‘सरकारें आदिवासियों का संघर्ष नहीं समझतीं, अमीरों की बजाय इन्हें ध्यान में रख नीति बननी चाहिए’

साक्षात्कार: कोंध समुदाय से आने वाले सामाजिक कार्यकर्ता नाचिका लिंगा चासी मुलिया आदिवासी संंघ के नेता हैं और लंबे समय से ओडिशा में नशामुक्ति, ज़मीन अधिकार और आदिवासियों को बंधुआ मज़दूर बनाए जाने के ख़िलाफ़ काम कर रहे हैं. उनसे जसिंता केरकेट्टा की बातचीत.

हिमाचल: क्वारंटीन नियम न मानने वाले मंत्री के ख़िलाफ़ प्रदर्शन पर 200 महिलाओं पर केस

मामला स्पीति ज़िले के काजा गांव का है, जहां स्थानीय समिति ने यहां आने वालों के लिए अनिवार्य क्वारंटीन का नियम बनाया है. बीते दिनों प्रदेश के कृषि मंत्री रामलाल मार्कंडा यहां पहुंचे थे और इस नियम को न मानने पर आदिवासी महिलाओं के समूह ने उनके ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया था.

झारखंड: बीफ़ खाने के अधिकार पर कथित पोस्ट लिखने वाले आदिवासी प्रोफेसर गिरफ़्तार

आदिवासी प्रोफेसर जीतराई हांसदा के वकील ने कहा कि उनके ख़िलाफ़ जून, 2017 में मामला दर्ज किया गया था. वकील ने आशंका जताई कि यह गिरफ़्तारी जानबूझकर चुनावों के बाद की गई है. चुनाव से पहले गिरफ़्तारी करके भाजपा आदिवासियों को नाराज़ करके चुनावों में उनका वोट गंवाना नहीं चाहती थी.

मध्य प्रदेश: आदिवासियों के लिए लोकसभा चुनाव में जंगल पर अधिकार प्रमुख मुद्दा है

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में हाल ही में प्रदर्शन कर आदिवासियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछा कि सुप्रीम कोर्ट में वन अधिकार क़ानून पर सुनवाई के दौरान उनकी सरकार मौन क्यों थी?

वो पांच लोग जिन पर भीमा कोरेगांव हिंसा और मोदी की हत्या की साज़िश रचने का आरोप लगा है

भीमा कोरेगांव हिंसा के पीछे बताए जा रहे कथित नक्सल कनेक्शन के चलते ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) क़ानून के तहत गिरफ़्तार किए गए पांचों लोगों के प्रति पुलिस और प्रशासन का यह रवैया नया नहीं है.