पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति ने कहा, पार्टियों के रणनीतिक निर्णयों को छोड़कर, उनके सभी प्रशासनिक फैसले और उनकी फंडिंग सार्वजनिक नज़रों में होने चाहिए.
मोदी जी ने मनमोहन सिंह के लिए कहा था, 'जिस देश के किसान ख़ुदकुशी कर रहे हैं वहां के सत्ताधारी लोगों को नींद कैसे आ सकती है?' अब पता नहीं उन्हें नींद कैसे आती होगी.
याकूब मेमन को क्षमादान देने के लिए राष्ट्रपति को पत्र लिखने के आरोप पर गोपाल कृष्ण गांधी ने कहा, मृत्युदंड के मामले में वे महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित हैं.
हरिशंकर परसाई का व्यंग्य: बाबा ने शान्ति से कहा, ‘देवी, तू तो 'इशू' है. 'इशू' से थोड़े ही पूछा जाता है. गोरक्षा आंदोलन वालों ने गाय से कहां पूछा था कि तेरी रक्षा के लिए आंदोलन करें या नहीं.’
'जनता की मांग पूरी करने में इतनी बुद्धि, वक़्त और पैसा ठोंक दोगे तो अगला चुनाव कैसे लड़ोगे? जनता जो मांग रही है, वो सच में दे दिया तो अगले चुनावी घोषणापत्र में क्या सबको मंगल की सैर कराने का वादा करोगे?'
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने ईवीएम चुनौती के मौजूदा स्वरूप पर सवाल करते हुए हिस्सा लेने से इंकार कर दिया है.
निराशा और निष्क्रियता के गर्त में चले गए विपक्षी दलों को संबोधित करते हुए एक खुला ख़त लिख रहे हैं राजद के प्रवक्ता मनोज कुमार झा...
एक दशक तक चले माओवादी उग्रवाद के चलते 1997 के बाद स्थानीय स्तर के चुनाव आयोजित नहीं कराए जा सके.
मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने कहा, पार्टियों को चुनौती देंगे कि वे 5 राज्यों के चुनाव में इस्तेमाल की गई ईवीएम में गड़बड़ी के अपने दावे को सच साबित करके दिखाएं.
भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता एकीकृत दिल्ली नगर पालिका की स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष भी रहे हैं. नगर निगम चुनावों को लेकर विजेंद्र से गौरव विवेक भटनागर की बातचीत.
जनता दल यूनाइटेड की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष संजय झा के मुताबिक, उनकी पार्टी गंदे इलाकों में रह रहे लाखों पूर्वांचलियों की समस्याओं को मुद्दा बनाकर नगर निगम का चुनाव लड़ रही है.
स्वराज इंडिया पार्टी के संस्थापक सदस्य योगेंद्र यादव, गौरव विवेक भटनागर को बता रहे हैं कि उनकी पार्टी एकमात्र ऐसी है जो पर्यावरण के मुद्दे पर दिल्ली नगर निगम का चुनाव लड़ रही है.
सरकार के हिंसा पर एकाधिकार को तब ही स्वीकार किया जा सकता है जब वह क़ानून के दायरे में हो; अगर ऐसा नहीं है तब कोई उसके इस एकाधिकार को तोड़ता है तो उसे ग़लत नहीं ठहराया जा सकता.
श्रीनगर लोकसभा उपचुनाव में मात्र 6.5 फ़ीसदी वोट पड़े. तीन साल पहले तक चुनावों में हुर्रियत के बहिष्कार की अपील को ठुकरा कर बड़ी संख्या में मतदान करने वाले लोग आज जनाज़ों के पीछे भारत-विरोधी नारों के साथ क्यों हैं?
फ़ारूक़ ने कहा, घाटी के खराब हालातों के बावजूद लोग बाहर आए और वोट किया जो ये साबित करता है कि उनका नेशनल कांफ्रेस पर भरोसा है.