साथ कथित तौर पर मिलीभगत करने का आरोप लगाते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ सभी संबंध तोड़ लिए थे.
दिल्ली में कोविड मरीज़ों को बेड न मिलने की बढ़ती शिकायतों के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि अस्पताल में बेड्स की कोई कमी नहीं है. अब से अस्पतालों में बेड्स की उपलब्धता पर नज़र रखने के लिए दिल्ली सरकार हर निजी अस्पताल में एक चिकित्सा पेशेवर को तैनात करेगी.
शाहदरा के नंद नगरी के रहने वाले 80 साल के याचिकाकर्ता की ओर से तीन जून की सुबह दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, लेकिन याचिका दायर करने के कुछ ही घंटों के भीतर उनकी मौत हो गई.
दिल्ली में बढ़ते कोरोना मरीज़ों की संख्या के बीच अस्पतालों में बेड्स की अनुपलब्धता का मुद्दा लगातार सामने आ रहा है. दिल्ली सरकार द्वारा उपलब्ध बेड्स और वेंटिलेटर की जानकारी के लिए ऐप लॉन्च किए जाने और समुचित बेड्स होने के दावे के बीच लगातार कोविड मरीज़ और उनके परिजन अस्पताल दर अस्पताल भटकने को मजबूर हैं.
बिहार सरकार के आंकड़ों के मुताबिक बुधवार शाम तक राज्य में कोरोना संक्रमण से 25 मौतें हुई हैं. सरकार द्वारा क्वारंटीन सेंटर्स में हुई मौतों के बारे में कोई आंकड़ा जारी नहीं किया गया है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अब तक 10 ज़िलों के क्वारंटीन सेंटर्स में 20 से अधिक जानें जा चुकी हैं.
आईसीएमआर की विशेषज्ञ डॉ. निवेदिता गुप्ता ने कहा है कि महामारी पर लगाम लगाने के लिए भारत के कद़म प्रभावी रहे हैं और इससे मृत्यु दर में कमी आने में मदद मिली है. हम अन्य देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं.
आंतरिक दस्तावेजों से इस बात का खुलासा हुआ है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की बैठकों में चीन की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के भीतर सूचना और प्रतिस्पर्धा पर सख्त नियंत्रण को काफी हद तक दोष दिया गया था. हालांकि संगठन सार्वजनिक रूप से कोरोना वायरस से संबंधित जानकारी तुरंत उपलब्ध कराने के लिए चीन की लगातार सराहना करता रहा है.
15 जून के बाद बिहार में क्वारंटीन सेंटर्स को बंद किया जाएगा. साथ ही रेलवे स्टेशनों पर थर्मल स्क्रीनिंग भी बंद की जाएगी. राज्य सरकार का फ़ैसला ऐसे समय में आया है जब राज्य में कोरोना संक्रमण के 3,872 पॉजिटिव मामलों में से 2,743 लोग वे हैं जो तीन मई के बाद दूसरे राज्यों से लौटे हैं.
यह अहमदाबाद सिविल अस्पताल के गुजरात कैंसर एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट का मामला है. अस्पताल की ओर से बाद में कहा गया कि कहा गया है कि मरीज़ जीवित नहीं है. जिस कर्मचारी ने परिजनों से संपर्क किया था वह मरीज़ की अपडेटेड स्थिति से वाक़िफ़ नहीं था.
इससे पहले कोरोना वायरस को लेकर हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा था कि सरकार द्वारा संचालित अहमदाबाद सिविल अस्पताल की हालत दयनीय और कालकोठरी से भी बदतर है. बदलाव के बाद पीठ ने नाराज़गी ज़ाहिर की कि महामारी से निपटने को लेकर सरकार के बारे में की गईं अदालत की हालिया टिप्पणियों का ग़लत मंशा से दुरुपयोग किया गया.