आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2017 तक सभी बैंकों की गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) 8,40,958 करोड़ रुपये थीं. सबसे अधिक एनपीए भारतीय स्टेट बैंक का 2,01,560 करोड़ रुपये था.
सरकारी बैंकों ने 2014-15 से सितंबर 2017 तक 2.41 लाख करोड़ रुपये का क़र्ज़ बट्टे खाते में डाला: सरकार
वित्त राज्यमंत्री शिवप्रताप शुक्ला ने राज्यसभा में रिज़र्व बैंक के हवाले से एक लिखित जवाब में यह जानकारी दी.
2010 तक पीयूष गोयल एक डिफॉल्टर कंपनी शिरडी इंडस्ट्रीज़ के निदेशक थे, जिसने सरकारी बैंकों से लिया क़र्ज़ चुकाया नहीं, उल्टे एक अन्य कंपनी के ज़रिये गोयल की पत्नी की फर्म को 1.59 करोड़ रुपये का अनसिक्योर्ड लोन दिया.
कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड के प्रवर्तक निदेशक और निदेशक के ख़िलाफ़ भारतीय स्टेट बैंक की शिकायत पर एफआईआर दर्ज. 14 बैंकों के गठजोड़ से कंपनी के प्रवर्तकों ने लिया था ऋण.
वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च 2017 तक कुल 1,762 डिफाल्टरों के ऊपर भारतीय स्टेट बैंक का 25,104 करोड़ रुपये बकाया है. वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों का 8,915 डिफाल्टरों पर 92,376 करोड़ रुपये बकाया है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पीएनबी घोटाले के बाद काफ़ी लोगों ने निजीकरण की बात शुरू कर दी है. भारत में बैंकों के निजीकरण को राजनीतिक रूप से स्वीकार नहीं किया जाएगा.
आयोग को बैंकों के नौ अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने की अनुमति मिलने का इंतजार है. उन्हें सीबीआई ने भ्रष्टाचार में कथित संलिप्तता के लिए हिरासत में लिया था.
वित्त वर्ष 2016-17 में हज़ार करोड़ से ऊपर की राशि बट्टे खाते में डालने वाले स्टेट बैंक ने अप्रैल से नवंबर 2017 के बीच न्यूनतम बैलेंस न रखने पर आम ग्राहकों से 1,771 करोड़ का जुर्माना वसूला था.
रिज़र्व बैंक ने कहा, मर्चेंट बैंकरों के बीच हितों का टकराव एनपीए बढ़ने की की बड़ी वजह.
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, हमें उम्मीद थी कि जब हमारी सरकार बनेगी तो अर्थव्यवस्था में सुधार की दिशा में आगे बढ़ेंगे लेकिन जिस गति से योजनाओं पर काम होना था वो नहीं हुआ.
यशवंत सिन्हा लिखते हैं, ‘प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उन्होंने गरीबी को नज़दीक से देखा है. उनके वित्त मंत्री सुनिश्चित कर रहे हैं कि देशवासियों को भी इसे उतने ही पास से देखने का मौका मिले.’
राजन ने कहा, बैंकों को पेशेवर बनाने और उनमें से राजनीतिक हस्तक्षेप दूर करने के लिए लगातार प्रयास किए जाने चाहिए.
10 बड़े बिजनेस समूहों पर 5 लाख करोड़ का कर्ज़ बक़ाया है. इन पांच लाख करोड़ के लोन डिफॉल्टर वालों के यहां मंत्री से लेकर मीडिया तक सब हाजिरी लगाते हैं.