एडीआर ने बताया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के 230 दिन से अधिक बीत जाने के बाद भी भाजपा, राकांपा, भाकपा, जदयू, राजद, रालोद समेत कई दलों द्वारा अब तक उनके चुनावी ख़र्च की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है.
चुनाव आयोग ने प्रत्याशियों की व्यय सीमा में संशोधन के लिए अक्टूबर में गठित एक समिति को मतदाताओं की संख्या में वृद्धि और ख़र्च मुद्रास्फीति सूचकांक बढ़ने के मद्देनज़र लोकसभा और विधानसभा चुनावों के उम्मीदवारों के लिए ख़र्च की सीमा में संशोधन के विषय पर गौर करने का ज़िम्मा सौंपा है.
गुजरात विधानसभा की आठ सीटों के लिए तीन नवंबर को उपचुनाव होना है, जिसके नतीजे दस नवंबर को घोषित किए जाएंगे. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 80 उम्मीदवारों में से 20 करोड़पति हैं.
बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान तीन चरणों में- 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को होने वाले हैं. मतगणना 10 नवंबर को होगी.
गुजरात सरकार द्वारा 17 अप्रैल 2020 को जारी उस अधिसूचना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसके तहत मज़दूरों के कई अधिकारों को रद्द कर दिया गया था. कोर्ट ने कहा कि महामारी का हवाला देकर मज़दूरों के सम्मान और उनके अधिकारों के लिए बने क़ानूनों को ख़त्म नहीं किया जा सकता.
मोदी सरकार द्वारा लाए गए नए श्रम क़ानूनों में जहां एक ओर सामाजिक सुरक्षा के दायरे में ऐसे विभिन्न कामगारों को लाया गया है, जो अब तक इसमें नहीं थे, वहीं दूसरी ओर हड़ताल के नियम कड़े किए गए हैं. साथ ही नियोक्ता को बिना सरकारी मंज़ूरी के कामगारों को नौकरी देने और छंटनी के लिए अधिक छूट दी गई है.
असम की कृषक मुक्ति संग्राम समिति की ओर से कहा गया है कि यह एक क्षेत्रीय पार्टी होगी. सभी जनजाति, जाति, समुदाय, धर्म और भाषा के लोग इसका हिस्सा होंगे. प्रस्तावित पार्टी के नाम की घोषणा जेल से रिहा होने पर समिति के नेता अखिल गोगोई ख़ुद करेंगे.
देश के 10 केंद्रीय मजदूर संगठनों ने आईएलओ को पत्र लिखकर गुजारिश की थी कि वे विभिन्न राज्यों में श्रम कानूनों में हो रहे बदलावों को लेकर हस्तक्षेप करें और श्रमिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करें.
समिति के अध्यक्ष भर्तृहरि महताब ने कहा कि श्रमिकों के अधिकारों की कीमत पर उद्योगों को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने कहा है कि भारत में श्रम कानूनों में हो रहे बदलाव अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होने चाहिए.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने कहा कि सरकार, श्रमिक और नियोक्ता संगठनों से जुड़े लोगों के साथ त्रिपक्षीय वार्ता के बाद ही श्रम कानूनों में किसी भी तरह का संशोधन किया जाना चाहिए.
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्य कोरोना महामारी के नाम पर गोपनीय तरीके से कुछ सालों के लिये कई श्रम क़ानूनों को हल्का कर रहे हैं या रोक लगा रहे हैं. राज्यों की दलील है कि इससे निवेश बढ़ेगा, लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि निवेश श्रम क़ानूनों को ख़त्म करने से नहीं बल्कि बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और स्किल्ड लेबर से होता है.
प्रवासी मज़दूरों के घर लौटने के प्रयासों के बीच बिहार और उत्तर प्रदेश के 1.09 लाख प्रवासियों ने अपने गृह राज्यों से वापस लौटने के लिए हरियाणा सरकार के वेब पोर्टल पर आवेदन किया है.
पत्र के अनुसार, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और पंजाब ने फैक्ट्री अधिनियम में संशोधन के बिना काम की अवधि को आठ घंटे प्रतिदिन से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया है. इससे मजदूरों के मौलिक अधिकार को लेकर गंभीर ख़तरा पैदा हो रहा है.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के अनुसार, इनमें सर्वाधिक आय वाले क्षेत्रीय दलों में बीजद के अलावा तेलंगाना राष्ट्र समिति और वाईआरएस कांग्रेस शामिल हैं. इन तीनों दलों की आय में पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में सर्वाधिक इज़ाफ़ा भी दर्ज किया गया.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि भाजपा की कुल संपत्ति, जो वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान 1213.13 करोड़ रुपये थी, वो 2017-18 वित्त वर्ष में बढ़कर 1483.35 करोड़ रुपये हो गई.