आईआईटी कानपुर की जांच समिति ने कहा, फ़ैज़ की नज़्म गाने का समय और स्थान सही नहीं था

आईआईटी कानपुर के छात्रों द्वारा जामिया मिलिया इस्लामिया में हुई दिल्ली पुलिस की बर्बर कार्रवाई और जामिया के छात्रों के समर्थन में फ़ैज अहमद फ़ैज़ की नज़्म 'हम देखेंगे' को सामूहिक रूप से गाए जाने पर फैकल्टी के एक सदस्य द्वारा आपत्ति दर्ज करवाई गई थी.

दिल्ली दंगों के बाद क्या थी दिल्ली सरकार की ज़िम्मेदारी और उसने क्या किया?

दंगा प्रभावित लोगों के लिए आम जनता की तरफ से किए जा रहे सभी प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन यह कोई स्थायी समाधान नहीं है. दंगे में अपना सब कुछ खो चुके निर्दोष लोगों को सरकार की तरफ से सम्मानजनक मदद मिलनी चाहिए थी न कि उन्हें समाज के दान पर निर्भर रहना पड़े.

सीएए की फाइलों को सार्वजनिक करने से गृह मंत्रालय का इनकार, कहा- विदेशी रिश्ते खराब हो जाएंगे

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने न सिर्फ बोगस आधार पर नागरिकता संशोधन कानून से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने से मना किया बल्कि सूचना देने के लिए आरटीआई एक्ट, 2005 में तय की गई समयसीमा का भी उल्लंघन किया.

दिल्ली दंगों पर ईरान के सर्वोच्च नेता ने कहा, मुसलमानों पर हिंसा रोके भारत सरकार

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने कहा कि दुनियाभर के मुसलमान भारत में मुसलमानों के नरसंहार से दुखी हैं. भारत सरकार को कट्टरपंथी हिंदुओं और उनके दलों को रोकना चाहिए.

‘गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाने गया तो पुलिस ने सांप्रदायिक टिप्पणी करते हुए भगा दिया’

दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाकों में हुए दंगों के बाद कई परिवारों के सदस्य गुमशुदा हैं. परिजनों का आरोप है कि पुलिस इसे लेकर एफआईआर दर्ज नहीं कर रही है और सरकार से भी उन्हें ज़रूरी मदद नहीं मिल रही है.

एनआरसी-एनपीआर के विरोध के बाद सीएए के समर्थन में क्यों हैं नीतीश कुमार?

वीडियो: नागरिकता संशोधन क़ानून, एनआरसी और एनपीआर को लेकर देश भर में कड़ा विरोध हुआ है. कई राज्यों ने सीएए के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित किया है और एनआरसी लागू न करने की बात कही है. लेकिन बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनआरसी-एनपीआर से इनकार कर रहे हैं, पर सीएए के समर्थन में हैं. इस बारे में जदयू के पूर्व महासचिव पवन वर्मा से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.

सीएए के ख़िलाफ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय द्वारा संशोधित नागरिकता कानून पर सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दायर करने पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि सीएए भारत का आंतरिक मामला है और यह कानून बनाने वाली भारतीय संसद के संप्रभुता के अधिकार से संबंधित है.

‘मुझे पहली बार अपने नाम की वजह से डर लगा’

उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान मुस्तफ़ाबाद इलाके में पीड़ितों की मदद के लिए पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता भी डर से अछूते नहीं थे. एक ऐसे ही कार्यकर्ता की आपबीती.

मीडिया बोल: दिल्ली की हिंसा, गोली मारो के नारे और मीडिया

वीडियो: 23 फरवरी से दिल्ली में भड़की सांप्रदायिक हिंसा की आग में अब तक 48 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 300 से अधिक लोग घायल हैं. मीडिया बोल की इस कड़ी में उर्मिलेश इस बारे में द वायर के डिप्टी एडिटर अजय आशीर्वाद, सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी और जनचौक वेबसाइट के संवाददाता सुशील मानव से चर्चा कर रहे हैं.

दिल्ली की सांप्रदायिक हिंसा के लिए नरेंद्र मोदी की राजनीति ज़िम्मेदार है

दिल्ली की हिंसा का कोई ‘हिंदू’ या ‘मुस्लिम’ पक्ष नहीं है, बल्कि यह लोगों को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की एक घृणित सियासी चाल है. 2002 के दंगों ने भाजपा को गुजरात में अजेय बना दिया. गुजरात मॉडल के इस बेहद अहम पहलू को अब दिल्ली में उतारने की कोशिश ज़ोर-शोर से शुरू हो गई है.

बिहार विधानसभा में एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पास

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि एनआरसी को बिहार में लागू नहीं किया जा रहा है और एनपीआर का 2010 में किए गए तरीके से ही अपडेटेशन किया जाएगा.

सीएए-एनआरसी-एनपीआर का हर हाल में बहिष्कार क्यों करें राज्य सरकारें

ग़ैर-भाजपा शासित प्रदेश सरकारों को नागरिकता संशोधन कानून का बहिष्कार करते हुए इसे निरस्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रास्ता अख़्तियार करना चाहिए. साथ ही इस समस्या की जड़ 2003 वाले नागरिकता संशोधन को भी निरस्त करने की मांग करनी चाहिए.

साल 2019 के लिए ऑक्सफोर्ड का हिंदी शब्द बना ‘संविधान’

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस ने कहा कि कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का सरकार का निर्णय एक ऐसा मुद्दा था जिसके कारण संविधान काफी चर्चा में रहा और इसने अपनी ओर लोगों का ध्यान खींचा.

गुजरात दंगा: सरदारपुरा नरसंहार मामले में दोषी क़रार 14 लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने ज़मानत दी

गोधरा ट्रेन नरसंहार के अगले दिन 28 फरवरी 2002 की रात को सरदारपुरा गांव में अल्पसंख्यक समुदाय के 33 लोगों को ज़िंदा जला दिया गया था, जिसमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे थे.

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