सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार के क़दम को कोई व्यक्ति चुनौती दे सकता है, लेकिन राज्य नहीं, यह संघीय व्यवस्था के ख़िलाफ़ है.
विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभ प्राप्त करने के लिए आधार को जोड़ने की समय सीमा 31 दिसंबर से बढ़ाकर 31 मार्च 2018 कर दी गई है.
कोई मंत्री या सरकारी कर्मचारी आपराधिक जांच के मुद्दों पर विचार व्यक्त करते हुए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दावा कर सकता है या नहीं, इस पर होगा विचार.
निजता को मौलिक अधिकार मानने के सिद्धांत पर आधारित होने की बजाय आधार वास्तव में इसके विरोध में खड़ा है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले की रौशनी में आधार पर फिर से विचार किए जाने की ज़रूरत है.
व्यक्ति कुछ मौलिक अधिकारों से संपन्न है. संविधान इन अधिकारों की निशानदेही कर राज्य को बताता है कि वह व्यक्ति के जीवन में कहां हस्तक्षेप नहीं कर सकता.
निजता के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सत्ता और समाज को ठहर के सामूहिक चिंतन करने का एक अवसर देता है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीफ रखने को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था. इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की.
जन गण मन की बात की 106वीं कड़ी में विनोद दुआ निजता के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और बलात्कार के एक मामले में आरोपी गुरमीत राम रहीम पर चर्चा कर रहे हैं.
उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने एकमत से कहा, निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का स्वाभाविक अंग है.
नौ जजों की एक बेंच सुनवाई कर रही है कि क्या निजता के अधिकार को संविधान के तहत बुनियादी अधिकार करार दिया जा सकता है.
उच्चतम न्यायालय ने यह आदेश आधार योजना की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दिया. आरोप है कि आधार योजना निजता के मौलिक अधिकार का अतिक्रमण करती है.