हिरासत में हिंसा और मौत के मामलों में गुजरात सरकार का अपनी पुलिस के साथ खड़े रहने का एक अनकहा-सा रिवाज़ रहा है, लेकिन संजीव भट्ट के मामले में ऐसा नहीं दिखता.
कार्यकर्ताओं के वकीलों का कहना है कि पुलिस की ओर से गिरफ़्तारी के बाद से ही मामले को लटकाने और बचाव पक्ष के जानकारियों तक पहुंचने के हर प्रयास को विफल करने की कोशिश की जा रही है.
उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में 27 अगस्त 2013 को छह लोगों ने शाहनवाज़ की चाकू मारकर हत्या कर दी थी. शाहनवाज़ की हत्या और एक अन्य घटना में दो युवकों की मौत के बाद मुज़फ़्फ़रनगर और आसपास के इलाके में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे, जिसमें 60 लोग मारे गए थे और तकरीबन 40,000 लोग बेघर हुए थे.
इस्तीफ़ा देने वाले शीर्ष मंत्रियों में से कुछ पर आईएसआईएस से जुड़े नेशनल तौहीद जमात से संबंध रखने के आरोप लगे हैं. इस इस्लामिक चरमपंथी समूह द्वारा ईस्टर पर किए गए घातक आत्मघाती हमलों में 258 लोगों की जान चली गई थी.
श्रीलंका में मुस्लिम विरोधी दंगों में एक व्यक्ति की मौत, उत्तर पश्चिम प्रांत में कर्फ्यू लगने समेत दिनभर की महत्वपूर्ण ख़बरों का अपडेट
सोशल मीडिया पर कथित तौर पर आपत्तिजनक पोस्ट लिखने के बाद भड़की हिंसा. श्रीलंका सरकार ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया है. हिंसा के दौरान भीड़ ने अल्पसंख्यक मुसलमानों की दुकानों एवं वाहनों को आग लगा दी और मकानों एवं मस्जिदों में भी तोड़-फोड़ की.
चुनाव आयोग का संवैधानिक दायित्व केवल आदर्श आचार संहिता ही नहीं बल्कि जनप्रतिनिधि क़ानून को भी बरक़रार रखना है, जिसके तहत प्रधानमंत्री सहित विभिन्न भाजपा नेताओं के नफ़रत भरे भाषण अपराध की श्रेणी में आते हैं.
जोधपुर में एक संप्रदाय के लोगों द्वारा शनिवार को रामनवमी के जुलूस पर पथराव के बाद सांप्रदायिक झड़प शुरू हो गई. कुछ वाहनों में आग लगा दी गई और भीड़ ने पुलिस और कुछ घरों पर पथराव भी किया.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्विटर पर दावा किया कि उनके दो साल के शासन में कोई दंगा नहीं हुआ है. हालांकि सरकारी रिपोर्ट बताती है कि सिर्फ साल 2017 में ही उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा की कुल 195 घटनाएं हुई हैं. इस दौरान 44 लोगों की मौत हो गई और 542 लोग घायल हुए.
गृह मंत्रालय ने बताया कि भारत में साल 2004 से 2017 के बीच सांप्रदायिक हिंसा की 10,399 घटनाएं हुईं. इसमें 1,605 लोग मारे गए और 30,723 लोग घायल हुए.
'अगर आप एक नेता हैं और आपकी नज़रों के सामने बड़ी संख्या में लोगों का क़त्ल किया जाता है, तब आप लोगों की ज़िंदगी बचा पाने में नाकाम रहने की जवाबदेही से मुकर नहीं सकते.'
सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल ज़मीरुद्दीन शाह ने बताया कि गुजरात दंगों के समय स्थिति संभालने पहुंचे सेना के दल को तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध के बावजूद प्रशासन द्वारा समय पर ज़रूरी सुविधाएं मुहैया नहीं करवाई गई थीं. अगर सेना को सही समय पर गाड़ियां मिल गई होतीं, तो नुकसान बेहद कम होता.
विशेष रिपोर्ट: बीते अप्रैल में रामनवमी के दौरान बिहार में सांप्रदायिक हिंसा की कई घटनाएं हुई थीं. अब पिछले कुछ हफ़्तों में राज्य के विभिन्न ज़िलों से बड़ी तादाद में पुलिस ने तलवारें बरामद की हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता परवेज़ परवाज़ के खिलाफ गैंगरेप का यह मामला पहली विवेचना में फर्जी पाया गया था, दोबारा विवेचना के बाद उनकी गिरफ़्तारी हुई.
जन गण मन की बात की 295वीं कड़ी में विनोद दुआ भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में देश के विभिन्न हिस्सों से गिरफ़्तार किए गए सामाजिक कार्यकर्ताओं और राहुल गांधी के 1984 के दंगों को लेकर दिए गए बयान पर चर्चा कर रहे हैं.