सामाजिक मुद्दों पर हस्तियों की चुप्पी और इंग्लैंड की फुटबॉल टीम का नस्लवाद के ख़िलाफ़ प्रतिरोध

इंग्लैंड की फुटबॉल टीम ने यूरो 2020 के दौरान 'ब्लैक लाइव्स मैटर' को समर्थन देने के लिए 'घुटनों पर बैठने' का निर्णय लिया है. खेल जगत के तमाम महानायक और मनोरंजन जगत के सम्राट, जो संवेदनशील मुद्दों पर मौन रहना चुनते हैं, शायद इंग्लैंड की टीम से कुछ सीख ले सकते हैं.

1971, वह साल जब भारतीय क्रिकेट ने एक नए युग में प्रवेश किया

1971 में भारतीय क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड और वेस्टइंडीज़ को उनकी ज़मीन पर हराया था और देश में क्रिकेट को लेकर नई उम्मीदों और उत्साह का प्रसार हुआ था. उस समय में जवान हो रहे लोगों के लिए यह केवल खेल के मैदान में मिली जीत पर खुश होने का नहीं, बल्कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सामूहिक क्षमताओं से रूबरू होने का पल था.

पैट्रिक मैथ्यू, जो डार्विन से पहले प्राकृतिक चयन के सिद्धांत तक पहुंचे थे

चार्ल्स डार्विन ने 1859 में प्राकृतिक चयन पर अपनी किताब दुनिया के सामने पेश की थी, लेकिन उनसे कुछ साल पहले ही स्कॉटलैंड के पैट्रिक मैथ्यू इस सिद्धांत तक पहुंच चुके थे. इस बात को ख़ुद डार्विन ने भी माना था, पर इतिहास मैथ्यू को इसका उचित श्रेय नहीं दे सका.

क्या आप चार्ल्स डार्विन और उनके प्राकृतिक चयन के सिद्धांत की ये कहानी जानते हैं?

विशेष रिपोर्ट: 150 साल से भी ज्यादा पुरानी यह कहानी चार्ल्स डार्विन, अल्फ्रेड वालेस और विलियम बेटसन की है. तीनों इंग्लैंड से हैं और 19वीं सदी के हीरो हैं.