उत्तर प्रदेश में चुनावी सरगर्मी चरम पर है लेकिन सुल्तानपुर के सांसद और भाजपा के स्टार प्रचारक वरुण गांधी गायब हैं.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के चौथे दौर में बसपा और सपा की सीधी टक्कर है, यह देखना दिलचस्प होगा कि इनकी लड़ाई में भाजपा अपना फ़ायदा कैसे ढूंढ पाती है.
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तर प्रदेश में एक रैली के दौरान विपक्षी दलों की तुलना ‘कसाब’ से की है.
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अपूर्वानंद से द वायर हिंदी के कार्यकारी संपादक बृजेश सिंह से बातचीत.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में 35-40 फीसदी प्रत्याशियों का अापराधिक रिकॉर्ड है. कई अपराधों को वैचारिक वैधता भी मिल चुकी है क्योंकि इसके दोषियों को सज़ा के बजाय कोई बड़ी ज़िम्मेदारी या पद दे दिया जाता है. भाजपा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष इसका सटीक उदाहरण हैं.
श्मशान पुरातत्व के जानकारों और मानवशास्त्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण जगह रहे हैं. इसके अध्ययन के द्वारा वे अतीत के मनुष्यों की संस्कृति, धर्म और जीवन के अन्य पक्षों के बारे में अपनी समझ बनाते हैं.
आज उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव कवर करने के क्रम में उन्नाव आया हूं. उन्नाव रेलवे स्टेशन के पास चौराहे पर निराला की प्रतिमा लगी है. इसका भी एक इतिहास है जो ज़िले की राजनीति की झलक दिखाता है.
उत्तर प्रदेश की बारी आते-आते पांच राज्यों में चुनाव की मीडिया कवरेज कई कारणों से बेहद विवादास्पद और यादगार होती गई. यह पहला मौका है जब एक फर्जी ‘एक्ज़िट-पोल’ के गैर-क़ानूनी प्रकाशन के चलते देश के एक बड़े मीडिया घराने से संबद्ध संपादक को गिरफ्तार किया गया.
उम्मीदवारों के चयन से उभरे असंतोष और मतदाताओं में बदले जातीय गुणा-गणित से यूपी इलेक्शन के तीसरे चरण में समाजवादी पार्टी की राह मुश्किल हो सकती है
एक महिला से सामूहिक बलात्कार और उसकी नाबालिग बेटी से छेड़छाड़ करने का आरोप है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई होगी.
लखनऊ के राजनीतिक गलियारों में इन दिनों मुलायम सिंह यादव पर चटखारेदार बहसें हो रही हैं.
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती हमेशा से अपने समर्थकों से 'मनुवादी मीडिया' से सावधान रहने की अपील करती रही हैं. वे अपनी रैलियों में लगातार मीडिया पर सवाल उठा रही हैं. क्या मीडिया उनकी पार्टी के प्रति भेदपूर्ण बर्ताव करता है?
इस चरण में सपा, भाजपा और बसपा के कई बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.
चुनावी सरगर्मी के दौरान लगातार मुज़फ़्फ़रनगर दंगों की बात होती रही पर क्यों किसी भी राजनीतिक दल ने दंगों में बलात्कार की शिकार इन महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए आवाज़ नहीं उठाई?
जब आप मुजफ्फरनगर जाते हैं तो वहां के ज्यादातर हिंदू-मुसलमान को दंगे को लेकर अलग-अलग कारणों से दुखी पाते हैं.