कानपुर जैसे शहर में एक युवा कम्युनिस्ट और ट्रेड यूनियन के सदस्य के बतौर काम करने के दौरान देखे गए पुलिस और प्रशासन के पक्षपातपूर्ण रवैये ने मेरे लिए वर्गीय दृष्टिकोण और वर्गीय सत्ता की सच्चाई को और प्रमाणित कर दिया.
गुजरात के भरूच ज़िले का मामला है. तीन श्रमिक टैंक के अंदर द्रव से ठोस अपशिष्ट अलग कर रहे थे, तब यह घटना घटी. वे ज़हरीली गैस के कारण अचानक बेहोश हो गए.
अमेरिका के प्यू रिसर्च सेंटर ने एक रिपोर्ट में कहा कि कोविड-19 महामारी के एक साल के दौरान मध्यम वर्ग की संख्या महामारी के पहले की तुलना में एक तिहाई घटकर 6.6 करोड़ रह गई, जिनका महामारी के पहले 9.9 करोड़ होने का अनुमान लगाया गया था.
उत्तर प्रदेश हमीरपुर ज़िले के एक गांव में 50 वर्षीय मज़दूर ने पेड़ से फांसी लगा ली. वहीं, बांदा ज़िले के मटौंध क्षेत्र में आर्थिक तंगी से परेशान एक किसान ने अपने घर में कथित रूप से फांसी लगा ली है.
वीडियो: 24 वर्षीय नवदीप कौर मज़दूर अधिकार संगठन की सदस्य हैं, जिन्हें बीते 12 जनवरी को सोनीपत में एक औद्योगिक इकाई पर हुए प्रदर्शन के दौरान गिरफ़्तार किया गया था. पुलिस ने उन पर हत्या के प्रयास और उगाही के आरोप में तीन मामले दर्ज किए थे. कुछ दिन पहले उन्हें ज़मानत मिली है.
दलित अधिकार कार्यकर्ता नवदीप कौर के साथ काम करने वाले मजदूर अधिकार कार्यकर्ता शिव कुमार को एक औद्योगिक इकाई के ख़िलाफ़ संगठन बनाकर विरोध करने के लिए दर्ज दो मामलों में तीन मार्च और एक मामले में 4 मार्च को ज़मानत मिल गई. 12 जनवरी को कौर की गिरफ़्तारी के बाद शिव कुमार को हिरासत में लिया गया था.
नवदीप कौर और शिव कुमार दोनों मज़दूर अधिकार संगठन के सदस्य हैं. दोनों को जनवरी में गिरफ़्तार किया गया था. आरोप है कि दोनों कृषि क़ानून के विरोध में हो रहे किसान आंदोलन को लेकर लोगों को एकजुट कर रहे थे, जिसकी वजह से उन्हें गिरफ़्तार किया गया.
झारखंड के पाकुड़ वन प्रभाग की सीमा पर काम करने वाले 250 मज़दूरों को बीते नौ महीनों से मज़दूरी नहीं दी गई थी, जिसके बाद वन परिक्षेत्र के एक अधिकारी ने जनहित याचिका दायर कर हाईकोर्ट से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की थी. नोटिस में यह बताने के लिए कहा गया है कि उन्हें सेवानिवृत्त क्यों नहीं किया जाना चाहिए?
कोरोना वायरस महामारी के दौरान प्रवासी मज़दूरों के सामने खड़ी हुईं समस्याओं को दूर करने के लिए श्रम मंत्रालय नीति आयोग की अगुवाई में एक नीति तैयार कर रही है. मसौदा नीति में कहा गया है कि प्रवासी मज़दूरों का राजनीतिक समावेश किया जाना चाहिए, ताकि राजनीतिक नेतृत्व को उनके लिए जवाबदेह ठहराया जा सके.
केंद्र सरकार श्रम संहिताओं के तहत नियमों को अंतिम रूप दे रहा है. दस केंद्रीय मज़दूर संगठनों की संयुक्त मंच द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि सभी चार संहिताओं को रोक दिया जाना चाहिए और फिर इन श्रम संहिताओं पर केंद्रीय मज़दूर संगठनों के साथ सच्ची भावना से द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय बातचीत होनी चाहिए.
2021 में जाते हुए क्या उस सब से उबरना मुमकिन होगा, जिसमें हमने साल 2020 बिताया है?
ये मज़दूर झारखंड के पाकुड़ वन प्रभाग की सीमा पर काम करते हैं. उनका कहना है कि उन्हें बीते नौ महीनों से मज़दूरी नहीं दी गई है जबकि वे इस मामले को कई बार प्रशासन के संज्ञान में ला चुके हैं. इस संबंध में झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका कर मज़दूरी दिलाने की मांग की गई है.
मामला बिजनौर का है, जहां एक दिहाड़ी मज़दूर अफ़ज़ल को प्रदेश में लागू हुए नए धर्मांतरण विरोधी क़ानून के तहत गिरफ़्तार किया गया है. पुलिस ने अफ़ज़ल पर अपहरण का आरोप भी लगाया है.
गुजरात के अहमदाबाद शहर का मामला. पुलिस ने बताया कि दोनों श्रमिकों को रसायन टैंक की सफाई से पहले सुरक्षा उपकरण मुहैया नहीं कराए गए थे.
गुजरात के अहमदाबाद शहर के बाहरी इलाके के एक औद्योगिक क्षेत्र में स्थित रासायनिक फैक्टरी में बुधवार को हुआ विस्फोट इतना जबरदस्त था कि बगल में स्थित कपड़े के गोदाम की इमारत भी ढह गई. इधर, महाराष्ट्र में रायगढ़ ज़िले की एक रासायनिक फैक्टरी में हुए विस्फोट में दो लोगों की मौत की सूचना है.