गुजरात में वर्ष 2002 से 2006 के बीच कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ में तीन लोगों मार दिए गए थे. पीड़ित परिवारों के वकील ने कहा कि जस्टिस बेदी आयोग की रिपोर्ट यह बताती है कि किन पुलिसकर्मियों ने पीड़ितों की हत्या की लेकिन उनके आकाओं, जो आईपीएस अधिकारी और भाजपा नेता हो सकते हैं उनके बारे में कुछ बात नहीं कहती.
सोहराबुद्दीन शेख़ फ़र्ज़ी एनकाउंटर मामले में बीते साल 21 दिसंबर को सीबीआई अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया था. आरोपियों में अधिकतर गुजरात और राजस्थान के जूनियर स्तर के पुलिस अधिकारी शामिल थे.
सीबीआई ने कोर्ट में कहा कि उसने गुजरात सरकार से मुकदमा चलाने के लिए इजाजत मांगी थी लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.
राज्य सरकार ने 2004 में इशरत जहां मुठभेड़ मामले में ज़मानत पर बाहर आईपीएस अधिकारी जीएल सिंघल को प्रमोशन देते हुए उन्हें पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) के पद पर नियुक्त किया है.
सोहराबुद्दीन हत्या मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने कहा कि इस मामले का मुख्य आधार चश्मदीद गवाह थे, जो अपने बयान से मुकर गए. नवंबर 2017 से शुरू हुई सुनवाई में 210 गवाहों की जांच की गई, जिनमें से 92 अपने बयान से पलट गए.
इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मणिपुर, असम, नगालैंड और मेघालय के प्रमुख समाचार.
आफ्स्पा सैन्य बलों को शांति के लिए ख़तरा माने जाने वालों पर गोली चलाने की आज़ादी देता है, लेकिन यह उन्हें फ़र्ज़ी मुठभेड़ या दूसरी तरह के अत्याचार करने का अधिकार प्रदान नहीं करता.
मणिपुर और जम्मू कश्मीर में सशस्त्र कार्रवाई में शामिल सैनिकों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज किए जाने को चुनौती देते हुए 300 से अधिक सैन्यकर्मियों ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी.
बीते 27 नवंबर को उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले के 20 वर्षीय युवक इरशाद अहमद की गोली मार कर हत्या कर दी थी. बीते 26 नवंबर को शामली में राजेंद्र नामक युवक की पुलिस वैन से खींचकर हत्या कर दी गई थी.
क्या अमित शाह कभी सोचते होंगे कि हरेन पांड्या की हत्या और सोहराबुद्दीन-कौसर बी-तुलसीराम एनकाउंटर की ख़बर ज़िंदा कैसे हो जाती है? अमित शाह जब प्रेस के सामने आते होंगे तो इस ख़बर से कौन भागता होगा? अमित शाह या प्रेस?
पुलिसकर्मियों ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि पीठ ने कुछ आरोपियों को पहले ही अपनी टिप्पणी में ‘हत्यारा’ बताया था. कोर्ट ने कहा कि एसआईटी द्वारा इन मामलों में की जा रही जांच पर संदेह का कोई कारण नहीं है.
सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई के दौरान एक गवाह ने कहा कि पूर्व आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा के कहने पर सोहराबुद्दीन ने हरेन पंड्या की हत्या की थी.
उत्तर प्रदेश के नोएडा में चेकिंग के दौरान एक ट्रेनी सब इंस्पेक्टर ने जिम ट्रेनर को गोली मार दी थी. आरोप है कि सब इंस्पेक्टर ने प्रमोशन की वजह से ऐसा किया था.
क्या सैनिकों के ऐसे क़दम को सर्वोच्च अदालत के फैसले की जानबूझकर अवज्ञा माना जाए या आर्मी एक्ट के बुनियादी उसूलों का उल्लंघन? ये याचिकाएं भले राजनीतिक रूप से प्रेरित न हों, लेकिन ग़लत मशविरे का परिणाम लगती हैं. साथ ही यह उस ‘अनुशासन’ के ख़िलाफ़ हैं, जिसका प्रतिनिधित्व भारतीय सेना करती है.
सोहराबुद्दीन शेख मामले की जांच के बाद इसे फ़र्ज़ी बताने वाले गुजरात पुलिस के पूर्व इंस्पेक्टर वीएल सोलंकी ने द वायर को बताया कि सरकार हर वो तरीका इस्तेमाल कर चुकी है, जिससे मैं कोर्ट तक न पहुंच सकूं.
यह क़दम इस बात का संकेत देता है कि सैनिकों को यह लगता है कि आफ्सपा लागू होने के बावजूद उस पर अन्यायपूर्ण तरीक़े से मुक़दमा चलाया जा रहा है. सर्वोच्च न्यायालय का फ़ैसला चाहे जो भी आए, मगर ऐसा लगता है कि सैनिक अपने धैर्य के आख़िरी बिंदु पर पहुंच गया है.
छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले में छह अगस्त को हुई मुठभेड़ में पुलिस के 15 नक्सलियों को मारने के दावे पर स्थानीय ग्रामीणों ने सवाल उठाते हुए कहा था कि नक्सलियों के नाम पर निर्दोष आदिवासियों की हत्या की गई है. मामले की स्वतंत्र जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई है.
