एक आरटीआई कार्यकर्ता ने केंद्रीय सूचना आयोग की वार्षिक रिपोर्ट का विश्लेषण करने के बाद बताया कि आरटीआई आवेदनों को इस क़ानून की धाराओं आठ, नौ, 11 और 24 के तहत प्राप्त छूट से ही ख़ारिज किया जाना मान्य है, लेकिन रिपोर्ट दर्शाती है कि सरकारी विभागों ने आवेदनों को ख़ारिज करने के लिए ‘अन्य’ श्रेणी का इस्तेमाल किया.
एक आरटीआई के तहत गृह मंत्रालय से पूछा गया था कि टुकड़े-टुकड़े गैंग कैसे और कब बना? इसके सदस्य कौन-कौन हैं? उन्हें आईपीसी की कौन-सी धाराओं के तहत क्या दंड दिया जाएगा.
आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में सरकार ने गवर्नर पद के लिए छांटे गए उम्मीदवारों, नियुक्ति को लेकर फाइल नोटिंग और इस बारे में मंत्रिपरिषद के सदस्यों, सचिवों और अन्य अधिकारियों के बीच हुए विचार विमर्श के बारे में बताने से मना किया.
केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार साल 2016-17 के दौरान आरटीआई आवेदन ख़ारिज करने के मामले में गृह मंत्रालय दूसरे नंबर पर रहा.