आपको वैश्विक ताकत बनना है तो क्या आप सांप्रदायिक बनकर रह सकते हैं: पूर्व प्रधान न्यायाधीश

पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस खेहर ने कहा कि आज़ादी के समय भारत ने धर्मनिरपेक्ष रहना पसंद किया था, लेकिन हम उसे भूल गए.

क्या भारत की राजनीति ने अपना धर्म चुन लिया है?

कभी हाशिये पर रही हिंदुत्व की राजनीति आज मुख्यधारा की राजनीति बन चुकी है. संघ के लिए इससे बड़ी सफलता भला और क्या हो सकती है कि देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियां नरम/गरम हिंदुत्व के नाम पर प्रतिस्पर्धा करने लगें.

साल 2018 में ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द संविधान से हटाए बिना ही चलन से बाहर कर दिया जाएगा

नरेंद्र मोदी सरकार कई अहम मोर्चों, मसलन रोज़गार और निवेश पर नाकाम रही है. जैसा कि हमने उत्तर प्रदेश और अब गुजरात में देखा, जब बाकी सारी चीज़ें चुक जाती हैं, तब हिंदुत्व काम आता है.

‘राहुल के सवालों का ही नतीजा है कि मोदी केवल हिंदू-मुस्लिम एवं पाकिस्तान की बात कर रहे हैं’

विपक्षी नेताओं को उम्मीद, गुजरात चुनाव के नतीजे अनुकूल हुए तो विपक्षी एकता में नई जान फूंक सकेंगे राहुल गांधी.

आॅनलाइन गुंडागर्दी: ट्रोल्स वो बंदर हैं जिनके हाथ सोशल मीडिया का उस्तरा लग गया है

ट्रोलिंग पर विशेष सीरीज़: वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ बता रहे हैं कि ट्रोल्स को गंभीरता से लिए जाने की ज़रूरत नहीं है.

जनता को झूठे सपनों, निराधार तथ्यों और धर्म की भांग ने मदमस्त कर रखा है

कभी-कभी मोमबत्तियां लेकर, मानव श्रृंखला बनाकर खड़ा होने वाला भारत का बौद्धिक वर्ग छोटे-छोटे स्वार्थों, छोटी-छोटी नौकरियों और बड़े-बड़े पैकेजों के चक्कर में अपना दायित्व भूल गया है.

असहिष्णु आवाज़ों को हमारी ख़ामोशी से ही ताकत मिलती है: गौरी लंकेश

गौरी का अख़बार उनके तेज़तर्रार और तर्कवादी पिता की ही तरह धर्मनिरपेक्षता, दलितों, महिलाओं और समाज में पिछड़े लोगों के अधिकारों के प्रति मुखर रहता था.