ग्रामीणों का आरोप है कि मुठभेड़ के वक्त मौके पर कोई माओवादी नहीं था बल्कि बड़ी संख्या में पुलिस जवानों को देखकर ग्रामीण भागने और छिपने की कोशिश कर रहे थे जिन पर बिना कुछ कहे और बताए गोलियां बरसा दी गईं. मरने वालों में 6 नाबालिगों के होने का भी दावा है.
विशेष सीबीआई अदालत ने कहा कि मुठभेड़ के दौरान मौके पर पूर्व पुलिस अधिकारी एनके अमीन भी मौजूद थे.
इशरत जहां की मां ने वंज़ारा और अमीन की याचिकाओं का विरोध करते हुए अदालत को बताया कि उनकी बेटी की उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारियों तथा प्रभावशाली और शक्तिशाली पदों पर बैठे लोगों के बीच हुई साज़िश के बाद हत्या की गई.
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा कि उत्तर प्रदेश में हाल ही में 500 मुठभेड़ हुई हैं, जिनमें कुल 58 लोग मारे गए.
विशेष सीबीआई अदालत में डीजी वंजारा को आरोप मुक्त करने से जुड़ी अर्जी पर हो रही सुनवाई में उनके वक़ील ने कहा कि सीबीआई द्वारा इशरत की कार को लेकर दी गई थ्योरी ग़लत है.
मामले में आरोपी गुजरात पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी का वंजारा का कहना है कि इस मामले में गुप्त रूप से मोदी से पूछताछ हुई थी, लेकिन इस बात को रिकॉर्ड पर नहीं रखा गया.
पत्र में एसोसिएशन ने दावा किया है कि जस्टिस मोहिते डेरे का ट्रांसफर संदेहपूर्ण है क्योंकि वे इस मामले में सीबीआई के रवैये को लेकर लगातार जांच एजेंसी को फटकार चुकी हैं.
अदालत ने कहा कि अभियोजन का केस क्या है, यही अब तक स्पष्ट नहीं है. साथ ही सीबीआई बरी किए गए लोगों के ख़िलाफ़ साक्ष्य पेश करने में भी विफल रही है.
विधान परिषद में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग जनता के प्रति जवाबदेही के बजाय अपराधियों के प्रति सहानुभूति दिखा रहे हैं. यह लोकतंत्र के लिए ख़तरनाक है.
सोहराबुद्दीन शेख़ एनकाउंटर मामले में सीबीआई अब तक 15 लोगों को आरोप मुक्त कर चुकी हैं जिसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और गुजरात एटीएस के पूर्व अधिकारी डीजी वंज़ारा भी शामिल हैं.
मणिपुर में वर्ष 2000 से 2012 के बीच सुरक्षा बलों और पुलिस पर कथित रूप से की गई 1528 फ़र्ज़ी मुठभेड़ और ग़ैर-न्यायिक हत्याओं का आरोप है.
उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेताओं ने पुलिस मुठभेड़ के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया. प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद 1,142 पुलिस मुठभेड़ में 38 लोग मारे जा चुके हैं.
सोहराबुद्दीन शेख़ एनकाउंटर मामले में सीबीआई कोर्ट के भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को बरी किए जाने के फैसले को सीबीआई द्वारा चुनौती न देने को ग़ैरक़ानूनी बताते हुए बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में याचिका दाख़िल की है.
अधिवक्ता संघ ने उच्च न्यायालय से सीबीआई को निर्देश देने का आग्रह किया है कि वह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को बरी करने के सत्र अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए एक समीक्षा याचिका दायर करे.
मणिपुर में वर्ष 2000 से 2012 के बीच सुरक्षा बलों और पुलिस पर कथित रूप से की गई 1528 फ़र्ज़ी मुठभेड़ और ग़ैर-न्यायिक हत्याओं का आरोप है.
साल 2017 में पूर्व आईपीएस डीजी वंज़ारा और दिनेश एमएन को सोहराबुद्दीन शेख़ एवं तुलसीराम प्रजापति कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ मामलों में आरोपमुक्त कर दिया गया था.
मीडिया बोल की 30वीं कड़ी में उर्मिलेश मुठभेड़ में हत्या करने के दौर और उसके मीडिया कवरेज पर मानवाधिकार कार्यकर्ता रवि नायर व वरिष्ठ पत्रकार पूर्णिमा जोशी से चर्चा कर रहे हैं.
फर्ज़ी मुठभेड़ के आरोप में कई साल न्यायिक हिरासत में रह चुके एनके अमीन और तरुण बारोट को रिटायर होने के बाद गुजरात सरकार ने पुलिस अधीक्षक पद पर नियुक्त किया था.
2010 के माछिल फर्ज़ी मुठभेड़ मामले में दोषी पाए गए पांच जवानों की आजीवन कारावास की सज़ा पर रोक लगाते हुए सैन्य बल न्यायाधिकरण ने उन्हें ज़मानत दे दी है.
इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मणिपुर, असम, नगालैंड और त्रिपुरा के प्रमुख समाचार.
सोहराबुद्दीन शेख़ और तुलसी प्रजापति कथित फर्ज़ी मुठभेड़ मामलों में विशेष सीबीआई अदालत ने सुनाया फैसला.
मणिपुर में सन 2000 से 2012 के बीच सेना और पुलिस पर कथित रूप से 1528 गैर-न्यायिक हत्याएं करने का आरोप है. कोर्ट ने सीबीआई निदेशक से कहा, जांच अधिकारियों की टीम गठित करें.
केंद्र सरकार ने क्यूरेटिव याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से 1528 कथित फर्जी मुठभेड़ों की जांच के आदेश पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया है.