जहां एक तरफ कई भाजपा शासित राज्यों की सरकारें 'लव जिहाद' के ख़िलाफ़ अध्यादेश लाने की पूरी तैयारी कर चुकी हैं, वहीं विपक्ष ने सरकारों के इस तरह का क़ानून बनाने को व्यक्तिगत स्वतंत्रता में दख़ल और देश में सांप्रदायिक खाई गहरी करने का प्रयास क़रार दिया है.
मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि विधानसभा के अगले सत्र में ‘लव जिहाद’ के ख़िलाफ़ विधेयक पेश होगा, जिसमें 'लव जिहाद' को ग़ैर ज़मानती अपराध घोषित करते हुए मुख्य आरोपी और उसका साथ देने वालों को पांच साल के कठोर कारावास की सज़ा का प्रावधान किया जाएगा.
बीते अक्टूबर में राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की थी और बताया था कि इस दौरान राज्य में लव जिहाद के बढ़ रहे मामलों सहित कई मुद्दों पर बात हुई थी. अब एक आरटीआई के जवाब में आयोग ने कहा है कि वह इस तरह का कोई डेटा नहीं रखता है.
जब ख़ुद केंद्र सरकार मान चुकी है कि लव जिहाद नाम की कोई चीज़ है ही नहीं, तो फिर कुछ राज्य सरकारों को उस पर क़ानून लाने की क्यों सूझी?
ऐसा कोई क़ानून नहीं है, जिसके तहत किसी व्यक्ति द्वारा पहचान छिपाकर किसी महिला से शादी करने के लिए उसे मौत की सज़ा सुनाई जा सके, इसलिए अंतिम संस्कार से जुड़ा मुख्यमंत्री का संदर्भ भीड़ हिंसा के लिए धर्म के ठेकेदारों को प्रोत्साहित करने के समान है.
एक विवाहित दंपति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आग्रह किया था कि परिवार वालों द्वारा उनके शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप करने पर रोक लगाने के लिए निर्देश दिए जाएं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इससे पहले भी लव जिहाद की घटनाएं रोकने के लिए राज्य के गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को योजना तैयार करने का निर्देश दिया था.
तमिलनाडु के नादुर गांव में दो दिसंबर को दीवार गिरने से 17 लोगों की मौत हो गई थी. उस दीवार को एक व्यक्ति खुद के घर को दलितों से अलग करने के लिए बनाया था. उसके खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई नहीं होने से दलित समुदाय के लोगों ने यह फैसला लिया है.
गुजरात विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने बताया कि धर्म परिवर्तन की अनुमति मांगने वाले हिंदुओं में सर्वाधिक 474 लोगों ने सूरत से, 152 लोगों ने जूनागढ़ से और 61 लोगों ने आणंद से आवेदन किया है.
राजधानी भोपाल के कमला नेहरू गर्ल्स हॉस्टल की छात्राओं ने मुख्यमंत्री को लिखा है कि वार्डन धर्म बदलने और उनके धर्म के बारे में प्रचार करने का दबाव बनाती हैं. मना करने पर दुर्व्यवहार किया जाता है.
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री ने कहा, बाबासाहब अंबेडकर ने बौद्ध धर्म तब अपनाया जब उन्हें भरोसा हो गया कि दलितों को हिंदू धर्म में न्याय नहीं मिलेगा.
अदालत ने पूछा, पुलिस कैसे मान सकती है कि 10 रुपये के स्टांप पर हलफ़नामा देने से लड़की का धर्म परिवर्तन क़ानूनन जायज़ है जबकि क़ानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.
हम भी भारत की छठी कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी लव जिहाद और केरल की हादिया मामले पर वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण और वरिष्ठ पत्रकार नेहा दीक्षित के साथ चर्चा कर रही हैं.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ इलाक़ों में दलित समुदाय धर्म परिवर्तन करके बौद्ध धर्म अपना रहे हैं. दलितों के ख़िलाफ़ जातीय हिंसा न रोक पाने की सरकार की विफलता को लेकर दलित समुदाय में ग़ुस्सा है.