आंकड़े बताते हैं कि मोदी सरकार के तीन साल में अर्थव्यवस्था के अच्छे दिन नहीं आए

मोदी यह समझाने की कितनी भी कोशिश करें कि उनके आने से बदलाव आया है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि अर्थव्यवस्था से जुड़े अधिकांश क्षेत्रों में सरकार प्रगति करने के लिए जूझती नज़र आ रही है.

सरकार मज़दूरों की सामाजिक सुरक्षा क्यों छीन रही है?

मज़दूरों को न्यूनतम सामाजिक सुरक्षा देने के लिए उनके कार्य क्षेत्र से जुड़े उपक्रमों पर एक उपकर (सेस) लगाया गया था, जिसे सरकार ख़त्म करती जा रही है.

किसानों की क़र्ज़ माफ़ी की ज़िम्मेदारी से भाग नहीं सकती मोदी सरकार

उत्तर प्रदेश ही नहीं, दूसरे राज्य भी बैंकों को फ़सली क़र्ज़ माफ़ करने के लिए बॉन्ड (ऋण-पत्र) जारी कर सकते हैं. मगर ये बात सबको मालूम है कि इससे मामला हल नहीं होगा. केंद्र को इन बॉन्डों की गारंटी लेनी ही होगी.