हमें वाजपेयी के बिना ‘मुखौटे’ वाले असली चेहरे को नहीं भूलना चाहिए

1984 के राजीव गांधी और 1993 के नरसिम्हा राव की तरह वाजपेयी इतिहास में एक ऐसे प्रधानमंत्री के तौर पर भी याद किए जाएंगे, जिन्होंने पाठ तो सहिष्णुता का पढ़ाया, मगर बेगुनाह नागरिकों के क़त्लेआम की तरफ़ से आंखें मूंद लीं.

संघ, विहिप जैसे संगठनों के कारण भारत में अल्पसंख्यकों और दलितों की दशा ख़राब: अमेरिकी रिपोर्ट

अमेरिकी सरकार द्वारा गठित एक आयोग ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा है कि देश में जारी भगवाकरण अभियान के शिकार मुसलमान, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और दलित हिंदू हैं.

कांग्रेस के दामन पर मुसलमानों के ख़ून के धब्बे हैं: सलमान खुर्शीद

कांग्रेस शासन के दौरान हुए बाबरी विध्वंस और मुस्लिम विरोधी दंगों को लेकर पूछे गए सवाल पर कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने यह बयान दिया.

मुस्लिमों को अपनी लोकतांत्रिक पहचान बताने के लिए बुरक़ा और टोपी हटाने की ज़रूरत नहीं है

बुरक़ा और टोपी को मुसलमानों की प्रगति की राह में रोड़ा बताने वालों को अपने पूर्वाग्रहों के परदे हटाने की ज़रूरत है.

कम से कम हमारे हिंदुस्तान में तो ऐसा कुछ नहीं होता…

अफ़राज़ुल हत्याकांड: ये तीन लोगों की कहानी है. भगवान, अल्लाह, गॉड, इलाही जिसको भी आप मानते हो, वो कहता है, साउंड, कैमरा, एक्शन और एक सीन शुरू होता है.

अफ़राज़ुल की हत्या हमारे सामाजिक पतन की दास्तान है

सिर्फ ये कहना कि ये किसी पार्टी विशेष की सरकार के कारण हुआ, समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों से बचना है. सरकार की ज़िम्मेदारी है पर यह समझना भी ज़रूरी है कि हम ख़ुद अपने घरों में क्या बात कर रहे हैं.