संपादकीय: सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी देश में लोकतंत्र की चिंताजनक स्थिति का संकेत है

जैसे-जैसे 2019 आम चुनाव क़रीब आ रहे हैं, एक नई कहानी को बढ़ावा दिया जा रहा है- कि दुश्मन देश के अंदर ही हैं और ये न केवल सरकार और उसकी नीतियों, बल्कि देश के ही ख़िलाफ़ हैं.

सुप्रीम कोर्ट का कार्यकर्ताओं को नज़रबंद रखने का आदेश, कहा- असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व

अदालत ने भीमा-कोरेगांव हिंसा के करीब नौ महीने बाद हुई गिरफ़्तारियों पर महाराष्ट्र पुलिस से सवाल करते हुए गिरफ़्तार कार्यकर्ताओं को छह सितंबर तक जेल न भेजते घर में ही नज़रबंद रखने का आदेश दिया है.

सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी मामले में मानवाधिकार आयोग का महाराष्ट्र सरकार को नोटिस

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने महाराष्ट्र के पुलिस प्रमुख को भी नोटिस जारी किया है. आयोग ने कहा है कि प्रतीत होता है कि पांच कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी में नियमों का ठीक तरीके से पालन नहीं किया गया है. वहीं, गौतम नवलखा को महाराष्ट्र पुलिस ने दस्तावेजों की अनूदित प्रति उपलब्ध करा दी है.

कौन हैं वे सामाजिक कार्यकर्ता जो महाराष्ट्र पुलिस के निशाने पर हैं

महाराष्ट्र पुलिस ने मंगलवार को देश के विभिन्न हिस्सों से कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया और कइयों के घरों पर छापेमारी की. इन सभी का सामाजिक आंदोलनों और मानवधिकार से जुड़े रहने का इतिहास रहा है.

सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ रोमिला थापर और चार अन्य पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका पर बुधवार को ही सुनवाई करने का अनुरोध किया गया था. न्यायालय दोपहर पौने चार बजे सुनवाई करेगा. वहीं, मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर दोपहर सवा दो बजे दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होगी.

अचानक इतने सारे ‘अर्बन नक्सल’ कहां से प्रकट हो रहे हैं?

पुलिस और कुछ टेलीविजन चैनलों के आपसी मिलीभगत से जिस तरह से वर्तमान समय में एक बड़े और लगातार विकसित हो रहे ‘अर्बन नक्सल’ (शहरी माओवादी) के नेटवर्क के प्रेत को खड़ा किया जा रहा है, उसे देखते हुए ऐसा लगता है कि हम फासीवाद की तरफ काफी तेजी से छलांग लगा रहे हैं.

सामाजिक कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई मानवाधिकारों के मूल सिद्धांतों को ख़तरा: एमनेस्टी, ऑक्सफेम

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया और ऑक्सफेम इंडिया की प्रतिक्रिया पुणे पुलिस द्वारा भीमा-कोरेगांव घटना के संबंध में कई मानवाधिकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा पत्रकारों पर की कार्रवाई के बाद आई है.

​​​जन गण मन की बात, एपिसोड 295: भीमा कोरेगांव मामले में सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी और राहुल गांधी

जन गण मन की बात की 295वीं कड़ी में विनोद दुआ भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में देश के विभिन्न हिस्सों से गिरफ़्तार किए गए सामाजिक कार्यकर्ताओं और राहुल गांधी के 1984 के दंगों को लेकर दिए गए बयान पर चर्चा कर रहे हैं.​

भीमा कोरेगांव हिंसा: पुणे पुलिस ने पांच और सामाजिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया

पुलिस का दावा है कि भीमा कोरेगांव हिंसा से एक दिन पहले हुए एल्गार परिषद कार्यक्रम में हुए भाषणों से हिंसा भड़की थी, जिसमें कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया था. मंगलवार सुबह से देश के विभिन्न शहरों में कई सामाजिक कार्यकर्ताओं के घरों पर पुलिस ने छापे मारे हैं.

भीमा कोरेगांव: दलितों के ख़िलाफ़ हिंसा के आरोप में दलित कार्यकर्ता गिरफ़्तार

पुणे पुलिस ने माओवादियों से जुड़ाव का आरोप लगाते हुए तीन अलग-अलग शहरों से पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया और दलितों के साथ हुई हिंसा का ज़िम्मेदार बताया.

भीमा-कोरेगांव हिंसा की पीड़ित का शव कुएं में मिला, प्रकाश आंबेडकर ने हत्या बताया

भीमा-कोरेगांव हिंसा के दौरान दलित युवती के घर में आग लगा दी गई थी. परिजनों के अनुसार, इसमें शामिल लोग बयान वापस लेने के लिए उस पर दबाव डाल रहे थे, इस कारण उसने आत्महत्या कर ली.

भीमा-कोरेगांव हिंसा में दर्ज सभी मामले वापस होंगे: मुख्यमंत्री

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने विधानसभा में कहा कि गंभीर मामलों पर निर्णय सरकार की एक कमेटी द्वारा लिया जाएगा.

भीमा-कोरेगांव हिंसा के आरोपी संभाजी को पद्मश्री देने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने की थी सिफ़ारिश

समिति के सदस्य और आवास मंत्री ने निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में अगर संभाजी के ख़िलाफ़ कोई मामला दर्ज है तो यह बड़ा मुद्दा नहीं, क्योंकि मैं भी कई सारे मामलों का सामना कर रहा हूं.