खोखली भावनाओं की भ्रष्ट श्रद्धांजलि है ‘चंपारण सत्याग्रह’ का शताब्दी समारोह

आज़ादी के बाद किसान अपनी समस्याओं के निदान के लिए गांधी के बताए सत्याग्रह के मार्ग पर चल रहे हैं, पर सरकारों के लिए इसका कोई अर्थ नहीं रह गया है.

कभी जिससे अंग्रेज़ डरा करते थे, कांग्रेस का वह सेवादल अपनी आख़िरी सांसें गिन रहा है

ऐसे समय में जब कांग्रेस रास्ता खोज रही है, उसे अपने संगठन की ओर देखना चाहिए और उस लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करना चाहिए, जिसे 1969 के बाद लगातार ख़त्म किया जाता रहा है.