हाई-प्रोफाइल आरोपियों की रिहाई, ज़मानत और गवाहों पर दबाव होने जैसे कई सवाल उठाते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अभय एम थिप्से ने इस मामले को न्यायतंत्र की असफलता कहा है.
मामले में अब तक 30 गवाह बयान से मुकरे. नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कोर्ट ने कहा कि गवाहों को सुरक्षा देना सीबीआई का दायित्व. मूक दर्शक नहीं बनी रह सकती.
एक दशक पुराने एक मामले में राजस्थान पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने अहमदाबाद गई तो कुछ समय के लिए लापता हो गए थे.
सैकड़ों ग्राहकों को ठगने के आरोप में राजस्थान पुलिस आईसीआईसीआई बैंक और आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल के कई अधिकारियों की जांच कर रही है.
रैगर के समर्थन में हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा गुरुवार को रैली निकाले जाने की ख़बर के चलते पड़ोसी जिले उदयपुर में लगी धारा 144. इंटरनेट सर्विस भी सस्पेंड.
अफ़राज़ुल हत्याकांड: ये तीन लोगों की कहानी है. भगवान, अल्लाह, गॉड, इलाही जिसको भी आप मानते हो, वो कहता है, साउंड, कैमरा, एक्शन और एक सीन शुरू होता है.
सिर्फ ये कहना कि ये किसी पार्टी विशेष की सरकार के कारण हुआ, समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों से बचना है. सरकार की ज़िम्मेदारी है पर यह समझना भी ज़रूरी है कि हम ख़ुद अपने घरों में क्या बात कर रहे हैं.
राजस्थान के राजसमंद ज़िले में पश्चिम बंगाल निवासी इफराज़ुल की हत्या कर उन्हें ज़िंदा जलाने और उनका वीडियो वायरल करने के आरोप में शंभू लाल रैगर को गिरफ्तार कर लिया गया है.
सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने उमर ख़ान की हत्या गोरक्षकों द्वारा करने का आरोप लगाया था.
राजस्थान के अलवर जिले में 55 साल के पहलू खान को कथित गोरक्षकों की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डालने के मामले में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट पर दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस.
मरने से पहले दिए बयान में पहलू ख़ान ने पुलिस को बताए थे इन 6 आरोपियों के नाम.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राजस्थान सरकार को निर्देश दिया है कि वो गोरक्षकों को लेकर उसकी ओर से जारी एडवाजरी को सही ढंग से लागू करे.
पत्रकारों के मुताबिक, उन्हें ख़बर मिली थी कि राजस्थान में बजरंग दल बच्चों व युवाओं को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दे रहा है. इसी को रिपोर्ट करने के लिए वे दिल्ली से राजस्थान गए थे.
हम सब मौत से वाक़िफ़ हैं. अपने अजीज़ लोगों को खोने की तकलीफ हम सबने सही है. हमने न भरे जा सकने वाले खालीपन को महसूस किया है. लेकिन इस मौत का एहसास अलग है. यह एक बेक़सूर की मौत है. यह नफ़रत से हुई मौत है. आप इसे जयसिंहपुर में देख सकते हैं.
साल 2007 में हुए अजमेर दरगाह बम विस्फोट मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने साध्वी प्रज्ञा और संघ के नेता इंद्रेश कुमार को क्लीनचिट दे दी है.