नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करते हुए दलील दी गई थी कि अनुच्छेद 370 के कारण राज्य में आतंकी घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है. अगर ऐसा ही था तो एक साल बाद केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में ये क्यों कह रही है कि यहां हिंसा बढ़ी है.
मामला कोयंबटूर के सुंदरपुरम इलाके का है, जहां गुरुवार देर रात समाज सुधारक पेरियार की आदमकद मूर्ति को तोड़-फोड़कर उस पर भगवा रंग डाल दिया गया था. इसके बाद द्रमुक, एमडीएमके और वीसीके के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया और आरोपियों की गिरफ़्तारी की मांग की.
अधिकारियों ने कहा कि जिन लोगों पर से जन सुरक्षा कानून हटाया गया है, उनमें एक प्रमुख व्यक्ति कश्मीर व्यापार एवं विनिर्माण संघ और कश्मीर इकोनॉमिक अलायंस के मुखिया का नाम भी शामिल है.
जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा श्रीनगर की सेंट्रल जेल में पीएसए के तहत बंद 14 कैदियों की रिहाई समेत कुल 31 कैदियों पर लगा पीएसए हटाया गया है.
पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद से उमर अब्दुल्ला ने 232 दिन हिरासत में गुजारे. इससे पहले फारूक अब्दुल्ला को 13 मार्च को रिहा कर दिया गया था. हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को अभी भी जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में रखा गया है.
केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने और इसे दो राज्यों में बांटने के फैसले के बाद पिछले सात महीने से ज़्यादा समय से पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला हिरासत में थे.
जन सुरक्षा कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना किसी सुनवाई के तीन महीने से दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है.
राज्यसभा सदस्य और एमडीएमके नेता वाइको ने अपनी हैबियस कॉर्पस याचिका में पिछले चार दशकों से ख़ुद को जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला का क़रीबी दोस्त बताते हुए कहा था कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता को अवैध तरीके से हिरासत में रखकर उन्हें संवैधानिक अधिकारों से वंचित किया गया है.
राज्यसभा सदस्य और एमडीएमके के संस्थापक वाइको ने अपनी याचिका में कहा कि फारूक अब्दुल्ला पर कार्रवाई पूरी तरह से अवैध और मनमानी है. ये उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है.
राज्यसभा सदस्य और एमडीएमके के संस्थापक वाइको ने अपनी याचिका में कहा कि फारूक अब्दुल्ला पर कार्रवाई पूरी तरह से अवैध और मनमानी है. ये उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है.
साल 2009 में वाइको ने अपनी एक किताब के विमोचन के दौरान प्रतिबंधित संगठन लिट्टे के समर्थन में भाषण दिया था. राजद्रोह का मामला तत्कालीन डीएमके सरकार ने दर्ज कराया था.
एमडीएमके प्रमुख वाइको ने राजद्रोह के आठ साल पुराने मामले में सोमवार को चेन्नई की एक अदालत में आत्मसमर्पण किया और जमानत मांगने से इंकार कर दिया जिसके बाद उन्हें 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.