हम हीरो नहीं हैं, हम फिल्म नहीं चुनते, फिल्में हमें चुनती हैं: राजेश शर्मा

खोसला का घोंसला, नो वन किल्ड जेसिका, लव शव ते चिकन खुराना और स्पेशल 26 जैसी फिल्मों में ख़ास भूमिका निभाने वाले अभिनेता राजेश शर्मा से बातचीत.

सुरक्षा मिले तो यौन उत्पीड़न करने वालों का खुलासा ज़रूर करूंगी: रिचा चड्ढा

बॉलीवुड अभिनेत्री रिचा चड्ढा ने कहा, यौन उत्पीड़न करने वालों का नाम नहीं लिया जा सकता क्योंकि उसके बाद काम मिलने की गारंटी नहीं होती.

हमारे सुपरस्टार सत्ता की ख़ुशामद क्यों करते हैं?

एक बार शोहरत या पैसा, या दोनों हासिल कर लेने के बाद भारतीय अभिनेता, कारोबारी और खिलाड़ी सामाजिक मुद्दों या सरकार के ख़िलाफ़ बोलकर इसे दांव पर लगाने का ख़तरा मोल नहीं लेना चाहते.

ऐन इनसिग्निफिकेंट मैन: आम आदमी से दिल्ली के मुख्यमंत्री तक का सफ़र

वीडियो: आम आदमी पार्टी के विकास पर आधारित ऐन इनसिग्निफिकेंट मैन फिल्म की निर्देशक जोड़ी खुशबू रांका और विनय शुक्ला से अजय आशीर्वाद की बातचीत.

मरने से पहले मैं पाकिस्तान देखना चाहता हूं: ऋषि कपूर

अभिनेता ऋषि कपूर ने फ़ारूक़ अब्दुल्ला का समर्थन करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर हमारा है और पीओके उनका. इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर किए गए ट्रोल.

नेताओं को पता होना चाहिए कि उन्होंने देश नहीं बनाया, जनता ने बनाया है: जावेद अख़्तर

मशहूर शायर व गीतकार ने कहा, टीपू सुल्तान भारतीय नहीं थे और अगर मैं इससे सहमत नहीं, तो मैं राष्ट्रद्रोही बन जाऊंगा, तो मैं राष्ट्रद्रोही हूं.

भंसाली की फिल्म पद्मावती पर बैन से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में सुनवाई कर रही संवैधानिक पीठ ने कहा कि सेंसर बोर्ड के पास रिलीज़ की अनुमति देने के लिए पर्याप्त दिशा-निर्देश हैं.

‘अरविंद केजरीवाल और योगेंद्र यादव हमारी वर्तमान राजनीति की दो ज़रूरतें हैं’

निर्देशक खुशबू रांका और विनय शुक्ला ने कहा, फिल्म ऐन इनसिग्निफिकेंट मैन भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से लेकर अरविंद केजरीवाल के एक राजनेता के तौर पर उभरने की कहानी है.

‘जाने भी दो यारों’, ‘नुक्कड़’ और ‘वागले की दुनिया’ के निर्देशक कुंदन शाह का निधन

साल 2015 में बढ़ती असहिष्णुता और एफटीआईआई अध्यक्ष के रूप में गजेंद्र चौहान की नियुक्ति के विरोध में राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाने वाले 24 निर्देशकों में से कुंदन शाह भी एक थे.

हृषिकेश मुखर्जी: जिसने सिनेमा के साथ दर्शकों की भी नब्ज़ पढ़ ली थी

हृषिकेश सिनेमा के रास्ते पर आम परिवारों की कहानी की उंगली थामे निकले थे. ये समझाने कि हंसी या आंसुओं को अमीर-गरीब के खांचे में नहीं बांटा जा सकता.