भारत में उम्मीदवारों की सूची में नोटा को 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शामिल किया गया था. इससे मतदाताओं को एक ऐसा विकल्प मिला कि अगर वह अपने क्षेत्र के किसी उम्मीदवार को पसंद नहीं करते हैं तो वह नोटा का बटन दबा सकते हैं.
उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर, चंदौली, डुमरियागंज, मऊ के साथ बिहार के सारण और महाराजगंज में ईवीएम की संदिग्ध आवाजाही का आरोप लगाया गया है. चुनाव आयोग ने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा है कि सभी मामलों को सुलझा लिया गया है.
अधिकतर एग्ज़िट पोल में एनडीए को बहुमत मिलने का दावा किया जा रहा है जबकि कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए की सीटों में भले ही बढ़ोतरी हो रही हो लेकिन वह एनडीए से बहुत पीछे दिख रही है.
लोकसभा चुनाव के सातवें और आखिरी चरण के मतदान में मतदाता उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट से चुनाव लड़ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 918 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे.
ग्राउंड रिपोर्ट: लेफ्ट/ माकपा के समर्थकों का एक बड़ा वर्ग इसलिए भाजपा के साथ खड़ा है क्योंकि वे ममता बनर्जी को सबक सिखाना चाहते हैं.
ग्राउंड रिपोर्ट: पश्चिम बंगाल का घोड़ामारा दुनिया के सबसे बड़े मैंग्रूव फॉरेस्ट में गिने जाने वाले सुंदरबन डेल्टा का एक टापू है. पहले यह 8 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ था लेकिन बीते चार दशकों में नदी के कटाव से सिकुड़ते इस टापू के लोगों के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है.
लोकसभा चुनाव 2019 से जुड़ीं सभी महत्वपूर्ण ख़बरें.
छठे चरण में दिल्ली की सात सीटों के साथ उत्तर प्रदेश की 14, हरियाणा की 10, बिहार, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल की आठ-आठ तथा झारखंड की चार सीटों पर भी मतदान हो रहा है.
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लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, स्मृति ईरानी सहित कई दिग्गजों की किस्मत दांव पर लगी है.
27 मार्च को प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संबोधन के बारे में राजनीतिक दलों की शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने बताया कि इस बारे में न तो प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से आयोग को सूचित किया गया था और न ही अनुमति मांगी गई थी.
निर्माताओं को जवाब देने के लिए 30 मार्च तक का समय दिया गया. कांग्रेस ने कहा फिल्म का मक़सद पूरी तरह राजनीतिक, चुनावी फायदा लेने की कोशिश.
कहा जाता है कि बंगाल में वाम मोर्चे के लंबे शासन ने किसी ऐसे मंच को उभरने नहीं दिया, जिसका इस्तेमाल सांप्रदायिक शक्तियां राजनीतिक फायदे के लिए कर सकती थीं. लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि ज़मीन पर हिंदू-मुस्लिम तनाव नहीं था. राज्य के मौजूदा सियासी मिज़ाज को उसी दबे हुए तनाव के अचानक फूट पड़ने के तौर पर देखा जा सकता है.