बीते 15 नवंबर को सबरीमाला पर सर्वदलीय बैठक विफल रही. महिला अधिकार कार्यकर्ता तृप्ति देसाई सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का समर्थन करने के लिए कोच्चि पहुंच गईं. लेकिन दक्षिणपंथी गुटों द्वारा विरोध प्रदर्शन के चलते वे एयरपोर्ट से बाहर नहीं आ सकी हैं.
सुप्रीम कोर्ट के 28 सितंबर के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए दायर की गईं 49 याचिकाओं पर 22 जनवरी को खुली अदालत में सुनवाई होगी.
मंगलवार दोपहर तीन बजे सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ बंद कमरे में 48 पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करेगी जिसमें सबरीमाला फैसले की समीक्षा की मांग की गई है.
आरएसएस ने कहा कि सबरीमला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विचार करते समय श्रद्धालुओं की भावना की अनदेखी नहीं की जा सकती.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संतोषजनक बताते हुए भोजन के अधिकार पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं ने कहा कि आधार लिंक नहीं करा पाने की वजह से कई लोगों को कल्याणकारी योजनाओं से वंचित कर दिया गया, जिसकी वजह से लगभग 20 लोगों की मौत हो चुकी है.
सबरीमाला मंदिर मामले में अन्य 4 जजों से सहमत न होते हुए पीठ की एकमात्र महिला जज जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने कहा कि धार्मिक प्रथाओं को केवल समानता के अधिकार के आधार पर नहीं परखा जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत से फैसला दिया. कोर्ट ने कहा कि महिलाओं को मंदिर में घुसने की इजाजत न देना अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सर्व शिक्षा अभियान और बच्चों के एडमिशन जैसी चीजों के लिए आधार ज़रूरी नहीं है. कोर्ट ने कहा कि कोई भी प्राइवेट कंपनी आधार की मांग नहीं कर सकती है.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना आधार को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया.
शीर्ष अदालत में पांच जजों की पीठ में से चार ने आधार को संवैधानिक ठहराया, वहीं जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आधार अधिनियम पूर्ण रूप से असंवैधानिक है और इससे लोगों की निजता का उल्लंघन होता है.
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण देने संबंधित मामले की सुनवाई कर रही है.
शीर्ष अदालत ने कहा कि मौजूदा क़ानून के हिसाब से यह व्यवस्था इस मामले में संवैधानिक पीठ का अंतिम फैसला आने तक लागू रह सकती है.
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह सरकार की इस दलील से सहमत नहीं है कि आधार क़ानून को लोकसभा अध्यक्ष ने धन विधेयक (मनी बिल) बताने का सही निर्णय किया.
पैसिव यूथेनेशिया या निष्क्रिय इच्छामृत्यु वह स्थिति है जब किसी लाइलाज बीमारी से पीड़ित इंसान को मौत की तरफ बढ़ाने की मंशा से उसे इलाज देना बंद कर दिया जाता है.
सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में हुआ पीठ का गठन. 17 जनवरी को पीठ महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई शुरू करेगी.