वीडियो: बलात्कार के दोषी गुरमीत राम रहीम के परोल याचिका पर हुए विवाद पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.
घटना शाहजहांपुर ज़िले की एक गांव की है. मूंगफली को लेकर विवाद हुआ था. इसको लेकर दो पक्षों के बीच पंचायत हो रही थी, तभी एक पक्ष ने गोली चला दी. घटना से आक्रोशित भीड़ ने दूसरे पक्ष के एक व्यक्ति को पीट-पीटकर मार डाला.
उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले का मामला. पुलिस ने पॉक्सो अधिनियम के तहत केस दर्ज किया. मुज़फ़्फ़रनगर में नाबालिग का अपहरण कर सामूहिक बलात्कार. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में तीन साल की बच्ची के साथ बलात्कार का मामला सामने आया.
गुजरात के बोताद ज़िले का मामला. मृतक की पत्नी गांव की सरपंच हैं. मृतक के बेटे ने बताया कि गांव के उच्च जाति के कुछ लोग इस बात को पचा नहीं पा रहे थे कि दलित गांव के सरपंच बन रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के बिजनौर ज़िले का मामला. अज्ञात हमलावरों की तलाश में पुलिस ने टीम गठित कर मामले की जांच शुरू की. पुलिस के अनुसार, मिठाई के डिब्बे में पिस्तौल छिपाकर लाए थे हमलावर.
तेलंगाना के मैनचेरियल ज़िले के निवासी अनुराधा और लक्ष्मण ने शादी की थी लेकिन अनुराधा के परिवार को ये स्वीकार नहीं था.
बिहार के रोहतास ज़िले का मामला. सीतामढ़ी ज़िले में हुई एक अन्य घटना में पैसे छीनने के आरोप में युवक को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला.
मध्य प्रदेश के शिवपुरी ज़िले में दलित चौकीदार की ज़मीन पर दबंगों ने साल 2005 से क़ब्ज़ा कर रखा था. पुलिस ने 13 लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया.
उत्तर पश्चिम दिल्ली के मुकुंदपुर का मामला. बिहार के खगड़िया ज़िले का रहने वाला था मृतक. कुछ दिन पहले ही दिल्ली आया था. परिजनों का कहना है कि वह चोर नहीं था उसकी हत्या किसी और वजह से की गई है.
हम देश के एक छोटे से क़स्बे में पले-बढ़े लेकिन उस दौर में लोगों का दिलो-दिमाग राजनीति ने इतना छोटा नहीं था, जबकि देश का विभाजन हुए बहुत अरसा भी नहीं बीता था. नफ़रत की ऐसी आग नहीं लगी हुई थी, जैसी आज लगी है.
मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले का मामला. छह माह पहले छात्रा ने आरोपी पर छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराया था और वो ज़मानत पर बाहर था.
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अध्ययन ‘चाइल्ड एब्यूज़ इन इंडिया’ के मुताबिक भारत में 53.22 प्रतिशत बच्चों के साथ एक या एक से ज़्यादा तरह का यौन दुर्व्यवहार और उत्पीड़न हुआ है. ऐसे में कौन कह सकता है कि मेरे घर में बच्चों का लैंगिक शोषण नहीं हुआ?
अदालत ने जांच एजेंसियों से पूछा कि क्या अधिकारियों के बीच सामंजस्य की कमी है या फिर अधिकारियों ने अपनी जांच मात्र मोबाइल फोन रिकॉर्ड तक सीमित कर दी है.
विकास के दावों के बीच भारत के अनुभव और ज़मीनी सच्चाई बता रही है कि समाज और सरकारें बच्चों का संरक्षण सुनिश्चित कर पाने में तो नाकाम हैं ही आगे भी इनके नाकाम रहने की आशंका है.
सांप्रदायिकता से इसलिए मत लड़िए कि कांग्रेस-बीजेपी करना है. ये पार्टियां या तो चुप रहकर सांप्रदायिकता करती हैं या फिर खुलेआम. इनके आने-जाने से यह लड़ाई कभी अंजाम पर नहीं पहुंचती है.