समीर ख़ान नाम के एक व्यक्ति ने गृह मंत्रालय से गोहत्या के शक में मारे गए और घायल हुए लोगों के नाम और सरकारों द्वारा उनके परिवारों को दिये गए मुआवज़े का राज्यवार आंकड़ा मांगा था.
केंद्र और राज्यों में सूचना आयोग स्वतंत्र होने चाहिए. रीढ़विहीन बाबुओं को यह अनुमति नहीं दी जानी चाहिए कि वे आयोग को भी रीढ़विहीन बना दें. लोकसभा चुनाव में उतर रहे राजनीतिक दलों को केंद्रीय सूचना आयोग की स्वतंत्रता सुनिश्चित करनी चाहिए.
यह मामला गौरव दीप गुप्ता नाम के व्यक्ति से जुड़ा है जिन्होंने आरटीआई कानून के तहत गृह मंत्रालय की तरफ से पांच सितंबर 1979 को जारी लुकआउट सर्कुलर को निकालने से जुड़े सर्कुलरों की प्रतियां मांगी थी.
सूचना आयुक्त सुरेश चंद्रा ने जानकारी नहीं देने के कारण आरबीआई के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. आरटीआई के तहत आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल की उन सभी बैठकों से जुड़ी जानकारी मांगी गई थी जिसके तहत नोटबंदी के निर्णय पर पहुंचा गया.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे पत्र में पूर्व सीआईसी श्रीधर आचार्युलु ने सीबीआई और सीआईसी की नियुक्तियों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग की है.
आरटीआई के तहत देश में 1961 से 2003 के बीच हुए विभिन्न दंगों के संबंध में 13 जांच या न्यायिक आयोग की रिपोर्ट के बारे में जानकारी मांगी गई थी. गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने दावा किया कि उनके पास दंगों से जुड़ी रिपोर्ट नहीं है.
बीते अगस्त महीने में वित्त मंत्रालय ने संसद में बताया था कि वित्त वर्ष 2015-16 से लेकर 2017-18 के बीच फ्रॉड की वजह से बैंकों को 69,755 करोड़ रुपये तक का नुकसान हुआ है. सीबीआई 292 बैंक फ्रॉड के मामलों की जांच कर रही है.
केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने सभी दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि रोजाना छपाई होने वाले नोट का आंकड़ा इतना संवेदनशील नहीं है कि इसकी जानकारी देने से मना किया जाए.
विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने बीते गुरुवार को राज्यसभा में 15 जून, 2014 से 3 दिसंबर, 2018 के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं का ब्योरा दिया.
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि केंद्र और राज्य के सूचना आयोगों में सूचना आयुक्त के पदों का ख़ाली रहना लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है. आरटीआई एक्ट पारित करने के पीछे का मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना था.
पूर्व सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर कहा है कि केंद्रीय सूचना आयोग को सरकार द्वारा उसके ख़िलाफ़ दायर मुक़दमों के ख़तरे का सामना करना पड़ रहा है.
बीते अक्टूबर में केंद्रीय सूचना आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय को 2014 से 2017 के बीच केंद्रीय मंत्रियों के ख़िलाफ़ मिली भ्रष्टाचार की शिकायतों, उन पर की गई कार्रवाई और विदेश से लाए गए कालेधन के बारे में जानकारी देने का आदेश दिया था.
सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने मुख्य सूचना आयुक्त आरके माथुर को पत्र लिखकर कहा कि आरबीआई द्वारा जानबूझकर कर्ज़ न चुकाने वाले लोगों की जानकारी नहीं देने पर केंद्रीय सूचना आयोग को सख़्त कदम उठाना चाहिए.
सीआईसी ने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि पीएमओ जानकारी देने से मना कर रहा है. उनका नैतिक, संवैधानिक और राजनीतिक कर्तव्य है कि वो भारत के नागरिकों को बड़े बैंक डिफॉल्टर्स और उनके खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी दे.
विशेष रिपोर्ट: सुप्रीम कोर्ट ने तीन साल पहले दिसंबर 2015 में आरबीआई की सभी दलीलों को ख़ारिज करते हुए अपने फैसले में कहा था कि आरबीआई देश के शीर्ष 100 डिफॉल्टरों के बारे में जानकारी दे और इससे संबंधित सूचना वेबसाइट पर अपलोड करे.