नगालैंड: कोरोना संकट के बीच एनएचएम कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारियों में एम्बुलेंस चालक, लैब टेक्नीशियन, नर्सें, डेंटिस्ट, आयुष और एलोपैथिक डॉक्टर शामिल हैं. उनकी मांग है कि एनएचएम कर्मचारियों को नियमित करते हुए राज्य स्वास्थ्यकर्मियों के समान पद के लिए समान वेतन और सभी बुनियादी सुविधाएं मुहैया दी जाएं.

एमपी: इंदौर में कोरोना से मरने वालों की स्वास्थ्य विभाग देरी से दे रहा जानकारी, जांच की मांग

स्वास्थ्य विभाग ने 24 दिन बाद दी कोविड-19 पीड़ित की मौत की जानकारी. इससे पहले एक अन्य मृतक की जानकारी 16 दिन बाद मीडिया को दी गई थी. एक एनजीओ ने मामले की स्वतंत्र जांच के लिए केंद्र सरकार से समिति गठित करने की मांग की है.

हिमाचल प्रदेश: स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच भाजपा अध्यक्ष का इस्तीफा

हिमाचल प्रदेश में कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए चिकित्सा उपकरण खरीदने में कथित भ्रष्टाचार के मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को 20 मई को गिरफ्तार किया गया था.

कोविड-19: मुंबई के निजी डॉक्टरों को सरकारी अस्पतालों में काम करने का निर्देश

निजी चिकित्सकों को भेजे गए एक नोटिस में महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें कम से कम पंद्रह दिनों के लिए कोविड-19 का इलाज कर रहे सरकारी अस्पतालों में काम करने को कहा है. ऐसा न करने पर कार्रवाई की बात कही गई है.

कोरोना वायरस: इंदौर में मृतकों की संख्या 52 हुई, मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से अब भी ज़्यादा

गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि मुंबई, कोलकाता, जयपुर, इंदौर और पुणे में हालात ‘विशेष रूप से गंभीर’ है. मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस की चपेट में आकर अब तक 70 लोग मारे जा चुके हैं, इनमें से 52 लोग सिर्फ़ इंदौर से हैं.

बिहार: भूख के चलते बच्चे की मौत का आरोप, मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार के दो मामले सामने आए

बीते शुक्रवार को आरा कस्बे के जवाहर टोला में रहने वाले राहुल की मौत हो गई थी. उनके पिता दिहाड़ी मजदूर हैं लेकिन लॉकडाउन के चलते वे पिछले कई दिनों से बेरोजगार बैठे हैं.

बिहार: चमकी बुखार से मरने वालों में अधिकतर गरीब परिवारों के बच्चे, 62 फीसदी लड़कियां

बिहार में इस साल एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से जिन बच्चों की मौत हुई उनमें से 85 फीसदी से अधिक परिवार दिहाड़ी मजदूर हैं. वहीं, इस साल मरने वाले 168 बच्चों में से 104 लड़कियां थीं.

उत्तराखंड: उत्तरकाशी में बीते तीन महीनों में एक भी बेटी पैदा नहीं हुई, जांच शुरू

उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि उत्तरकाशी के 132 गांवों में बीते तीन महीनों में कुल 216 बेटे पैदा हुए हैं जबकि एक भी बेटी पैदा नहीं हुई. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी है.

बिहार में इस साल एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम से होने वाली मौतों में बढ़ोतरी: सरकार

राज्यसभा में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि बिहार में 2018 में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम से 33 बच्चों की मौत हुई थी, जबकि 2019 में दो जुलाई तक 162 बच्चों की मौत हो चुकी है.

बिहार में डॉक्टरों के 57 फीसदी और नर्सों के 71 फीसदी पद खाली

बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाख़िल कर ये जानकारी दी. हाल ही में चमकी बुखार के कारण राज्य में 150 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है.

असम में जापानी इंसेफलाइटिस के कारण 21 लोगों की मौत हुई: स्वास्थ्य अधिकारी

असम के दौरे पर गई चार सदस्यों की केंद्रीय टीम में शामिल एक अधिकारी ने कहा कि जुलाई और अगस्त आने वाले दो महत्वपूर्ण महीने हैं. यह चुनौती होगी कि इन दो महीनों में इसका प्रकोप कम हो.

‘सरकार ईमानदारी से काम करे, तो अगले साल इंसेफलाइटिस से एक भी बच्चे की जान नहीं जाएगी’

साक्षात्कार: बिहार में इस साल अब तक एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के चलते मुज़फ़्फ़रपुर व उसके आसपास के ज़िलों में 150 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है. यह बीमारी 1995 में सामने आई थी, तब से हर साल बच्चों की मौत हो रही है, कभी कम तो कभी ज़्यादा. इस बीमारी के तमाम पहलुओं को लेकर मुज़फ़्फ़रपुर में साढ़े तीन दशक से काम कर रहे प्रख्यात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.अरुण शाह से उमेश कुमार राय की बातचीत.

बिहार में बच्चों की मौत के लिए प्रशासनिक विफलता व राज्य की उपेक्षा ज़िम्मेदार: डॉक्टरों की टीम

बिहार में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम से 150 से ज़्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है. अकेले मुज़फ़्फ़रपुर में तकरीबन 132 बच्चे इस बीमारी से मारे जा चुके हैं.

नीतीश सरकार ने चमकी बुखार पर शोध, जागरूकता, पुनर्वास के लिए कोई फंड नहीं मांगा

चमकी बुखार या एईएस से बिहार में अब तक क़रीब 150 बच्चों की मौत हो चुकी है. एईएस से निपटने के लिए बिहार सरकार की लापरवाही का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन 2019-20 के तहत इस पर शोध, पीड़ितों का पुनर्वास और लोगों को जागरूक करने के लिए किसी फंड की मांग नहीं की.

बिहार: चमकी बुखार से बच्चों की मौत के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वाले 39 लोगों पर केस दर्ज

बीते 18 जून को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुज़फ्फ़रपुर दौरे पर जाने के दौरान हरिवंशपुर गांव के लोगों ने चमकी बुखार से बच्चों की मौत और पानी की कमी को लेकर सड़क का घेराव किया था, जिसके चलते पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है. नामजदों में क़रीब आधे दर्जन वे लोग हैं जिनके बच्चों की मौत चमकी बुखार से हुई है.