अखिल भारत हिंदू महासभा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि विवादित ढांचे पर मुसलमानों का कोई अधिकार या मालिकाना हक़ नहीं है और इसलिए उन्हें पांच एकड़ ज़मीन आवंटित नहीं की जा सकती तथा किसी भी पक्षकार ने इस तरह की कोई ज़मीन मुसलमानों को आवंटित करने के लिए कोई अनुरोध या कोई दलील नहीं दी थी.
इससे पहले मूल वादकारियों में शामिल एम. सिद्दीक के वारिस और उत्तर प्रदेश जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अशहद रशीदी ने बीते दो दिसंबर को पुनर्विचार याचिका दायर की थी.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और अयोध्या विवाद में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर लिखा था कि उन्हें जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी के इशारे पर उनके वकील एजाज़ मकबूल द्वारा इस मामले से हटा दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने सोशल मीडिया पर लिखा कि उन्हें जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी के इशारे पर उनके वकील एजाज़ मकबूल द्वारा इस मामले से हटा दिया गया. उन्हें ऐसा करने का अधिकार है, लेकिन इसके लिए बताई जा रही वजह दुर्भावना से भरी और झूठी है. अब वे इस मामले में दायर पुनर्विचार याचिका से किसी तरह से नहीं जुड़े हैं.
उत्तर प्रदेश जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अशहद रशीदी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि यद्यपि अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद के गुंबदों को नुकसान पहुंचाने और उसे गिराने का संज्ञान लिया, फिर भी विवादित स्थल को उसी पक्ष को सौंप दिया, जिसने अनेक ग़ैरक़ानूनी कृत्यों के आधार पर अपना दावा किया था.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में प्रमुख मुस्लिम पक्षकार रहे उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि बोर्ड के आठ में से सात सदस्यों ने हिस्सा लिया. उनमें से एक सदस्य को छोड़कर बाकी छह सदस्यों ने अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले को चुनौती न देने के प्रस्ताव का समर्थन किया.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि अयोध्या जमीन विवाद मामले में जो फैसला आया उसने न्याय नहीं किया.
सुप्रीम कोर्ट भी विवादित भूमि रामलला को देते हुए यह नहीं सोचा कि उसका फ़ैसला न सिर्फ छह दिसंबर, 1992 के ध्वंस बल्कि 22-23 दिसंबर, 1949 की रात मस्जिद में मूर्तियां रखने वालों की भी जीत होगी. ऐसे में अदालत का इन दोनों कृत्यों को ग़ैर-क़ानूनी मानने का क्या हासिल है?
बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि ज़मीन विवाद में ‘सार्वजनिक शांति और सौहार्द’ बनाए रखने के लिए विवादित ज़मीन को न बांटने का जजों का निर्णय बहुसंख्यक दबाव से प्रभावित लगता है, जिसमें मुस्लिम पक्षकारों के क़ानूनी दावे को नज़रअंदाज़ कर दिया गया.
अयोध्या में भाजपा के निर्वाचित सांसद, विधायक और पदाधिकारियों ने शनिवार को फ़ैसले के दिन दीप जलाए और मिठाइयां बांटी. सोमवार को पार्टी जिला मुख्यालय पर सार्वजनिक रूप से रामायण पाठ आयोजित हुआ, जहां नेता व कार्यकर्ता बधाइयां देते और लेते रहे. मंगलवार को 1992 की कारसेवा के दौरान पुलिस फायरिंग में मारे गए कारसेवकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई.
मुस्लिम धर्मगुरुओं का कहना है कि सरकार द्वारा अधिग्रहीत 67 एकड़ भूमि से ज़मीन मिलती है तभी स्वीकार किया जाएगा. मुस्लिम समुदाय मस्जिद बनाने के लिए अपने पैसे से ज़मीन ख़रीद सकते हैं और वे इसके लिए केंद्र सरकार पर निर्भर नहीं हैं. इधर, केंद्र सरकार ने अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट के गठन की प्रक्रिया शुरू की.
साक्षात्कार: प्रख्यात इतिहासकार डीएन झा से बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद, इससे जुड़े ऐतिहासिक, पुरातात्विक और सांप्रदायिक पहलुओं पर बातचीत.
वीडियो: हम भी भारत की इस कड़ी में द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि ज़मीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और इसके राजनीतिक मायनों पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद और द वायर के डिप्टी एडिटर अजय आशीर्वाद से चर्चा कर रही हैं.
वीडियो: बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि ज़मीन विवाद पर आए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का नजरिया.
इस मामले पर फ़ैसला देते हुए शीर्ष अदालत की संवैधानिक पीठ ने कहा कि मुस्लिम वादी यह साबित नहीं कर सके हैं कि 1528 से 1857 के बीच मस्जिद में नमाज़ पढ़ी जाती थी और इस पर उनका विशिष्ट अधिकार था. हालांकि हिंदू पक्षकारों के भी यह प्रमाणित न कर पाने पर उन्हें ज़मीन का मालिकाना हक़ दे दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज अशोक कुमार गांगुली ने बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि संविधान के लागू होने के बाद वहां पहले क्या था, यह सुप्रीम कोर्ट की जिम्मेदारी नहीं है. उस समय भारत कोई लोकतांत्रिक गणतंत्र नहीं था. अगर हम इस तरह बैठकर फैसला देंगे तो बहुत सारे मंदिर, मस्जिद और अन्य ढांचों को तोड़ना पड़ेगा.
राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद ज़मीन विवाद पर अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बाबरी मस्जिद गिराया जाना एक सोचा समझा कृत्य था. 1992 में बाबरी विध्वंस मामले की जांच लिए बने लिब्राहन आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इसे योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया था.
वीडियो: रामजन्मभूमि न्यास को मिलेगा 2.77 एकड़ ज़मीन का मालिकाना हक़. मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर बनाना होगा ट्रस्ट. सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को अयोध्या में ही पांच एकड़ ज़मीन दी जाएगी. इस मुद्दे पर द वायर के सह संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन से चर्चा कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
राम जन्मभूमि आंदोलन के शिल्पकार एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या में मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ ज़मीन अलग से देने के फैसले का भी स्वागत किया.
अयोध्या ज़मीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हर परिस्थिति में संविधान और न्याय प्रणाली पर विश्वास बनाए रखना चाहिए. समाधान निकलने में भले ही कुछ समय लगे लेकिन फिर भी धैर्य बनाकर रखना ही सर्वोचित है.
अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि फैसला हमारी उम्मीद के मुताबिक नहीं, लेकिन हम निर्णय को मानते हैं.
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद काशी और मथुरा के धार्मिक स्थलों को लेकर विहिप की आगामी योजना के बारे में पूछे जाने पर विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे ने कहा कि बाकी विषयों पर समाज के रुख को राम मंदिर निर्माण के बाद देखा जाएगा.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद ज़मीन विवाद के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने तथ्यों पर विश्वास की जीत क़रार दिया. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय सर्वोच्च है, लेकिन उससे भी गलती हो सकती है.
अयोध्या के बाद काशी और मथुरा में भावी योजना के बारे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संघ आंदोलन नहीं करता, संघ का काम मनुष्य निर्माण है.
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय 2010 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आया है. हाईकोर्ट ने अपने फ़ैसले में 2.77 एकड़ ज़मीन को सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान के बीच बराबर बांटने का आदेश दिया था.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले के पक्षकार रहे हाशिम अंसारी के बेटे और मुद्दई इक़बाल अंसारी ने कहा कि इस बात की सबसे ज़्यादा खुशी है कि यह मसला सुलझ गया है. उन्होंने कहा कि वह अदालत के फैसले को चुनौती नहीं देंगे.
बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि ज़मीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के वकील ज़फ़रयाब जिलानी ने कहा कि वे वकीलों से बात करने के बाद पुनर्विचार याचिका दायर करने के बारे में निर्णय लेंगे.
बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि विवाद: रामजन्मभूमि न्यास को मिलेगा 2.77 एकड़ ज़मीन का मालिकाना हक़. मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर बनाना होगा ट्रस्ट. सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को अयोध्या में ही पांच एकड़ ज़मीन दी जाएगी.
रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद ज़मीन विवाद मामले पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष का दावा ख़ारिज कर दिया है. रामजन्मभूमि न्यास को मिलेगा 2.77 एकड़ ज़मीन का मालिकाना हक़. मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर बनाना होगा ट्रस्ट. सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को अयोध्या में ही पांच एकड़ ज़मीन दी जाएगी.
उत्तर प्रदेश शिया वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिज़वी का कहना है कि अयोध्या विवाद के समाधान के बाद ऐसे और मसले उठ खड़े होंगे क्योंकि देश में ऐसे ग्यारह और विवादित स्थल हैं. इसलिए पूर्वजों की गलतियां सुधारते हुए मुस्लिमों को देश में शांति के लिए इन्हें हिंदुओं को दे देना चाहिए.
सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को छोड़कर मामले के अन्य मुस्लिम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में बयान दाखिल कर कहा है कि वे उन प्रस्तावों को स्वीकार नहीं करते हैं, जो मीडिया में लीक हुए हैं.
सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड ने यह सुलहनामा मध्यस्थता समिति के सदस्य श्रीराम पंचू के ज़रिये दाख़िल किया है.
अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई करते हुए आखिरी समय में हस्तक्षेप को लेकर दाखिल किए गए एक आवेदन को अस्वीकार करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने बुधवार को कहा कि इस मामले में बहस शाम 5 बजे समाप्त हो जाएगी.
अयोध्या मामले के संभावित फैसले के अलावा दीपोत्सव, चेहल्लुम और कार्तिक मेले को लेकर धारा 144 दो महीने तक अयोध्या जिले में लागू रहेगी.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने धमकी देने का आरोप लगाते हुए पूर्व सरकारी अधिकारी एन. षणमुगम और राजस्थान निवासी संजय कलाल बजरंगी के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी.
सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति के माध्यम से मध्यस्थता का सहारा लेने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन मामले में दिन-प्रतिदिन सुनवाई जारी रहेगी.
शीर्ष अदालत ने रजिस्ट्री से यह भी जानना चाहा कि अगर ऐसा करना संभव हो तो इसके लिए कितना समय चाहिए.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने इससे पहले उन्हें धमकी देने के आरोप में दो लोगों के खिलाफ शीर्ष अदालत में अवमानना याचिका दायर की थी. धवन की याचिका पर कार्रवाई करते हुए अदालत ने दोनों व्यक्तियों को नोटिस जारी किए थे.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने पूर्व सरकारी अधिकारी एन षणमुगम और राजस्थान के निवासी संजय कलाल बजरंगी के खिलाफ शुक्रवार को शीर्ष अदालत में अवमानना याचिका दायर की थी.
रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने आठवें दिन की सुनवाई के दौरान एएसआई की रिपोर्ट के साथ विवादित ढांचा ढहाने के समय की ‘पाञ्चजन्य’ पत्रिका की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि विवादित स्थल पर मंदिर बना हुआ था.