मानव समाज के 3400 सालों के लिखित इतिहास में केवल 268 साल शांति वाले रहे हैं यानी इस धरती ने बस आठ प्रतिशत समय शांति के साथ गुज़ारा है.
बीते कई दशकों से एक साधन-संपन्न और बड़ा केंद्रीय विश्वविद्यालय होने के बावजूद बीएचयू पूर्वांचल में ज्ञान और स्वतंत्रता की संस्कृति का केंद्र क्यों नहीं बन सका!
क्रेडिट सुइस इंडिया ने कहा, अर्थव्यवस्था अनिश्चितता के दौर में है, जिससे वृद्धि नीचे आएगी, जीडीपी भी घटेगी.
वॉशिंगटन में राहुल बोले, नोटबंदी से लाखों छोटे कारोबार तबाह हो गए. नोटबंदी का फ़ैसला आर्थिक सलाहकार या संसद की सलाह के बिना लिया गया. इससे अर्थव्यवस्था को काफ़ी नुकसान हुआ.
ओडिशा में पार्टी को मज़बूत बनाने में लगे भाजपा अध्यक्ष बोले, 2014 के बाद कई राज्यों में मिले शानदार जनादेश दर्शाते हैं कि लोग देश के विकास से प्रभावित हैं.
भारतीय मजदूर संघ ने नीति आयोग के उन निष्कर्षों को आधारहीन बताया है कि श्रम कानूनों में संशोधन के बिना विकास और रोज़गार संभव नहीं है.
आदिवासी तो दुनिया बनने से लेकर आज़ाद ही हैं. बस्तर के इन जंगलों में तो अंग्रेेज़ भी नहीं आए. इसलिए इन आदिवासियों ने अपनी ज़िंदगी में न ग़ुलामी देखी है, न ग़ुलामी के बारे में सुना है.
शहर की भीड़ हर रोज़ और बढ़ रही है. गांव को अपने भीतर लील रही है. इंसान का ही रहना यहां मुहाल है. गाय को बचाने का तो बस बवाल है.