गन्ने के खेत में काम करने वाले चालीस साल के पिंटू पंवार मार्च में लॉकडाउन लागू होने के समय पुणे में अपने माता-पिता से मिलने गए हुए थे. लॉकडाउन लगातार बढ़ने पर वे वहां से पैदल अपने गांव की ओर निकल गए, सोमवार को रास्ते के एक गांव के पास उनका शव मिला है.
सोमवार को अहमदाबाद में घर लौटने की मांग को लेकर लगभग सौ मज़दूर सड़कों पर उतर आए और पथराव व तोड़-फोड़ की. इससे पहले रविवार को राजकोट में कामगारों ने गृह राज्य भेजने की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन किया था, जिसमें एसपी समेत तीन पुलिसकर्मी और एक पत्रकार घायल हुए हैं.
सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल एक याचिका में कहा गया कि गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन के दौरान नियोक्ताओं पर पड़ने वाले आर्थिक प्रभाव पर विचार किए बगैर ही कर्मचारियों को पूरा वेतन देने का आदेश जारी कर दिया था.
रेलवे ने एक बयान में कहा है कि एक मई से अब तक 542 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गई हैं और लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे 6.48 लाख प्रवासियों को उनके घर पहुंचाया है.
श्रमिक स्पेशल ट्रेन के किराये को लेकर सरकार के विभिन्न दावों के बीच गुजरात से बिहार लौटे कामगारों का कहना है कि उन्होंने टिकट ख़ुद खरीदा था. उन्होंने यह भी बताया कि डेढ़ हज़ार किलोमीटर और 31 घंटे से ज़्यादा के इस सफ़र में उन्हें चौबीस घंटों के बाद खाना दिया गया.
मज़दूरों के हित निजी संपत्ति के मालिकों के हितों पर ही निर्भर हैं. सरकार सामाजिक व्यवस्था भी उन्हीं के लिए कायम करती है. अंत में यही कहा जाएगा कि उसने रेल भी मज़दूरों के हित में रद्द की हैं, उन्हें रोज़गार देने के लिए!
लॉकडाउन शुरू होने के कुछ रोज़ में ही एक मैसेज मिला, 'लगता है कलयुग समाप्त हो गया, सतयुग आ गया है, प्रदूषण रहित वातावरण, कोई नौकर नहीं, घर में सब मिलकर काम कर रहे हैं, उपवास-कीर्तन हो रहा है.' ठीक इन्हीं दिनों हज़ारों कामगारों का हुजूम भूखे-प्यासे एक बीमारी और अनिश्चित भविष्य के डर से महानगरों की सड़कों पर अपनी टूटी चप्पल और फटा बैग संभाले निकल रहा था.
19 अप्रैल को गृह मंत्रालय द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के भीतर मजदूरों के आवागमन को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए दिशानिर्देश दिए गए हैं. हालांकि इनके व्यावहारिक रूप से लागू होने पर कई सवाल हैं.
बीते 11 अप्रैल को दिल्ली के कश्मीरी गेट के पास स्थित तीन आश्रय गृहों में आग लगा दी गई थी. पुलिस ने गिरफ़्तार आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मैंने सोनिया गांधी द्वारा 13 जनवरी को नई दिल्ली में बुलाई गई बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है क्योंकि मैं बुधवार को पश्चिम बंगाल में वामपंथी और कांग्रेस की हिंसा का समर्थन नहीं करती.
केंद्र की आर्थिक नीतियों को मज़दूर और जन विरोधी बताते हुए दस मज़दूर संगठनों एक दिवसीय हड़ताल का आयोजन किया था. सार्वजनिक कंपनियों की बिक्री, रेलवे, रक्षा, कोयला समेत अन्य क्षेत्रों में 100 प्रतिशत एफडीआई के ख़िलाफ़ मज़दूर संगठनों ने प्रदर्शन किया.
केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने कहा, 'अगर कोई किसी भी तरह के धरने में शामिल होता है तो सैलरी काटने के अलावा उसके खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.'
फीस बढ़ोतरी और शिक्षा के व्यावसायीकरण का विरोध करने के लिए छात्रों के 60 संगठनों तथा कुछ विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों ने भी दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा आयोजित इस हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है. ट्रेड यूनियनों ने जेएनयू में हिंसा तथा अन्य विश्वविद्यालय परिसरों में इसी तरह की घटनाओं की आलोचना की है.
उत्तर प्रदेश के ललितपुर ज़िले का मामला. ज़िले के कालापहाड़ और मडवारी गांव में ग्रेनाइट खनन का काम करने वाली माउंट विक्टोरिया कंपनी से निकाले जाने के बाद कर्मचारी पिछले एक महीने से हड़ताल पर बैठे हैं.
10 केंद्रीय श्रम संघों के आह्वान पर बुलाई गई इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में 20 करोड़ मज़दूरों के शामिल होने की संभावना. हड़ताली यूनियनों का कहना है कि सरकार ने श्रमिकों के मुद्दों पर उसकी 12 सूत्रीय मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया. सितंबर 2015 के बाद केंद्र सरकार ने यूनियनों से एक बार भी बात नहीं की.