कश्मीर में पिछले साल नौ अप्रैल को सेना ने फ़ारूक़ को पत्थरबाज़ बताते हुए जीप की बोनट से बांधकर कई गांवों में घुमाया था. घटना के एक साल बाद भी फ़ारूक़ अवसाद में हैं.
9 अप्रैल 2017 को सेना द्वारा जीप पर बांधकर घुमाए गए फ़ारूक़ अहमद डार साल भर बाद भी अपनी सामान्य ज़िंदगी में लौटने के लिए जूझ रहे हैं.
द्राबू की बर्ख़ास्तगी के बाद एक भाजपा नेता ने कहा कि इससे पीडीपी-भाजपा गठबंधन के बीच दरार चौड़ी होगी.
जन गण मन की बात की 193वीं कड़ी में विनोद दुआ विभिन्न क्षेत्रों में उत्तर प्रदेश की बदहाली और जम्मू कश्मीर में भाजपा पीडीपी गठबंधन की असफलताओं पर चर्चा कर रहे हैं.
कश्मीर के हालात अब न सैनिकों के लिए अच्छे रह गए हैं, न वहां की जनता के लिए. दोनों के मन में एक-दूसरे के प्रति संदेह का पहाड़ खड़ाकर कर दिया गया है जो रास्ता छोड़ने को तैयार नहीं.
जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि कश्मीर की बिगड़ती सुरक्षा स्थिति की वजह से घाटी में सेना की तैनाती में इज़ाफ़ा हुआ है. यदि स्थिति बिगड़ती है, तो सुरक्षा बलों की संख्या में बढ़ोतरी होगी.
बीते शनिवार को शोपियां ज़िले में सेना की गोलीबारी के दौरान दो आम नागरिकों की मौत हो गई थी.
जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने की कार्रवाई की मांग. दिल्ली महिला आयोग एयर विस्तारा को नोटिस भे
मुख्यमंत्री ने चरमपंथ से निपटने के लिए नरम रवैया अपनाने की वक़ालत करते हुए करीब चार हज़ार युवाओं के ख़िलाफ़ दर्ज पत्थरबाज़ी के मुक़दमे वापस लेने का आदेश दिया है.
पुलिस ने पाया कि चोटी काटने के लिए हुई पिटाई के मामले प्रेम-प्रसंग, व्यापार, निजी रंज़िश या वसूली से जुड़े थे.
इन घटनाओं से जुड़ी अफवाह उड़ाने के संबंध में कश्मीर पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया. घटनाओं को लेकर घाटी में प्रदर्शन जारी.
पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर हमारी ख़ुद की ग़लतियों की वजह से पाकिस्तान अनिवार्य तीसरा पक्ष बन गया है.
जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री ने कहा, बहस में कश्मीरियों को गालियां दी जाती हैं. इससे कश्मीरी बाक़ी देश से कटने लगे हैं और देश के लोग कश्मीर के ख़िलाफ़ हो रहे हैं.
जब आतंकवाद के चलते कश्मीर से बड़ी संख्या में हिंदू पलायन कर रहे थे तब भी कुछ परिवारों ने घाटी में रहने का फैसला किया था.
कश्मीरी पुलिसकर्मी अपने पेशे के चलते आतंकियों के लिए घृणा का पात्र बन जाते हैं वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी फिक्र करता कोई नहीं दिखता.